।। नॉलेज डेस्क।।
ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी अमेजन ने ग्राहकों तक सामान पहुंचाने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल का प्रयोग शुरू किया है. इसके बाद से दुनियाभर में ड्रोन के व्यावहारिक इस्तेमाल की चरचा छिड़ गयी है. हालांकि, अभी इसके कानूनी समेत अन्य कई पहलुओं का व्यापक रूप से तय होना शेष है. भविष्य में किन चीजों के लिए इसका इस्तेमाल मुमकिन हो सकता है और इससे जुड़ी सुरक्षा मामलों की क्या चुनौतियां हो सकती हैं, इन सभी मसलों को समेटने की कोशिश की गयी है आज के नॉलेज में..
ड्रोन की चरचा होते ही आपके दिमाग में शायद सबसे पहले पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आतंकवादियों के छिपने के स्थानों पर अमेरिकी सैनिकों द्वारा गिराये जा रहे बमों की ओर जाता होगा. अब तक इसका ज्यादातर इस्तेमाल दुनिया के अनेक हिस्सों में खुफिया निगरानी के अलावा बम गिराने के लिए किया जाता रहा है. लेकिन भविष्य में यदि यह आपके दरवाजे पर सामान से भरी टोकरी लेकर पहुंचे, तो आपको आश्चर्य नहीं होना चाहिए. इतना ही नहीं, भविष्य में इसका इस्तेमाल यातायात नियंत्रण और खेती के कार्यो में मदद मुहैया कराने समेत अनेक नागरिक कार्यो में किया जायेगा. हालांकि, कई देशों में अनेक तरीकों से इसका इस्तेमाल तो हो रहा है, लेकिन बेहद सीमित रूप से. हाल ही में अमेजन कंपनी की ओर से किये गये परीक्षण से आजकल यह सुर्खियों में है. भविष्य में यदि आप आकाश में कुछ उड़ता हुआ देखें, तो यह मत समझें कि यह कोई पक्षी या जहाज ही है. आप गलत भी हो सकते हैं, क्योंकि यह ड्रोन भी हो सकता है. लेकिन सवाल यह है कि हम इस उड़नेवाली मशीन को कैसे जान पायेंगे? जैसे-जैसे तकनीकी विकास होगा, ये उपकरण भी बेहद स्मार्ट हो सकते हैं. भविष्य में आपको अनेक आकार के रेडियो-नियंत्रित, मानवरहित उपकरण आकाश में उड़ते हुए दिख सकते हैं.
ऑक्टोकॉप्टर
दरअसल, दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन शॉपिंग मुहैया करानेवाली कंपनी अमेजन ने ग्राहकों तक सामान पहुंचाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने की पहल की है. इसके लिए कंपनी ने हाल ही में एक परीक्षण भी किया है. ‘ऑक्टोकॉप्टर’ नाम के ये ड्रोन विमान ग्राहक से ऑर्डर मिलने के 30 मिनट के अंदर 2.3 किलोग्राम वजन तक के सामान घर पर पहुंचा सकते हैं. हालांकि, कंपनी का कहना है कि इस सेवा को शुरू होने में अभी पांच वर्ष तक का समय लग सकता है. कंपनी के सीइओ जेफ बेजोस का कहना है कि इस सेवा को ‘प्राइम एयर’ नाम दिया गया है. अमेजन ने वेबसाइट पर एक वीडियो भी डाला है, जिसमें एक ड्रोन विमान को एक गोदाम से ग्राहक के घर तक सामान पहुंचाते हुए दिखाया गया है. बताया गया है कि इस ड्रोन विमान को जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) के मुताबिक दिशा-निर्देश दिया जायेगा. इसके बाद यह सामान लेकर निर्धारित गंतव्य के लिए उड़ जायेगा.
कानूनी मंजूरी की दरकार
हालांकि, इसे अभी कानूनी प्रक्रिया से गुजरते हुए मंजूरी हासिल करनी होगी. मालूम हो कि अमेरिकी सरकार ने अब तक विमानरहित ड्रोन के नागरिक इस्तेमाल की मंजूरी नहीं दी है. अमेरिकी संघीय उड्डयन प्रशासन (एफएए) ने ड्रोन के पुलिस और दूसरी सरकारी एजेंसियों के इस्तेमाल की मंजूरी दी है और पिछले कुछ वर्षो के दौरान तकरीबन 1400 परमिट जारी किये हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका में नागरिक उड्डयन क्षेत्र सभी तरह के ड्रोन के लिए 2015 तक खोला जा सकता है, जबकि यूरोप में ऐसा 2016 तक मुमकिन हो सकता है. इससे पहले किताबें किराये पर देनेवाली एक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी ने कहा था कि यदि ऑस्ट्रेलिया की नागरिक उड्डयन सुरक्षा अथॉरिटी से मंजूरी मिल जाती है, तो वे वर्ष 2015 तक किताबें पहुंचाने में ड्रोन का इस्तेमाल कर सकते हैं.
