12.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

लीडर वही होगा, जो टीम को बांध कर रख सकेगा

।।दक्षा वैदकर।।कई लोगों को लगता है कि यह कंपीटीशन का जमाना है. अगर हम ज्यादा काम नहीं करेंगे, तो पीछे रह जायेंगे. इस भावना के चलते लोग ढेर सारा तनाव ले लेते हैं और एक-दूसरे की टांग खींचने से भी नहीं चूकते. परिणामस्वरूप ऑफिस का माहौल नकारात्मक हो जाता है. हमें समझना होगा कि आज […]

।।दक्षा वैदकर।।
कई लोगों को लगता है कि यह कंपीटीशन का जमाना है. अगर हम ज्यादा काम नहीं करेंगे, तो पीछे रह जायेंगे. इस भावना के चलते लोग ढेर सारा तनाव ले लेते हैं और एक-दूसरे की टांग खींचने से भी नहीं चूकते. परिणामस्वरूप ऑफिस का माहौल नकारात्मक हो जाता है. हमें समझना होगा कि आज कंपीटीशन (स्पर्धा) से ज्यादा जरूरी कॉपरेशन (सहयोग) है. जब आप में स्पर्धा की जगह सहयोग की भावना आ जायेगी, तो ऑफिस का माहौल सकारात्मक हो जायेगा और आप बेहतर काम कर पायेंगे.

यही वजह है कि आज कई कंपनियां अपने कर्मचारियों में आइक्यू (बौद्धिक स्तर) से ज्यादा इक्यू (भावनात्मक स्तर) पर ध्यान दे रही हैं. कंपनी उस व्यक्ति को लीडर नहीं चुनती, जो प्रतिभाशाली हो, तेजी से काम करता हो और केवल अपने बारे में सोचता हो. बल्कि वह उस व्यक्ति को लीडर चुनती है, जो भले ही ज्यादा प्रतिभाशाली न हो, लेकिन अपनी टीम के सभी सदस्यों को साथ लेकर चलता हो, जिसका दिमाग स्थिर हो. जो हर परिस्थिति पर काबू पा सकता हो.

एक उदाहरण लें. एक कंपनी के आइटी डिपार्टमेंट की टीम ने कोई प्रोजेक्ट तैयार किया. अंतिम क्षणों में उसमें एरर आ गया. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उस वक्त टीम के लोगों को कैसा महसूस होगा जिन्होंने महीनों उस प्रोजेक्ट पर दिन-रात काम किया. अपनी व्यक्तिगत जिंदगी, पारिवारिक जिंदगी सब को परे रख कर प्रोजेक्ट पर मेहनत की. निश्चित रूप से सभी परेशान हो जायेंगे, गुस्सा करेंगे. सबसे बड़ी बात तब शुरू हो जायेगा ब्लेम गेम. हर व्यक्ति खुद को बचाने के लिए सामनेवालो को दोष देगा कि मेरी नहीं, तुम्हारी गलती थी.

सभी के बात करने का लहजा बदल जायेगा. आवाज ऊंची हो जायेगी. उस वक्त ऑफिस का वातावरण पूरी तरह से नकारात्मक हो चुका होगा. ऐसी परिस्थिति में लीडर वही होगा, जो इन सभी को दोबारा एक धागे में पिरोने का काम करेगा. जिसकी आवाज सामान्य होगी, दिमाग स्थिर होगा और जो कहेगा जो हो गया, सो हो गया. अब समस्या का हल तलाशा जाये. दरअसल लीडर वही होगा, जो जानता है कि प्रोजेक्ट आज नहीं, तो कल बन ही जायेगा, लेकिन टीम टूट गयी, तो दोबारा नहीं जुड़ पायेगी.

बात पते कीः

-अच्छा लीडर समस्या पर नहीं बल्कि हल पर ध्यान देता है. वह किसी को दोष नहीं देता. वह जिम्मेवारी उठाता है और दोबारा काम पर जुट जाता है.

-अपने साथियों से स्पर्धा न करें. उन्हें सहयोग दें. यह भावना होगी, तो आप सभी किसी भी समस्या का सामना कर सकते हैं. साथ आगे बढ़ सकते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें