कई दफा ऐसा होता है कि हम पूरे-पूरे दिन बिजली और नेटवर्क कनेक्शन के इंतजार में खाली बैठे रह जाते हैं. इससे काम की गति निश्चित तौर पर प्रभावित होती है.
शैलेंद्र कुमार झा, देवघर जिले के देवीपुर प्रखंड के मास्टर वीएलइ हैं. वे अपने कार्यों को पूरी तत्परता के साथ करते हैं, जिसके कारण प्रखंड के ग्रामीणों को प्रज्ञा केंद्र द्वारा प्रदत्त सुविधाओं का लाभ सहजता से मिल रहा है. शैलेंद्र के नेतृत्व में प्रखंड के तमाम वीएलइ उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं. प्रस्तुत है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश :
रजनीश आनंद, प्रभातखबर.कॉम
एक प्रज्ञाकेंद्र संचालक के रूप में आपको कामकाज में किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है?
फिलहाल जो परेशानी हमारे काम को सर्वाधिक प्रभावित कर रही है, वह है इंटरनेट कनेक्टिविटी की. नेटवर्क नहीं होने के कारण हम समय पर अपना काम नहीं कर पाते हैं. साथ ही बिजली की भी गंभीर समस्या है. बिजली नहीं रहने पर हम बैटरी का सहारा लेते हैं, लेकिन समस्या यह है कि बैटरी को भी चार्ज करने के लिए बिजली की जरूरत होती, जो अकसर घंटों गायब रहती है.
अगर इंटरनेट कनेक्शन को ठीक कर दिया जाये और बिजली की समस्या भी न रहे, तो अधिक ऊर्जा के साथ काम कर सकेंगे और प्रज्ञा केंद्रों की स्थापना का उद्देश्य सार्थक होगा. सुना है कि प्रज्ञा केंद्रों के लिए सरकार पंचायत सचिवालयों में मिनी सोलर प्लांट की स्थापना करने जा रही है, इससे हमारी समस्याएं काफी हद तक निबट सकती हैं. हमें काम करने में आसानी हो जायेगी, तो इसका फायदा गांव के आम लोगों को मिलेगा, जिन्हें नेट से जुड़े छोटे-छोटे काम के लिए शहरों और कस्बों की ओर दौड़ लगाना पड़ता है.
इंटरनेट और बिजली की समस्या किस तरह आपके कार्यों को प्रभावित करती है?
काम के दौरान आने वाली इन समस्याओं के कारण हम समय पर ग्रामीणों को सर्टिफिकेट निर्गत नहीं कर पाते हैं, जिससे ग्रामीणों का काम बाधित होता है. यह बात दीगर है कि हम ग्रामीणों से पहले से ही सर्टिफिकेट बनाने के लिए ज्यादा समय मांग लेते हैं, लेकिन सच्चई यही है कि अगर काम के दौरान यह परेशानियां न आयें, तो वह जल्दी संपन्न हो जाये.
इसके अलावा हमारे काम के घंटे तय होते हैं, मगर कई दफा ऐसा होता है कि हम पूरे-पूरे दिन बिजली और नेटवर्क कनेक्शन के इंतजार में खाली बैठे रह जाते हैं. इससे काम की गति निश्चित तौर पर प्रभावित होती है. इन दिनों आधार कार्ड निर्माण का जिम्मा भी प्रज्ञा केंद्रों को मिला हुआ है. दिन भर लोगों की भीड़ प्रज्ञा केंद्र पर होती है, सोचिये अगर ऐसे में बिजली या नेट कनेक्शन की वजह से हमारा काम बाधित हो जाये तो हमारे से सैकड़ों लोगों को परेशानी होती है.
क्या सर्टिफिकेट समय पर नहीं मिलने पर ग्रामीण दबाव बनाते हैं?
देखिए, अगर किसी को सर्टिफिकेट समय पर नहीं मिलेगा, तो उसका रिस्पांस अच्छा नहीं ही होगा, लेकिन तब हमें समझदारी दिखानी पड़ती है और हम ग्रामीणों को समझा-बुझाकर काम चला लेते हैं. अगर किसी को सर्टिफिकेट की आवश्यकता अत्यधिक होती है, तो फिर हम शहर जाकर उसके कार्यों को पूरा करते हैं, जहां बिजली और इंटरनेट की समस्या नहीं रहती है. आज तक तो ग्रामीणों की वजह से हमें कोई खास परेशानी नहीं हुई है. जहां तक बात मारपीट की है, तो ऐसी नौबत कभी आयी नहीं है.
आपकी सेवा प्रदाता कंपनी के साथ आपके कैसे रिश्ते हैं? क्या वह आपकी बातों व शिकायतों को तरजीह देती है?
जी, हां. हमारा हमारी सेवा प्रदाता कंपनी के साथ संबंध बहुत अच्छा है. वह हमारी शिकायतों पर पर्याप्त ध्यान देती है और उन्हें अतिशीघ्र दूर करने का प्रयास भी करती है. यही कारण है कि हमारे आपसी रिश्तों में कोई परेशानी नहीं है. छोटी-मोटी परेशानियां हो सकती हैं, मगर आम तौर पर कोई बड़ी परेशानी नहीं होती है.
जैपआइटी (सूचना प्रौद्योगिकी के लिए राज्य सरकार की एजेंसी) से भी आपलोग संपर्क में रहते हैं, उनके साथ आपके कैसे रिश्ते हैं? सरकारी अधिकारियों से कैसा रिस्पांस मिलता है?
दूसरों की बात तो नहीं बता सकता हूं मगर हमारे प्रखंड देवीपुर के बीडीओ शैलेश कुमार सिंह के साथ हमारे बहुत अच्छे संबंध हैं. उनके मार्गदर्शन में हम सभी कार्य कर रहे हैं. वे हमें समय-समय पर निर्देश देते रहते हैं, जिनकी मदद से हमारा काम आसान हो जाता है. हमें कोई दिक्कत नहीं है.
जब आप प्रखंड स्तर की बैठकों में अपनी समस्या उजागर करते हैं, तो क्या बीडीओ उनपर ध्यान देते हैं?
जी हां. जब कभी हम बैठक में अपनी समस्याओं को उठाते हैं, तो उसे सुना जाता है. बीडीओ हमारी समस्याओं को प्राथमिकता सूची में रखते हैं और यथाशीघ्र उसका समाधान करवाया जाता है. मगर दूसरे प्रखंडों में भी ऐसा होता होगा यह गारंटी से नहीं कहा जा सकता, मगर मेरे प्रखंड में ऐसी परेशानी न के बराबर है.
आप एक प्रज्ञाकेंद्र संचालक हैं, इस कार्य से आपको कितनी मासिक आमदनी होती है?
हमें कोई वेतनमान तो मिलता नहीं है, लेकिन गांव के उपभोक्ताओं को एक सर्टिफिकेट निर्गत करने पर हमें तीन रुपये की आमदनी होती है. महीने में मैं औसतन तीन से चार हजार रुपये कमा लेता हूं.
प्रज्ञाकेंद्र के जरिये आप सिर्फ सर्टिफिकेट निर्गत करने का काम करते हैं या फिर अन्य योजनाओं का भी संचालन करते हैं?
फिलहाल हम इ-नागरिक सेवा और आधार योजना का ही अपने केंद्र से संचालन कर रहे हैं. हम यह प्रयास कर रहे हैं कि ग्रामीणों को सर्टिफिकेट के लिए प्रखंड तक नहीं आना पडे, इसके लिए हमने पंचायत स्तर पर भी सर्टिफिकेट बनाने का काम शुरू कर दिया है. आधार कार्ड भी पंचायत में ही बनाये जा रहे हैं. हमारा यह प्रयास है कि अन्य योजनाओं को भी हम केंद्र से उपलब्ध करायें. हमारी यह मांग है कि मनरेगा योजना को प्रज्ञाकेंद्र के जरिये संचालित किया जाये, लेकिन अभी यह मांग पूरी नहीं हुई है.
एक मास्टर वीएलइ के रूप में आपका अनुभव कैसा है? क्या आप आगे भी इसी कार्य से जुड़े रहना चाहते हैं या नहीं?
एक मास्टर वीएलइ के रूप में मेरा अनुभव काफी अच्छा है. ग्रामीणों से अच्छा रिस्पांस मिलता है. सरकारी अधिकारी भी महत्व देते हैं. अपनी अलग पहचान बन गयी है. ग्रामीणों के लिए काम करके अच्छा महसूस करता हूं, ऐसा प्रतीत होता है कि मैं अपने समाज के लिए कुछ कर पा रहा हूं, इसलिए मैं आगे भी अपने कार्य से जुड़ा रहना चाहता हूं.