दक्षा वैदकर
एक कहानी है, जिसका इंगलिश में नाम है ‘यू आर स्टिल कैरिंग हर’. दो जैन साधक अपना काम पूरा कर मठ की ओर जा रहे थे. शाम होने को थी और उन्हें नदी पार करनी थी. दिन बारिश के थे और धीरे-धीरे नदी का पानी बढ़ता जा रहा था, इसलिए उन्होंने सोचा कि जल्द-से-जल्द नदी पार कर ली जाये.
वे पार करने के लिए नदी में उतरे ही थे कि उन्हें एक स्त्री की आवाज सुनायी दी. वे पलटे. पीछे एक बेहद सुंदर स्त्री खड़ी थी. उसने उनसे कहा, कृपया आप मुङो नदी पार करा देंगे क्या? अगर अभी पार नहीं करूंगी, तो पानी और बढ़ जायेगी. मैं अकेली नदी पार नहीं कर सकती. डूब जऊंगी. बड़े वाले जैन साधक ने तुरंत हामी भरी. उस सुंदर स्त्री को पीठ पर लादा और छोटे साधक को कहा, चलो.. नदी पार कर लें.
नदी पार करने के बाद उसने स्त्री को उतार दिया. स्त्री ने उनका बहुत नम्रता के साथ आभार माना. दोनों आगे निकल गये. चुपचाप बहुत देर तक चलते रहे. थोड़ी देर बाद छोटे साधक से रहा न गया. उसने कहा, क्या मैं एक बात पूछ सकता हूं?
बड़े साधक ने कहा, हां. हां.. पूछो. छोटे साधक ने कहा, क्या आप ये वाली बात मठ में बतायेंगे? बड़ा साधक बोलता है, कौन-सी बात? छोटा साधक बोला- यही कि आपने एक स्त्री को स्पर्श किया. उसे पीठ पर बैठा कर नदी पार करवायी. आप तो जानते ही हैं कि हमारा स्त्री का छूना ही पाप है. हम ब्रह्मचारी हैं. बड़ा साधक हंस पड़ा और बोला- मैं तो उस स्त्री को नदी पार करा कर कब का छोड़ आया, लेकिन लगता है तुम उसे अभी भी अपने दिमाग में लिये घूम रहे हो.
यह कहानी कई तरह की सीख देती है. एक यह कि जो लोग बुरे होते हैं, उनको पूरा संसार वैसा ही नजर आता. दूसरी सीख, घटना तो कब की खत्म हो चुकी होती है और हम बेवजह उसके बोझ को अपने दिमाग में लिए घूम रहे होते हैं और तीसरी सीख यह है कि कई बार हम सादी स्वच्छ चीजों, बातों, लोगों को बुरी नजरों से देखते हैं. उन पर बेवजह शक करते हैं और बात का बतंगड़ बनाते जाते हैं.
बात पते की..
जो घटना घट चुकी है और आप उसे सुधार नहीं सकते, उसे अपने दिमाग में लिए फिरने से कोई फायदा नहीं. बीती बातों को भूलें और आगे बढ़ें.
हर व्यक्ति को शक की निगाह से न देखें. आपको किसी ने धोखा दिया, इसका अर्थ यह नहीं है कि सारे लोग वैसे हैं. लोगों को साफ मन से देखें.