एलिस मुनरो को मिला साहित्य का नोबेल
‘लघुकथाओं की मल्लिका’ के उपनाम से विख्यात कनाडा की लेखिका एलिस मुनरो को साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है. नोबेल अकादमी के स्थायी सचिव पीटर इंग्लैंड ने उन्हें समकालीन ‘लघु कहानी की मास्टर’ करार दिया.
स्वीडिश अकादमी ने कहा कि उनकी कहानियां अमूमन छोटे शहर के परिवेश पर केंद्रित रहती हैं. उन्होंने अपनी कथाओं में स्वीकृत सामाजिक परंपरा के कारण संबंधों के तनाव और संघर्ष को बखूबी दिखाया है.
पुरस्कार के तहत मुनरो को प्रतीक चिह्न् और 12 लाख डॉलर की राशि मिलेगी. वह साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार जीतनेवाली 13वीं महिला व पहली कनाडाई हैं. वर्ष 2012 में चीनी लेखक मो यान को साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था.
एलिस मुनरो
जन्म स्थान : विंघम, कनाडा
जन्म तिथि : 10 जुलाई, 1931
वर्ष 1950 में लिखी पहली कहानी ‘द डाइमेंशंस ऑफ ए शेडो’.
वर्ष 1968 में पहला कहानी संग्रह ‘डांस ऑफ हैप्पी शेड्स’ प्रकाशित, कनाडा का सर्वोच्च साहित्य सम्मान मिला.
2009 में मिला मैन बुकर पुरस्कार.
2012 में प्रकाशित हुआ कहानी संग्रह ‘डीयर लाइफ’.
ओपीसीडब्ल्यू को मिला नोबेल शांति पुरस्कार
विश्व भर में रासायनिक हथियारों को नष्ट करने एवं उनकी रोकथाम के लिए काम करनेवाली संस्था ऑर्गनाइजेशन फॉर प्रोहिबिशन ऑफ केमिकल वेपंस (ओपीसीडब्ल्यू) को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है. वर्तमान में यह संस्था सीरिया में रासायनिक हथियारों को नष्ट किये जाने का काम देख रही है. यह संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर काम करती है. इसकी स्थापना वर्ष 1997 में की गई थी. इसका हेडक्वार्टर नीदरलैंड के द हैग में हैं. ओपीसीडब्ल्यू संस्था को एक स्वर्ण पदक और साढ़े 12 लाख डॉलर पुरस्कार के तौर पर मिलेंगे. वर्ष 2013 के शांति नोबेल पुरस्कार के लिए रिकॉर्ड 259 लोगों के नामांकन मिले थे. इसमें पाकिस्तानी कार्यकर्ता मलाला युसूफजई, रुसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज आदि के नाम भी थे.
कुछ रोचक तथ्य
94 शांति नोबेल पुरस्कार दिये गये हैं वर्ष 1901-2013 के बीच
15 महिलाओं को अब तक मिला है शांति का नोबेल पुरस्कार
इन वर्षो में किसी को नहीं मिला नोबेल शांति पुरस्कार
1914-1916, 1918, 1923, 1924, 1928, 1932, 1939-1943, 1948, 1955, 1956, 1966, 1967, 1972.
कारप्लस, लेविट व वारशेल को केमेस्ट्री का नोबेल पुरस्कार
रासायनिक प्रक्रिया को समझने और उसका पूर्वानुमान लगाने को कंप्यूटर सिमुलेशन की युक्ति विकसित करने के लिए तीन वैज्ञानिकों को केमेस्ट्री के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है. इनमें अमेरिकी-आस्ट्रियन नागरिक मार्टिन कारप्लस, अमेरिकी-ब्रिटिश नागरिक माइकल लेविट और अमेरिकी-इजराइली एरिह वारशेल शामिल हैं. इन वैज्ञानिकों ने वास्तविक जीवन को दर्शाने वाले कम्प्यूटर मॉडल विकसित किया है, जो वर्तमान में केमेस्ट्री के क्षेत्र में हुए विकास के लिए अत्यावश्यक हो गया है. इससे फार्मास्युटिकल इंजीनियरों और दवा बनाने वालों की कई समस्याओं का त्वरित समाधान हो सकेगा. ये वैज्ञानिक 12 .5 लाख डालर की विजेता राशि साझा करेंगे.
गॉड पार्टिकल की खोज के लिए इन्हें मिला फिजिक्स का नोबेल
‘गॉड पार्टिकल’ यानी हिग्स बोसॉन की खोज करनेवाले बेल्जियम के वैज्ञानिक फ्रांस्वा इंगलर्ट और ब्रिटेन के पीटर हिग्स को संयुक्त रूप से फिजिक्स के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है. इन दोनों वैज्ञानिकों ने वर्ष 2012 में परमाणु से छोटे कणों के द्रव्यमान को समझाने की प्रक्रि या की सैद्धांतिक खोज की थी. इसके पूर्व वर्ष 2012 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार फ्रांसीसी वैज्ञानिक सर्गे हरोशे और अमेरिकी शोधकर्ता डेविड जे वाइनलैंड को दिया गया था.
क्या है गॉड पार्टिकल : गॉड पार्टिकल के बारे में माना जाता है कि यह उन कणों को द्रव्यमान प्रदान करने के लिए जिम्मेवार है, जिससे 13.7 अरब वर्ष पहले हुए महाविस्फोट के बाद तारों और ग्रहों का निर्माण हुआ था.
रोचक तथ्य
195 लोगों को 1901 से अब तक मिला है भौतिकी का नोबेल पुरस्कार.