मालूम हो कि इस तरह के ड्रोन इलेक्ट्रिक मोटर से संचालित होते हैं. ड्रोन 10 मील (16 किलोमीटर) के दायरे तक उपभोक्ताओं को सामान पहुंचा सकता है. माना जा रहा है कि यह ‘मशीनी परिंदा’ शहरों में बसी घनी आबादी के लिहाज से ग्राहकों तक सामान पहुंचाने में अहम भूमिका निभा सकता है.
बीबीसी के मुताबिक, आनेवाले समय में ड्रोन या अनमैंड एरियल वेहिकल्स (यूएवी) का इस्तेमाल नागरिक और व्यापारिक गतिविधियों में हमारे एयर स्पेश में बढ़ सकता है. व्यक्तिगत रूप से लेकर व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन में सुविधा के दृष्टिकोण से कैमरा में रैपिड एडवांस, सेंसिंग, एयरोनॉटिक्स, बैटरी और ऑटोपायलट नेवीगेशन टेक्नोलॉजी के लिए यह बेहद उपयोगी साबित हो सकता है. इसमें छोटे वर्टिकल टेक-ऑफ या लैंडिंग करनेवाले मल्टी-प्रोपेलर हेलिकॉप्टर की तरह हाइ-टेक उपकरणों से सुसज्जित होंगे.
यूएवी सिस्टम्स एसोसिएशन के प्रवक्ता का कहना है कि मौजूदा समय में सौ से ज्यादा यूएवी का व्यापारिक इस्तेमाल हो रहा है. ये यूएवी 400 फिट से नीचे उड़ान भरते हुए 500 मीटर की दूरी तक जाने में सक्षम हैं. इनमें से ज्यादातर का इस्तेमाल एरियल फोटोग्राफी और 3डी सर्वेक्षण में किया जा रहा है, लेकिन इनका और भी तरह के कार्यो में इस्तेमाल किया जा सकता है. उदाहरण के तौर पर यूएवी का इस्तेमाल ऑयल रिफाइनरी, ईंधन के टैंकों, पावर लाइनों और पाइपलाइनों के निरीक्षण में किया जा रहा है. बेहद दुर्गम और खतरनाक इलाकों में, जहां इनसान का पहुंचना मुश्किल होता है, वैसे इलाकों में भी यह घुस कर हाइ-डिफिनिशन तसवीरें मुहैया करा सकता है. इतना ही नहीं, इन दुर्गम इलाकों तक पहुंचने के लिए न तो नये रास्ते बनाने होंगे और न ही पेड़ काटने होंगे. इससे समय और संसाधन, दोनों ही की बचत होगी.
ड्रोन के संभावित इस्तेमाल
ग्राहकों तक सामान पहुंचानेवाली कंपनी अमेजन ने भले ही यूएवी के इस्तेमाल में सबसे आगे होने की उम्मीद जतायी है, लेकिन और भी बहुत सी कंपनियां हैं, जो इसके इस्तेमाल की अनुमति चाहती हैं. भविष्य में अनेक तरह से इनका इस्तेमाल किया जा सकता है.
खाद्य सामग्रियों का वितरण
इसी वर्ष जून महीने में डोमिनो कंपनी ने एक ‘डोमिकॉप्टर’ का वीडियो जारी किया था, जिसमें ड्रोन के माध्यम से पिज्जा की डिलीवरी की गयी थी. वीडियो में दिखाया गया था कि एक स्वायत्त ड्रोन ने पिज्जा के बक्से को उठा कर पेड़ों और मकानों के ऊपर से उड़ान भरते हुए गंतव्य तक उसे पहुंचाया. हालांकि, ‘डोमिकॉप्टर’ से खाने की चीजों को पहुंचाने का कॉन्सेप्ट भले ही अनोखा माना जा रहा हो, लेकिन इसे धरातल पर उतारने में अभी कई बाधाएं हैं. विशेषज्ञों ने उम्मीद जतायी है कि इस तरह के ड्रोन को जीपीएस तकनीक के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है.
