सोशल मीडिया पर आजकल नेट न्यूट्रेलिटी का मुद्दा छाया है. इस पर लोग भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को अपने सुझाव भेज रहे हैं.
फ़ेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल मीडिया बेवसाइटों पर अपील की जा रही है कि लोग नेट न्यूट्रेलिटी से जुड़े सुझाव जल्द से जल्द ट्राई को भेजें.
मीडिया में आ रही ख़बरों के मुताबिक़ ट्राई को अब तक इससे जुड़े 24 लाख सुझाव मिले हैं लेकिन ट्राई का कहना है कि उसने नेट न्यूट्रेलिटी पर लोगों से कोई सुझाव मांगा ही नहीं है.
ट्राई के अध्यक्ष रामसेवक शर्मा कहते हैं, "जहां तक नेट न्यूट्रेलिटी की बात है, तो हमने इस पर लोगों से कोई सुझाव नहीं मांगा है."
वह कहते हैं, "हमने पिछले साल अप्रैल में ओवर द टॉप (ओटीटी) सर्विसेज़ पर लोगों से सुझाव मांगा था. अभी दूसरा सुझाव अंतर मूल्य निर्धारण (डिफ्रेंशियल प्राइसिंग) पर मांगा है."
हालांकि उन्होंने माना कि दोनों ही चीज़ें नेट न्यूट्रेलिटी का हिस्सा ज़रूर हैं लेकिन नेट न्यूट्रेलिटी नहीं हैं.
शर्मा कहते हैं, "मैं इससे इनकार नहीं कर रहा कि ये दोनों इसका हिस्सा हैं, लेकिन ये ख़ुद में नेट न्यूट्रेलिटी नहीं हैं."
वह कहते हैं, "नेट न्यूट्रेलिटी एक बहुत बड़ा विषय है और ट्राई ने केवल इसके कुछ पहलुओं पर लोगों की राय मांगी है."
ऐसे में उनका क्या होगा जो नेट न्यूट्रेलिटी के पक्ष या विपक्ष में ट्राई को अपने सुझाव भेज रहे हैं.
इस पर वे कहते हैं, "हमने लोगों से कुछ और पूछा और लोग जवाब दे रहे हैं कुछ और, तो उसमें हम क्या कर सकते हैं."
ऐसे में जो मुद्दा लाखों लोगों से जुड़ा है, उस पर ट्राई कब लोगों के सुझाव मांगेगा.
शर्मा कहते हैं, "बात केवल इतनी है कि अगर ज़रूरत महसूस हुई तो इस पर सुझाव ज़रूर मांगा जाएगा."
उन्होंने बताया, "फ़िलहाल हमने नेट न्यूट्रेलिटी नाम से कोई भी कंसल्टेशन पेपर अपनी वेबसाइट पर जारी नहीं किया है."
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