कोशिका संचरन प्रणाली के लिए मिला मेडिसिन का नोबेल
जेम्स रॉथमैन व रैंडी सैकमैन की अमेरिकी जोड़ी तथा जर्मनी में जन्मे थॉमस सुडॉफ को मेडिकल क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है. जीव कोशिकाओं की संचरण प्रणाली के क्षेत्र में किये गये उत्कृष्ट कार्य के लिए इन तीनों वैज्ञानिकों को सम्मानित किया जायेगा. ये तीनों वैज्ञानिक अमेरिकी विश्वविद्यालयों में काम करते हैं.
ये वैज्ञानिक 12.5 लाख डॉलर की विजेता राशि साझा करेंगे. इस शोध से डायिबटीज और अल्जाइमर जैसी लाइलाज बीमारियों के इलाज में सहायता मिलेगी. जेम्स ई रॉथमैन येल विश्वविद्यालय में, रैंडी डब्ल्यू शेकमैन बेकेल यूनिविर्सटी ऑफ कैलिफोर्निया में तथा जर्मनी के थॉमस सी सुडॉफ स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं. पिछले साल ब्रिटिश वैज्ञानिक जॉन गुरडन और जापान के शिन्या यामानाका को नोबेल पुरस्कार दिया गया था.
रोचक तथ्य
204 लोगों को चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया है अब तक
पिछले साल आर्थिक मंदी के कारण पुरस्कार राशि में की गयी थी 20} कटौती
तीन अमेरिकी अर्थशास्त्रियों को मिला नोबेल
अमेरिका में रह रहे तीन अर्थशास्त्रियों यूजीन एफ फामा, लार्स पीटर व रॉबर्ट जे शिलर को इकोनॉमिक साइंस के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है.
इन्हें संपत्तियों की कीमत के विश्लेषण से जुड़े काम के लिए सम्मान से नवाजा जायेगा. रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने कहा है कि इनके रिसर्च ने वित्तीय बाजार में स्टॉक और बॉन्ड्स की कीमतों को समझने में मदद की है और जिसका इंडेक्स फंड में इस्तेमाल हुआ है. यूजीन एफ फामा को बाजार की अवधारणा का पिता कहा जाता है.
केनेथ फ्रेंच के साथ मिल कर उन्होंने संपत्तियों की कीमत के लिए फामा फेंच थ्री फैक्टर मॉडल बनाया, जो निवेशकों को बाजार की कीमतों के आकलन में मदद करता है. यह पारंपरिक मॉडल की तुलना में काफी ज्यादा सटीक है. शिलर का ध्यान प्रमुख रूप से शेयर की कीमतों और कारोबारी लाभांशों में उतार चढ़ाव पर रहा है.
ऐसे हुई नोबेल पुरस्कार की शुरुआत
नोबेल पुरस्कार स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में हर साल 10 दिसंबर को दिया जाता है. इसकी शुरुआत वर्ष 1901 से हुई थी. यह शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार है. नोबेल पुरस्कार के रूप में प्रशिस्त-पत्र के साथ 12 लाख डॉलर की राशि भी दी जाती है. दिसंबर, 1896 में मृत्यु के पूर्व उन्होंने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा एक ट्रस्ट के लिए सुरिक्षत रख दिया. उनकी इच्छा थी कि इस पैसे के ब्याज से हर साल उन लोगों को सम्मानित किया जाये, जिनका काम मानवजाति के लिए सबसे कल्याणकारी पाया जाये. स्वीडिश बैंक में जमा इसी राशि के ब्याज से नोबेल फाउंडेशन द्वारा हर वर्ष यह पुरस्कार दिया जाता है. अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल की शुरु आत 1968 से हुई.
सीवी रामन नोबेल पानेवाले पहले भारतीय
भारतीय नागरिता प्राप्त चंद्रशेखर वेंकट रमन पहले एशियाई और अश्वेत थे, जिन्होंने भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार जीता था. यह पुरस्कार रमन इफेक्ट के लिए 1930 में मिल चुका है. रमन इफेक्ट की खोज के दस वर्ष के भीतर ही सारे विश्व में इस पर क़रीब 2,000 शोध पेपर प्रकाशित हुए.
अमर्त्य सेन पहले भारतीय अर्थशास्त्री
अमर्त्य सेन पहले भारतीय अर्थशास्त्री हैं, जिन्हें 1999 में अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला था. उनका जन्म कोलकाता में शांति निकेतन में हुआ था. उन्हें वेलफेयर इकोनॉमी के लिए यह पुरस्कार दिया गया था. अमर्त्य सेन फिलहाल बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण से जुड़े हैं.
गुरुदेव को साहित्य का नोबेल
रवींद्रनाथ टैगोर को गुरु देव के नाम से भी जाना जाता है. वे भारतीय साहित्य के एकमात्र नोबल पुरस्कार विजेता हैं. उन्हें 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था. भारत का राष्ट्र-गान ‘जन गण मन’ और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान ‘आमार सोनार बांग्ला’ गुरु देव की रचनाएं हैं.
मदर टेरेसा को शांति का नोबेल
मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं, जिनके पास भारतीय नागरिकता थी. उन्होंने कोलकाता में मिशनरीज़ ऑफ चेरिटी की स्थापना की. गरीब, बीमार, अनाथ लोगों की मदद की और साथ ही चेरिटी के मिशनरीज के प्रसार का भी मार्ग प्रशस्त किया. उन्हें 1979 में नोबेल का शांति पुरस्कार दिया गया था.