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घाटशिला के दारीसाई स्थित आदिम जनजाति सबरों की बस्ती का हाल, 55 में 23 सबरों की हो गयी मौत

गालूडीह: आदिम जनजाति सबर का अस्तित्व खत्म होने के कगार पर है. घाटशिला के दारीसाई में स्थित सबरों की बस्ती कभी गुलजार रहा करती थी. पांच साल पहले इस बस्ती में सबरों के 14 परिवार के करीब 55 सदस्य रहा करते थे. पर पिछले पांच सालों में इनमें से 23 सदस्यों की मौत हो गयी. […]

गालूडीह: आदिम जनजाति सबर का अस्तित्व खत्म होने के कगार पर है. घाटशिला के दारीसाई में स्थित सबरों की बस्ती कभी गुलजार रहा करती थी. पांच साल पहले इस बस्ती में सबरों के 14 परिवार के करीब 55 सदस्य रहा करते थे. पर पिछले पांच सालों में इनमें से 23 सदस्यों की मौत हो गयी. इससे सबरों का छह परिवार पूरी तरह खत्म हो गया.

गरीबी और बीमारी ने इन्हें लील लिया. इन छह सबर परिवारों को आवंटित बिरसा आवास वीरान पड़े हैं. ये आवास अब जजर्र हो गये हैं. इस बस्ती में अब सिर्फ आठ परिवार के 32 सदस्य ही बचे हैं. सभी मुफलिसी की हालत में जी रहे हैं. गरीबी और बीमारी में जी रहे इन सबर परिवारों को देखनेवाला कोई नहीं है. पिछले एक माह से बीमार बाही सबर को शुक्रवार को किसी तरह एमजीएम में भरती कराया गया. वह पिछले तीन दिनों से बेसुध थी. गुरुवार को प्रशासन की ओर से इस बस्ती से थोड़ी ही दूर पर जनता दरबार लगाया गया, पर अधिकारियों की नजर इन सबरों पर नहीं पड़ी.

कभी 40 से अधिक परिवार थे
दारीसाई में बसने से पहले सबरों के लिए खड़िया कॉलोनी बनायी गयी थी. इस कॉलोनी में 40 से अधिक सबर परिवार रहा करते थे. पर इनको मिले इंदिरा आवास टूट गये. कुछ तो काफी जजर्र हालत में हो गये. गरीबी और बीमारी से कई सबर परिवार मारे गये. कुछ दूसरी जगह चले गये. बाद में प्रशासन ने दारीसाई के पास सरकारी भूखंड पर सबरों के लिए फिर से आवास बनवाये. पर तब तक 40 में से मात्र 14 सबर परिवार ही जीवित थे. इन 14 परिवारों के नाम पर बिरसा आवास बना दिये गये. इसके बाद से इनकी सुध लेनेवाला कोई नहीं है.
आदिम जनजाति के लिए चल रही कई योजनाएं
विलुप्त होती आदिम जनजाति की रक्षा और उत्थान के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही हैं. हर साल करोड़ों रुपये खर्च कर रही है.
– इनके विकास कार्यक्रम के लिए 13 वें वित्त आयोग, संविधान की धारा 275 (1) और राज्य योजना से बजटीय प्रावधान किया जाता है
– सरकार की ओर से आदिम जनजाति संवर्ग में प्रत्येक परिवार के लिए मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना चलायी जा रही है. इसके लिए प्रत्येक परिवार को 35 किलो खाद्यान्न प्रति माह दिया जाता है
– राज्य योजना मद से ही बिरसा आवास भी बनवाया जा रहा है. इसके लिए प्रत्येक लाभुकों को एक लाख रुपये दिये जाते हैं
– पीटीजी समूह के बच्चों के लिए दीवाकालीन विद्यालय भी चलाया जा रहा है. कुल 32 दीवाकालीन विद्यालय सरकार चला रही है
– तीन जगहों पर पहाड़िया विशेष स्वास्थ्य योजना भी चलायी जा रही है.
– व्यावसायिक प्रशिक्षण के तहत इंडो डेनिस टूल रूम जमशेदपुर में इस वर्ष से 50 पीटीजी बच्चों को डिप्लोमा कोर्स के लिए पढ़ाई करायी जायेगी. प्रत्येक छात्रों पर सरकार 1.60 लाख रुपये दो वर्षो में खर्च करेगी. राज्य सरकार प्रत्येक स्नातक पीटीजी को सीधी नियुक्ति का अवसर भी मुहैया करा रही है
– सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत सभी परिवारों को वृद्धावस्था पेंशन (600 रुपये प्रति माह) दी जा रही है.
‘‘हमारी जाति के लोग गरीबी और बीमारी से मरते जा रहे हैं. छह परिवार के सभी सदस्य मर चुके हैं. शेष परिवार भी कष्ट में हैं. बीमार पड़ने पर इलाज नहीं होता. दवाइयां नहीं मिलती.
मंगली सबर, वृद्धा
‘‘इस सबर बस्ती में 14 परिवार थे. 14 बिरसा आवास बने थे. अब तक छह परिवार विलुप्त हो चुक हैं. उनके आवास वीरान हंै. यहां आठ सबर परिवार बचे हैं. गरीबी, अशिक्षा, नशा और बीमारी से सबर मरते जा रहे हैं.
तारापद सिंह, ग्राम प्रधान, दारीसाई
इन सबरों की हो चुकी है पांच सालों में मौत
मृतक
1. च्रक सबर (42)
2. पोटाई सबर (35)
3. कन्हाई सबर (35)
4. जोबा रानी सबर (22)
5. मंगलू सबर (35)
6. दशरथ सबर (55)
7. गोना सबर ( 50)
8. शुरू सबर (60)
9. लखी सबर (55)
10. लखी सबर (55)
11. जोबा वाली सबर (24)
12. ताल सबर (50)
13. पुतूल सबर (37)
14. बुका सबर (41)
15. शंभू सबर (25)
16. मंटू सबर (30)
17. पाति सबर (40)
18. लखी सबर (36)
19. बुद्धेश्वर सबर (45)
20. फूलमनी सबर
21. पुगी सबर
22. शांति सबर
23. वैशाखी सबर (35)

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