मेडिकल व डेंटल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे देश भर के करीब 6.5 लाख विद्यार्थियों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने इसी सत्र (2016-17) से राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा को मंजूरी दी है. परीक्षा दो चरणों में एक मई व 24 जुलाई को होगी. परिणाम 17 अगस्त को जारी किये जायेंगे.
नयी दिल्ली: देश भर के निजी व सरकारी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में एमबीबीएस अौर बीडीएस पाठ्यक्रम में नामांकन के लिए इसी साल से कॉमन मेडिकल एडमिशन टेस्ट होगा. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इसके शेड्यूल को हरी झंडी दे दी. यह कॉमन टेस्ट (एनइइटी) दो चरणों में होगा. कोर्ट ने एक मई को होनेवाली अखिल भारतीय प्री-मेडिकल टेस्ट (एआइपीएमटी) को एनइइटी-एक माना है. जिन छात्रों ने एआइपीएमटी के लिए आवेदन नहीं किया है, उन्हें 24 जुलाई को एनइइटी-दो में शामिल होने का मौका दिया जायेगा. दोनों के साझा नतीजे 17 अगस्त को जारी किये जायेंगे.
जस्टिस एआर दवे, जस्टिस शिवकीर्ति सिंह व जस्टिस एके गोयल की पीठ ने गुरुवार को केंद्र सरकार और सीबीएसइ की ओर से एनइइटी के लिए दिये गये शेड्यूल पर मुहर लगायी. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने सुनवाई के दौरान कहा कि ऑल इंडिया पीएमटी का नाम बदल कर एनइइटी किया गया है.
सीबीएसइ रैंक तैयार करेगा
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, रिजल्ट के बाद सीबीएसइ ऑल इंडिया रैंक तैयार कर अथॉरिटी को भेजेगी. टेस्ट के लिए केंद्र, राज्य, संस्थान, पुलिस सभी सीबीएसइ को मदद करेंगे. टेस्ट की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होगी. नकल रोकने के लिए इलेक्ट्रॉनिक तरीके और जैमर आदि का इस्तेमाल किया जायेगा. कोर्ट ने कहा कि यदि किसी को भी इस आदेश के अमल में दिक्कत हो तो वह सुप्रीम कोर्ट आ सकता है.
हो चुकीं या होनेवाली सभी परीक्षाएं रद्द
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब मेडिकल व डेंटल कॉलेजों में एडमिशन के लिए हो चुकी या अगले महीने होने वाली सभी अन्य परीक्षाएं रद्द मानी जायेंगी. इसी के साथ कोर्ट ने राज्य सरकारों और निजी कॉलेजों की उस याचिका को ठुकरा दिया कि एनइइटी को उन पर थोपा नहीं जा सकता है. तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक ने कॉमन टेस्ट का विरोध किया था. देश में मेडिकल संबंधी करीब 90 टेस्ट होते हैं.