नयी दिल्ली :पीड़ितों के लिए शीघ्र न्याय सुनिश्चित करने की खातिर दुष्कर्म मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों की स्थापना को नाकाफी बताते हुए उच्चतम न्यायालय ने ऐसे मामलों के शीघ्र निबटारे के लिए कानून में ‘प्रभावी’ संशोधन के पक्ष में राय जाहिर की है.
न्यायमूर्ति ज्ञानसुधा मिश्र की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, इसमें कोई शक नहीं है कि दुष्कर्म के आरोपों से जुड़े मामलों के शीघ्र निबटारे के लिए फास्ट ट्रैक अदालतें गठित की गयी हैं, लेकिन यह देख कर हम व्यथित हैं कि ऐसे मामलों के निबटारे के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों के बावजूद अब तक हमारे पास फास्ट ट्रैक प्रक्रिया नहीं है, जिसके फलस्वरूप ऐसे जघन्य अपराध लगातार हो रहे हैं. पीठ ने कहा, हमारी राय है कि आपराधिक दंड संहिता में प्रभावी संशोधन करने की जरूरत है.
त्वरित प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए कानून में संशोधन की खातिर केंद्र द्वारा कोई उपाय न किये जाने पर चिंता जताते हुए उच्चतम न्यायालय ने सरकार से जानना चाहा कि दुष्कर्म के मामलों में पीड़ित और गवाह के बयान न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा रिकॉर्ड क्यों नहीं कराये जाते, जिन्हें प्रमाण के तौर पर माना जा सके. पुलिस द्वारा रिकॉर्ड किया गया बयान स्वीकार्य नहीं होता. पीठ ने कहा कि अगर न्यायिक मजिस्ट्रेट पीड़ित तथा अन्य गवाहों के बयान रिकॉर्ड करे तो बार-बार इन लोगों के बयान लेने पर रोक लग जायेगी क्योंकि सुनवाई में विलंब का एक कारण यह भी है.