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जेल में बंद शहाबुद्दीन का सिवान में दबदबा बरकरार

पंकज प्रियदर्शी बीबीसी संवाददाता, सिवान से बिहार की राजनीति का एक अनोखा चेहरा सिवान ज़िले के रघुनाथपुर विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिल रहा है. चाल, चरित्र और चेहरा का दावा करने वाली भाजपा यहाँ एक अनोखे संकट में पड़ी है. भाजपा ने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर एक बड़े संकट को न्यौता दे दिया […]

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बिहार की राजनीति का एक अनोखा चेहरा सिवान ज़िले के रघुनाथपुर विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिल रहा है. चाल, चरित्र और चेहरा का दावा करने वाली भाजपा यहाँ एक अनोखे संकट में पड़ी है.

भाजपा ने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर एक बड़े संकट को न्यौता दे दिया है. अब ये विधायक न सिर्फ़ भाजपा से अलग हो गए हैं बल्कि विरोधी जनता दल यूनाइटेड के खेमे में शामिल होकर भाजपा को हराने के लिए एड़ी चोटी का पसीना एक किए हुए हैं.

कुछ समय पहले तक पार्टी टिकट की आस में अपना तन-मन-धन लगाने का दावा करने वाले विक्रम कुँवर अब पार्टी को पानी पी-पीकर कोस रहे हैं.

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आरोप यहाँ तक है कि भाजपा ने जिन मनोज सिंह को टिकट दिया है, वे न सिर्फ़ आपराधिक छवि के हैं, बल्कि राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व सांसद और विवादित राजनेता मोहम्मद शहाबुद्दीन के शूटर रहे हैं.

आरोप-प्रत्यारोप के इस दौर ने रघुनाथपुर विधानसभा क्षेत्र को एकाएक सुर्ख़ियों में ला दिया है. मैंने जब रघुनाथपुर क्षेत्र में जाकर मनोज सिंह से मुलाकात की, तो अपने समर्थकों से घिरे मनोज सिंह उत्साह से भरे हुए नज़र आए.

लेकिन जब शहाबुद्दीन के नज़दीकी पर सवाल पूछे गए, तो उनका कहना था, "देखिए वो तो शहाबुद्दीन के ख़ुद शूटर रहे हैं. हम तो उनके गाँव के हैं. इसलिए मेरे साथ ये नाम जुड़ गया है. लेकिन मेरे से ज़्यादा उन पर ये लागू होता है. मेरे लिए ये शब्द प्रासंगिक नहीं है."

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मनोज सिंह उल्टे विक्रम कुंवर पर आरोप लगाते हैं और कहते हैं कि विक्रम कुंवर जो भी कह रहे हैं उसमें कोई सच्चाई नहीं. दरअसल लंबे समय तक सिवान और इसके आसपास के इलाक़े की राजनीति पर मोहम्मद शहाबुद्दीन का दबदबा रहा है.

शहाबुद्दीन इस समय कई आपराधिक मामलों में जेल में हैं. एक समय मनोज सिंह और शहाबुद्दीन साथ-साथ थे.

मनोज सिंह भी मानते हैं कि वो और शहाबुद्दीन एक गांव के हैं इसलिए लोग उन पर सवाल उठाते हैं, लेकिन उनका किसी आपराधिक गतिविधियों से लेना-देना नहीं हैं.

वे कहते हैं, "उन्होंने व्यक्तिगत रूप से मुझ पर आक्षेप लगाया है. ऐसी कोई बात नहीं है. शहाबुद्दीन मेरे गाँव के हैं, मेरे हमउम्र हैं, हम प्राइमरी से कॉलेज तक एक साथ पढ़े हैं. इसलिए लोग हम पर आरोप लगाते हैं. लेकिन हमने किसी की हत्या नहीं की है. हमने किसी के साथ अन्याय नहीं किया."

लेकिन विक्रम कुंवर का कहना है कि वे अपनी बात पर क़ायम हैं.

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वे कहते हैं कि अगर उनकी बात ग़लत रहती तो मनोज सिंह उन पर अभी तक मानहानि का मुक़दमा क़ायम कर देते.

शहाबुद्दीन से अपनी नज़दीकी पर वे कहते हैं कि उनका और शहाबुद्दीन का रिश्ता राजनीतिक था ना कि आपराधिक

विक्रम कुंवर कहते हैं, "हम भी शहाबुद्दीन के साथ रहे हैं. लेकिन हमारा रिश्ता बड़े भाई और छोटे भाई का रहा है. हमारे राजनीतिक संबंध थे आपराधिक नहीं. सिवान में जितने भी अपराध हुए हैं, उनमें शहाबुद्दीन का तो सिर्फ़ नाम था. अपराध तो ये करते थे."

रघुनाथपुर विधानसभा क्षेत्र की इस लड़ाई में भाजपा को एक और सवाल का सामना करना पड़ रहा है.

दरअसल टिकट बँटवारे को लेकर भी पार्टी के कई नेता नाराज़ हैं. विक्रम कुंवर उन कई मौजूदा विधायकों में शामिल हैं, जिनका भाजपा ने टिकट काट दिया है.

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विक्रम कुंवर कहते हैं कि पार्टी का असली चेहरा सामने आ गया है.

उन्होंने कहा, "भारतीय जनता पार्टी का चाल, चरित्र और चेहरा ख़त्म हो गया है. पार्टी का नेतृत्व अब ठेकेदार, दलाल और व्यापारी के हाथों में आ गया है."

दरअसल बिहार में जिस तरह भाजपा जंगल राज का डंका पीट रही है, उसी तरह सिवान में भाजपा लोगों को शहाबुद्दीन के दौर के आतंक की याद दिला रही है.

इन सबके बीच मोहम्मद शहाबुद्दीन सिवान की राजनीति के केंद्र में अब भी बरकरार हैं. वे वर्षों से जेल में हैं, लेकिन सच्चाई यही है कि उनके नाम पर राजनीति अब भी चालू है.

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