सड़क हादसों से चिंतित छात्र ने निकाली तरकीब
देश में हो रहे सड़क हादसों को लेकर जहां सरकारी तंत्र कुंभकर्णी नींद में सोया है, वहीं इसे कम करने की दिशा में व्यक्तिगत तौर पर देश में अनेक उपाय किये जा रहे हैं. मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हुगली के एक छात्र ने सड़क हादसों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इसका समाधान निकालने की ठान ली.
जुनून और कड़ी मेहनत से उसने एक ऐसे तरकीब निकाली है, जिससे सड़क पर सुरक्षित बस यात्रा की जा सकती है.
हुगली में मैकेनिकल इंजीनियर की पढ़ाई कर रहे हरीश गाडगिन को देश में हो रही सड़क दुर्घटना से काफी आहत किया. इन हादसों को देख कर उन्होंने इसका समाधान निकालने की ठान ली. पढ़ाई के दौरान ऑटोमोबाइल क्षेत्र में प्राप्त जानकारी के आधार पर उन्होंने पाया कि सड़क पर बस में सुरक्षित यात्रा के लिए एक सिस्टम ईजाद किया जा सकता है. हरीश द्वारा किये गये अनुसंधान से सड़कों पर होनेवाली दुर्घटनाओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
इसके लिए उन्होंने एक ‘स्मार्ट डिवाइस, स्मार्ट बस’ नामक प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया और उसमें तीन नये फीचर जोड़ दिये. मीडिया में आनेवाली खबरों के अनुसार, भारत में तेज ड्राइविंग के चलते सड़क हादसों में रोजाना करीब 166 लोगों की मौत हो जाती है.
वाहनों की गति सीमा पर निगरानी का कोई ठोस तंत्र अब तक विकसित नहीं हुआ है. इस कारण सड़क हादसों से देश को सालाना 550 अरब रुपये का नुकसान होता है. इन हादसों में सवारियों के साथ-साथ वाहन चालकों को भी जान से हाथ धोना पड़ जाता है.
चालक के लिए बनाया स्मार्ट सेफ्टी : यातायात नियमों के अनुसार, आम तौर पर वाहन चलाते समय उसके चालकों को सुरक्षित रहना बेहद जरूरी होता है. हरीश ने इस बात को ध्यान में रखते हुए बस चालक को सुरक्षित करने के लिए एक फीचर बनाया. बस की सीटों में इस फीचर को जोड़ने के साथ उसमें बैठे बस चालक समेत अन्य सवारी टक्कर लगने के बाद खुद-ब-खुद पीछे की ओर हो जायेंगे.
ऐसे में, न तो बस के चालक को कहीं चोट लगने की आंशका रहेगी और न ही सवारी भयभीत रहेंगे.
बस की हेडलाइट ऑटोमेटिक डिम और डिप होगी
हरीश के नये डिवाइस को किसी भी बस में लगाने के बाद उसकी हेडलाइट अपने आप डिम और डिप होती रहेगी.
हरीश कहते हैं कि यदि रात में कोई बस सवारियों को लेकर लंबी यात्रा पर हो और सामने से आ रहे वाहन की हेडलाइट डिप हो, तो बस का चालक इस डिवाइस का इस्तेमाल करते हुए सामने के वाहन की हेडलाइन की रोशनी को कम कर सकता है. वे कहते हैं कि यदि बस का चालक डरा हुआ हो और वह इस डिवाइस का उपयोग नहीं कर पा रहा हो, तो यह पहले से सेटिंग के जरिये ऑटोमेटिक मोड होने के कारण काम करना शुरू कर देता है.
वायरलेस चार्जिंग सिस्टम
बस की बैटरी यदि डिस्चार्ज हो गयी हो, तो इसे वायरलेस चार्जिंग सिस्टम के जरिये रीचार्ज भी किया जा सकता है. आम तौर पर बसों की बैटरी बिना किसी तार के चार्ज नहीं हो पाती है. यदि बैटरी डिस्चार्ज हो जाती है, तो इंजन को स्टार्ट कर पाना कठिन होता है.