पाकिस्तान के लाहौर में आत्मघाती हमले की ज़िम्मेदारी लेने वाला जमात-उल-अहरार (जेयूए, आज़ाद लोगों का समूह) तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से अलग हुआ संगठन है.
जमात उल अहरार ने ही लाहौर में हुए ताज़ा धमाकों की ज़िम्मेदारी ली है.
जेयूए ने वैचारिक मतभेद का हवाला देते हुए अगस्त 2014 में पाकिस्तान तालिबान यानी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से अपने रास्ते अलग कर लिए थे.
हाल के सालों में इस समूह ने पाकिस्तान में कई बड़े हमले किए हैं. इनमें नवंबर 2014 में वाघा सीमा पर हुआ हमला भी है.
26 अगस्त 2014 को जारी डेढ़ घंटे के वीडियो में जेयूए ने अपने गठन का ऐलान किया था.
इस समूह से जुड़े लोगों में अधिकतर पाकिस्तान तालिबान के पूर्व कमांडर हैं, जो अफ़ग़ानिस्तान से सटे क़बीलाई इलाक़े में सक्रिय हैं.
नवंबर 2014 में जेयूए की वेबसाइट पर मौलाना क़ासिम ख़ोरसानी और मौलाना उमर ख़ालिद ख़ोरसानी को नेता और उपनेता घोषित किया गया.
ओमर ख़ालिद ख़ोरसानी इससे पहले मोहम्मद एजेंसी इलाक़े में पाकिस्तान तालिबान के प्रमुख थे.
यह समूह पाकिस्तान में सेना और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाता रहा है लेकिन ईसाई समुदायों पर भी इस समूह के हमले बढ़े हैं.
लाहौर धमाकों की ज़िम्मेदारी लेते हुए इस संगठन ने कहा है कि उसने ईसाइयों के ईस्टर पर्व पर हमला किया है.
पिछले साल मार्च में लाहौर के एक चर्च पर भी इस संगठन ने हमला किया था, जिसमें 15 लोग मारे गए थे और 70 घायल हुए थे.
इसी महीने इस समूह ने चारसद्दा ज़िले की अदालत में हमले की ज़िम्मेदारी ली थी और इसे पंजाब के पूर्व गवर्नर सलमान तासीर के हत्यारे मुमताज क़ादरी को फांसी की सज़ा का बदला बताया था.
सलमान तासीर ने ईशनिंदा क़ानून के उल्लंघन में जेल भेजी गई ईसाई महिला का बचाव किया था. उनके बॉडीगार्ड मुमताज़ क़ादरी ने ही 2011 में उनकी हत्या कर दी थी.
जेयूए अपने प्रवक्ता अहसानुल्लाह अहसान के अाधिकारिक माने जाने वाले ट्विटर अकाउंट के ज़रिए ऑनलाइन भी मौजूद है.
अहसानुल्लाह अहसान अपने ट्विटर खाते का इस्तेमाल हमलों की ज़िम्मेदारी लेने और ऐलान करने के लिए करते हैं.
इस साल फरवरी में उन्होंने ट्विटर के ज़रिए ही इस्लामिक स्टेट (आईएस) के साथ जुड़ने की रिपोर्टों का खंडन किया था.
उन्होंने अपने ट्वीट में कहा था कि जेयूए, अफ़ग़ान तालिबान नेता मुल्ला उमर के साथ है पर इस्लामिक स्टेट का भी सम्मान करती है.
जून 2015 में ट्विटर ने उनका खाता बंद कर दिया था पर वह नए ट्विटर हैंडल के साथ आ गए.
पाक मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक़ नेतृत्व और समूह की कार्यप्रणाली को लेकर मतभेदों के वजह से ही पाकिस्तान तालिबान से टूटकर जमात-उल-अहरार बना.
बताया जाता है कि 2013 में अमरीकी ड्रोन हमले में हकीमुल्लाह महसूद की मौत के बाद मुल्ला फ़ज़लुल्लाह के लिए समर्थन की कमी भी पाकिस्तान तालिबान के टूटने की एक वजह है.
मार्च 2015 में पाकिस्तानी मीडिया ने जेयूए के नेतृत्व में बदलाव की ख़बर दी थी.
रिपोर्टं के मुताबिक़ जेयूए नेता मौलाना क़ासिम ख़ोरसानी और उमर ख़ालिद ख़ोरसानी ने पद छोड़ दिया है और उनकी जगह असद आफ़रीदी कार्यवाहक नेता बने हैं.
कुछ रिपोर्टों के मुताबिक़ जेयूए के कुछ सदस्य वापस पाकिस्तान तालिबान में लौट गए हैं.
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