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पसंद को दिया कैरियर का रूप

नुपुर भरवाड़ा ने जब मुंबई में चॉकलेट बुके के व्यवसाय की शुरुआत की थी, तब यह कॉन्सेप्ट इस शहर के लिए बिल्कुल नया और अलग था. खुद नुपुर ने भी कभी यह नहीं सोचा था कि उनके जिस प्रोडक्ट के बारे में लोग जानते तक नहीं हैं, एक दिन वही चॉकलेट बुके यहां के सितारों […]

नुपुर भरवाड़ा ने जब मुंबई में चॉकलेट बुके के व्यवसाय की शुरुआत की थी, तब यह कॉन्सेप्ट इस शहर के लिए बिल्कुल नया और अलग था. खुद नुपुर ने भी कभी यह नहीं सोचा था कि उनके जिस प्रोडक्ट के बारे में लोग जानते तक नहीं हैं, एक दिन वही चॉकलेट बुके यहां के सितारों को तोहफे के रूप में भेजे जायेंगे. आइए मिलते हैं नये कॉन्सेप्ट के साथ नयी राह पर चलनेवाली नुपुर भरवाड़ा से..

प्राची खरे

मार्केटिंग से एमबीए करने के बाद मुङो आसानी से एक अच्छी नौकरी मिल सकती थी, लेकिन पढ़ाई खत्म करते ही जब कैरियर को दिशा देने की बारी आयी, तो जॉब करने की बजाय मुझेअपना व्यवसाय शुरू करना ज्यादा बेहतर लगा. शुरू से ही मुझेमां के हाथ की बनी चॉकलेट अच्छी लगती थी और मां के साथ मिल कर मैं आये दिन चॉकलेट रेसिपीज में कुछ-न-कुछ नये प्रयोग करती रहती थी. चॉकलेट के प्रति इसी लगन को देखते हुए मैंने चॉकलेट मेकिंग का कोर्स करने का फैसला किया और इसके लिए मैं ऑस्ट्रेलिया चली गयी. ऑस्ट्रेलिया से आने के बाद मैं डिजायनर चॉकलेट तैयार करने के कई प्रोफेशनल तरीके सीख चुकी थी. तभी मुङो लगा कि खास अवसरों पर लोग अपने परिजनों और मित्रों को बुके और चॉकलेट गिफ्ट करते हैं, क्यों न मैं इस कॉन्सेप्ट को मिला कर चॉकलेट बुके भेंट करने के नये चलन की शुरुआत करूं. फिर क्या था, उसी दिन से मैंने इस कॉन्सेप्ट पर काम करना शुरू कर दिया.

मुश्किल था अच्छी टीम तैयार करना

जिस वक्त मैंने इस काम को शुरू किया, उस वक्त चॉकलेट बुके के बारे में मुंबई के लोग जानते तक नहीं थे. ऐसे में इसे तैयार करने से लेकर लोगों को इसके बारे में बताना और कस्टमर ढूंढ़ना हमारे लिए काफी चुनौतीपूर्ण था. हालांकि, फंड के मामले में हमें सामग्री पर ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ा, लेकिन एक अच्छी टीम तैयार करने और उन्हें प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग देने में ज्यादा खर्च करना पड़ता था. इसलिए शुरुआती दौर में पांच लोगों की टीम को ट्रेनिंग देने का काम मैंने खुद किया.

प्रदर्शनी लगा कर फैलायी जागरुकता

स्टाफ को ट्रेंड करने और बिजनेस लाने के शुरुआती दिनों में काफी चुनौतियां आयीं. लोगों तक चॉकलेट बुके के नये कॉन्सेप्ट को पहुंचाने के लिए मैंने प्रदर्शनी लगानी शुरू कर दी. इसके लिए मैंने आस-पास के मॉल्स में अपने बुके की प्रदर्शनी लगायी. इसका फायदा यह हुआ कि भले ही लोग प्रदर्शनी में मेरे प्रोडक्ट नहीं खरीदते थे, लेकिन उनमें प्रोडक्ट को देखने और इनके बारे में जानने लगे. इसके अलावा जब कोई हमारा प्रोडक्ट किसी को गिफ्ट करता, तो उसे देखनेवाले इस नयी तरह की चीज को देख कर उसे लेने की ख्वाहिश रखने लगे. इसी तरह मुङो छोटे-छोटे ऑर्डर्स मिलने लगे और व्यवसाय धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा.

चुनौतियों का भी है मजा

आज मेरे व्यवसाय को चार साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन मेरे लिए चुनौतियां कम होने की बजाय बढ़ गयी हैं. दरअसल, अब अन्य लोगों ने भी इस व्यवसाय की शुरुआत कर दी है. ऐसे में अपने प्रोडक्ट की सेल बढ़ाना और क्लाइंट्स को शिकायत का मौका न देना जरूरी हो गया है. कांपटीशन के चलते अब मैंने ट्रेंड स्टाफ हायर करना शुरू कर दिया है. मैं उन्हें और बेहतर बनाने के लिए समय-समय पर ट्रेनिंग देती रहती हूं. देखा जाये तो चुनौतियां हर व्यवसाय में होती हैं और इनका भी अपना मजा होता है.

तैयारी है और आगे बढ़ने की

आज मेरा व्यवसाय अच्छी गति के साथ आगे बढ़ रहा है और जल्द ही मैं मुंबई के अलावा अन्य शहरों में भी अपनी शाखा शुरू करने की प्लानिंग कर रही हूं. इसके साथ ही मैंने ऑनलाइन ऑर्डर्स लेना और होम डिलीवरी की सुविधा देनी भी शुरू कर दी है. ताकि क्लांट्स तक बहुत ही आसानी से मेरे चॉकलेट बुके की खुशबू और मिठास पहुंच सके.

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