यातायात नियंत्रण
भले ही आप भविष्य में अपने ईर्द-गिर्द किसी ड्रोन को न देख सकें, लेकिन ऐसा मुमकिन है कि वह सड़क पर आपकी गतिविधियों पर नजर रख सकता है. भविष्य में ड्रोन का इस्तेमाल सड़कों पर यातायात नियंत्रण करने के लिए और यातायात संबंधी सूचना मुहैया कराने के लिए किया जा सकता है. एबीसी न्यूज के मुताबिक, फेयरफैक्स कंट्री पोलिस चीफ डेविड रोहर ने कहा है कि इस तरह के उड़नेवाले उपकरणों से जरूरी सूचना एकत्रित की जा सकती है. यातायात केंद्रों को जरूरी सूचना मुहैया कराते हुए किसी खास इलाके में यातायात जाम होने की स्थिति से निबटा जा सकता है. साथ ही, शोध के दौर से गुजर रहे यातायात ड्रोन को कुछ इस तरह से तैयार किया जायेगा, ताकि स्थायी (फिक्स) यातायात कैमरों के मुकाबले ये ज्यादा जानकारी मुहैया करा सकें. इसके अलावा, ड्रोन का इस्तेमाल हाइवे और एक्सप्रेस वे पर वाहनों की स्पीड की निगरानी करने में भी किया जा सकता है.
फोटो और वीडियो
एरियल फोटोग्राफी कोई नयी चीज नहीं है, लेकिन कुछ शोधकर्ताओं और संगठनों ने ज्यादा से ज्यादा सटीक फुटेज हासिल करने के लिए छोटे ड्रोन का इस्तेमाल शुरू किया है. गोल्फ चैनल ने होवरफ्लाइ के एरिस्टा ड्रोन के इस्तेमाल का परीक्षण किया है, जिसमें किसी प्रतियोगिता के दौरान अनेक कोणों से उसकी वीडियोग्राफी करायी जा सके. बताया गया है कि एक धरना-प्रदर्शन के दौरान लाइव वीडियो के लिए ‘पैरोट एआर ड्रोन’ का इस्तेमाल किया गया था.
मानवीय सहायता मुहैया कराना
दुनियाभर में ऐसे बहुत से इलाके हैं, जहां तक खाद्य पदार्थ और दवाओं को पहुंचाना एक बड़ी चुनौती है. माना जा रहा है कि ऐसे इलाकों में जीवन की जरूरी चीजों को पहुंचाने में ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकता है. सुदूर इलाकों में जरूरी वैक्सिन पहुंचाने के लिए ड्रोन को इस्तेमाल में लाने की उम्मीद जता रहे एक समूह को बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की ओर से वित्तीय मदद मुहैया करायी गयी है.
मैटरनेट नामक एक संस्था भी इस दिशा में कार्य कर रही है. इस संस्था ने हैती में सुदूर इलाकों में रहनेवालों के लिए भोजन और दवाओं समेत अन्य जीवन-रक्षक सामग्रियों को पहुंचाने में ड्रोन का प्रयोग शुरू किया है.
जानवरों की सुरक्षा और निगरानी
ड्रोन से केवल इनसानों को ही मदद नहीं मिल सकती. जानवरों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए भी इनका इस्तेमाल किया जा सकता है. ऑस्ट्रेलिया और सुमात्र के समुद्र तटीय इलाकों में ह्वेलों की निगरानी के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. पशुओं को मारे जाने से रोकने के लिए काम कर रहे संगठन ‘पेटा’ (पीपल्स फॉर द इथिकल ट्रीटमेंट ऑफ द एनिमल्स) ने भी कहा है कि शिकारियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल का परीक्षण किया जायेगा. पेटा का कहना है कि कैमरों से सज्जित ड्रोन से जंगलों में होनेवाली गैर-कानूनी गतिविधियों की वीडियोग्राफी करायी जा सकेगी. इस संगठन ने इसी मकसद से अक्तूबर में मेसाचुसेट्स में ड्रोन को लॉन्च करते हुए इसका परीक्षण किया है.
