नयी दिल्ली/सहरसा (बिहार): एक दशक से भी पहले गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान में पहुंचने के बाद से वहां रह रही मूक बधिर भारतीय महिला गीता जल्द ही घर लौटेगी. सरकार ने उसे वापस लाने के लिए प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली है. 26 अक्तूबर को उसका अपने परिवार से मिलन हो सकता है. इससे पहले गीता और उसके माता-पिता को डीएनए टेस्ट से गुजरना होगा. डीएनए के मिलान के बाद ही उसे परिवार को सौंपा जायेगा. विदेश मंत्रालय के जरिये गीता को पाकिस्तान में तीन फोटो भेजे गये थे. इसमें से एक फोटो की पहचान उसने अपने परिवार के रूप में की.
समझा जाता है यह परिवार बिहार के सहरसा का है, जिसने अपनी बेटी को पहचान लिया है. इनका कहना है कि पाकिस्तान में जिस लड़की को लोग गीता के नाम से जानते हैं, असल में वह उनकी बेटी हीरा है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार को यहां बताया, ‘गीता जल्द ही स्वदेश लौटेगी. हमने उसके परिवार का पता लगा लिया है. उसे डीएनए जांच के बाद ही अपने परिवार को सौंपा जायेगा.’
बाद में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि गीता की भारतीय राष्ट्रीयता पहले ही सत्यापित हो चुकी है. उसे भारत लाया जायेगा, क्योंकि उसका भारत वापस आना इस बात पर निर्भर नहीं है कि हमने उसके माता-पिता का पता लगाया है या नहीं. वह भारत की बेटी है. यह हमारा कर्तव्य है कि उसे बहुत जल्द भारत वापस लाया जाये. प्रवक्ता ने कहा, ‘यदि डीएनए जांच से सत्यापित होता है कि वे लोग ही उसके माता-पिता हैं, तो उसे उन्हें सौंप दिया जायेगा. यदि नहीं, तो हमने दो संस्थाओं की पहचान की है, जो कुछ विशेष अशक्ततावाले लोगों के लिए है. ये संस्थाएं दिल्ली और इंदौर में हैं. उसे वापस लाने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है.’ उन्होंने यह भी कहा कि ईदी फाउंडेशन के दो सदस्य उसके साथ भारत आयेंगे. ये लोग उसकी देखभाल कर रहे हैं.
गीता कथित तौर पर सात-आठ साल की थी, जब उसे 15 साल पहले पाकिस्तान रेंजर्स ने लाहौर रेलवे स्टेशन पर समझौता एक्सप्रेस में अकेले बैठा हुआ पाया था. पुलिस उसे लाहौर के ईदी फाउंडेशन में ले गयी और बाद में उसे कराची ले जाया गया. पाकिस्तान में नियुक्त भारतीय उच्चायुक्त टीसीए राघवन और उनकी पत्नी ने गीता से अगस्त में मुलाकात की थी. उसके पहले विदेश मंत्री ने उन्हें उससे मिलने और उसके परिवार का पता लगाने का निर्देश दिया था.
चार राज्य के चार परिवारों ने गीता को बताया था अपनी बेटी
गीता न बोल सकती है, न सुन सकती है. सीमा पार करने के बाद वह कुछ दिनों तक लाहौर के एदी फाउंडेशन में रही और अब कराची के एक आश्रय गृह में रह रही है. यहीं पर बिलकिस एदी नाम की एक महिला ने उसे गीता नाम दिया. गीता अब 23 साल की हो चुकी है. पंजाब, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के चार परिवारों ने दावा किया था कि गीता उनकी बेटी है, लेकिन अब गीता ने अपने परिवार को पहचान लिया है.
बेटी से मिलने को बेताब जनार्दन महतो का परिवार
सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा). सहरसा जिले के सलखुआ प्रखंड के कबीरा धाप निवासी जनार्दन महतो का दावा है कि पाकिस्तान की जिस लड़की को गीता बताया जा रहा है, वह उनकी बेटी हीरा है. वे लंबे समय से लुधियाना के टिब्बा रोड रमेश नगर गली नंबर 1/2 मकान नं 13949 में सात बेटा-बेटियों के साथ रहते थे. पहली बेटी हीरा जन्म से ही मूक-बधिर थी. बचपन में ही कबीरा निवासी उमेश महतो से उसकी शादी हो गयी. उससे एक पुत्र भी हुआ. वैशाखी के समय रोजी-रोटी कमाने उमेश महतो पंजाब के करतारपुर के मिल्लीया पिंड चले गये थे. बेटा होने पर दामाद अपने साथ हीरा उर्फ गीता व पुत्र संतोष को विदाई कर साथ ले गये. वैशाखी मेला में परिजनों के साथ मेला देखने के क्रम में भीड़-भाड़ होने के कारण गीता बिछुड़ गयी. काफी प्रयास के बाद भी वह नहीं मिली. टीवी में देखा, तो उसकी मां शांति देवी ने उसे पहचान लिया. इसके बाद विदेश मंत्रालय के बुलावे पर परिजनों ने हीरा के साथ अपने परिवार की फोटो जमा करवायी. इसे विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान भेजा. गीता ने उसी फोटो को अपना परिवार बताया है. इसके बाद जनार्दन का परिवार अपनी बेटी से मिलने के लिए काफी उत्साहित है.
अगस्त में ही आना था गीता को : गीता के भारत आने का रास्ता अगस्त महीने में ही साफ हो गया था, लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की बातचीत रद्द हो जाने के बाद उसका भारत आना खटाई में पड़ गया.
‘‘गीता जल्द ही वापस लौटेगी. हमने उनके परिवार का पता लगा लिया है. डीएनए जांच करने के बाद उन्हें उनके परिवार को सौंपा जायेगा.
सुषमा स्वराज, विदेश मंत्री