(इनपुट: एबीसी न्यूज)
खेतों की देखरेख करनेवाले ड्रोन
ये छोटे आकार के विमान पहली नजर में देखने में ऐसे लगते हैं, मानो किसी गैरेज में पड़े हुए पुराने उपकरणों के पुर्जो को जोड़ कर एक मशीन तैयार की गयी हो. कबाड़ जैसी दिखनेवाली यह मशीन बहुत काम की है. इसमें माइक्रो कंप्यूटर और कैमरा के साथ दिशा-सूचक यानी कंपास भी लगा है, ताकि यह गंतव्य की दिशा को समझ सके. ये जीपीएस से भी जुड़े हुए हैं और गूगल के नक्शे की मदद से इनमें ये निर्देश फीड किये जा सकते हैं कि इन्हें कहां तक उड़ कर जाते हुए अपने स्थान पर वापस लौटना है. बताया गया है कि ये विमान बहुत छोटे हैं. पेरू की कैथोलिक यूनिवर्सिटी में एक इंजीनियर इस तरह के ड्रोन की मदद से पौधों की देखभाल कर रहे हैं.
डीडब्ल्यू की एक खबर में बताया गया है कि ड्रोन की मदद से शोधकार्य में संलग्न वैज्ञानिक खेती के बड़े इलाके में जुताई पर नजर रख पाते हैं. साथ ही, वे यह भी तय कर पाते हैं कि पौधे स्वस्थ हालत में हैं या नहीं. इससे यह भी पता चल पाता है कि फसल को ठीक मात्र में धूप मिल पा रही है या नहीं. यानी फसल के सूख जाने का खतरा भी टाला जा सकता है. कैथोलिक यूनिवर्सिटी में इस मशीन को कार्बन फाइबर और बालसा लकड़ी से बनाया गया है. इनके ठीक से काम करने के लिए यह जरूरी है कि ड्रोन बादलों के नीचे ही रहें. इसी तरह से अमेजन के जंगलों में, जहां इनसानों का पहुंचना आसान नहीं है, वहां ड्रोन मशीनों का इस्तेमाल जानवरों की तसवीरें लेने के लिए हो रहा है.
यूएवी के लिए क्या हैं कानून
यूनाइटेड किंगडम में कई संगठन सिविल एविएशन अथॉरिटी (सीसीए) से छोटे यूएवी (20 किलोग्राम तक) के इस्तेमाल की अनुमति चाहते हैं. ये संगठन यूएवी का इस्तेमाल निगरानी कार्यो, डाटा संग्रहण समेत व्यावसायिक कार्यो के लिए इसका इस्तेमाल किये जाने की अनुमति चाहते हैं. ये सघन इलाकों में अनेक कार्यो को अंजाम देने के मकसद से इसके संचालन की अनुमति चाहते हैं. सीसीए के मुताबिक, बड़े आकार के यूएवी केवल एक निर्धारित एयरस्पेश के दायरे में ही उड़ाये जा सकते हैं. इसकी अनुमति केवल तभी ही दी जानी चाहिए, जब यह तय हो जाये कि इन यूएवी में सामान्य एयरस्पेश में उड़नेवाले अन्य मैंड एयरक्राफ्ट (मानव संचालित हवाई जहाज) को ‘पता लगाने और उनके रास्ते से हटने’ में पूरी तरह से सफल हों.
ब्रिटिश एयरस्पेश के दायरे में तकरीबन 200 कंपनियों और संगठनों को छोटे यूएवी के इस्तेमाल की अनुमति दी गयी है. इसमें नेशनल ग्रिड, बीबीसी समेत बीएइ सिस्टम्स जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं. ये कंपनियां इसका इस्तेमाल एरियल फोटोग्राफी समेत देश में आग लगने की स्थितियों और बचाव अभियानों में करती हैं.
ड्रोन का इतिहास
1917
प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918 तक) के दौरान इसी वर्ष एरियल टॉरपीडो ‘बग’ के तौर पर ड्रोन का इस्तेमाल हुआ था. यह मानवरहित और पहले से ही नियंत्रित किया गया एरियल टॉरपीडो था.
1946
अमेरिकी वायु सेना ने ट्रेनिंग के मकसद से विशेष प्रकार के तीन तरह के ‘पायलट रहित एयरक्राफ्ट ब्रांच’ का विकास किया था.
1965-1973
वियतनाम में अमेरिकी सैनिकों ने ड्रोन की तरह के उपकरणों का सैन्य इस्तेमाल किया था.
2001
सीआइए और अमेरिकी एयर फोर्स ने प्रीडेटॉर ड्रोन का प्रायोगिक इस्तेमाल किया.
4 फरवरी, 2002
सीआइए ने पहली बार अफगानिस्तान में मानवरहित प्रीडेटॉर ड्रोन का लक्ष्य पर इस्तेमाल किया था.