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ऑनलाइन करें भगवान के दर्शन

भक्ति ई-कॉमर्स पर मंदिरों के ऑनलाइन दर्शन और प्रसाद तकनीक के इस दौर में भगवान के दर्शन करने और उन्हें प्रसाद चढ़ाने की व्यवस्था भी हाइटेक हो चुकी है. कई टेक कारोबारी भक्तों को वैष्णो देवी से लेकर शिरडी साई मंदिर और तिरुपति से लेकर विश्वनाथ मंदिर के दर्शन, आरती घर बैठे ऑनलाइन करा दे […]

भक्ति ई-कॉमर्स पर मंदिरों के ऑनलाइन दर्शन और प्रसाद

तकनीक के इस दौर में भगवान के दर्शन करने और उन्हें प्रसाद चढ़ाने की व्यवस्था भी हाइटेक हो चुकी है. कई टेक कारोबारी भक्तों को वैष्णो देवी से लेकर शिरडी साई मंदिर और तिरुपति से लेकर विश्वनाथ मंदिर के दर्शन, आरती घर बैठे ऑनलाइन करा दे रहे हैं. वह भी बिना कतार में खड़े हुए. यही नहीं, यहां आपके नाम का प्रसाद चढ़ा कर उसे आप तक पहुंचाने की भी व्यवस्था है. वेब आधारित नये उद्यमों पर आधारित इस श्रृंखला की दूसरी कड़ी में आज पढ़ें ऑनलाइन भक्ति के बारे में.

राजीव चौबे

पांच सौ साल पहले संत कबीर कह गये, ‘मोको कहां ढूंढ़े रे बंदे, मैं तो तेरे पास में’ और पिछले साल ‘पीके’ बने आमिर खान ‘भगवान है कहां रे तू’, गाते नजर आये थे. अब कबीर और पीके को भगवान मिले या नहीं, यह तो बाद की बात है लेकिन सांसारिक मोह में पड़े हम इनसान भगवान की तलाश सदियों से करते आ रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे. बहरहाल, मंदिर-मसजिद में ईश्वर को तलाशने के अलावा तकनीक ने हमें एक और जरिया मुहैया कराया है – ऑनलाइन दर्शन और ऑनलाइन प्रसाद. और तो और, त्योहारों पर पंडित भी ऑनलाइन मिल रहे हैं.

इसके अलावा, शिरडी साई और तिरुपति जैसे बड़े मंदिरों में भारी-भीड़ और लंबी कतार से बचने की इच्छा रखनेवाले वीआइपी दर्शन या साधारण दर्शन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी करा सकते हैं.

50 से ज्यादा धार्मिक स्थलों, ट्रस्टों और मंदिरों ने ऑनलाइन प्रसाद बेचना शुरू किया है और कुछ मंदिरों ने तो ऑनलाइन दर्शन की सुविधा भी शुरू की है. इसी क्रम में पिछले दिनों उज्जैन के महाकाल के लाइव दर्शन करने के लिए मंदिर समिति ने महाकालेश्वर ज्योतिर्लिग नाम से मोबाइल ऐप लांच किया. इस ऐप में भस्म आरती बुकिंग से लेकर धर्मशाला की बुकिंग और लाइव दर्शन की सुविधा है.

यही नहीं, गूगल के प्लेस्टोर से डाउनलोड होनेवाला यह ऐप मंदिर का प्रसाद मंगवाने, के साथ-साथ दान करने में भी मदद करेगा. ऑनलाइन सुविधा के तहत घर बैठे विशेष दर्शन 151 रुपये की बुकिंग भी महाकाल वेबसाइट पर करायी जा सकेगी. उज्जैन आने पर श्रद्धालु इंटरनेट से प्राप्त बारकोड रसीद दिखा कर मंदिर में विशेष दर्शन हेतु प्रवेश कर सकेंगे.

यानी, भक्ति के इस क्षेत्र में भी कई टेक -खिलाड़ी अपने उद्यम चला कर आस्था को ‘कैश’ कर रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक वेब आधारित आध्यात्मिक सेवाएं मुहैया करानेवाली कंपनियों का बाजार 30 से 50 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है. यही नहीं, भक्ति के सीजन में यह बढ़त दस गुणा तक बढ़ जाती है. इस बारे में ‘ऑनलाइन प्रसाद’ नाम की कंपनी चलानेवाली गुंजन मल ने कई साक्षात्कारों में यह माना है कि हर साल अगस्त में जन्माष्टमी के साथ शुरू होनेवाला त्योहारी मौसम नवंबर में दीवाली तक चलता है.

इस दौरान उन्होंने भक्ति ई-कॉमर्स के कारोबार को 300 प्रतिशत की दर से हर महीने बढ़ते हुए भी देखा है. ऑनलाइन प्रसाद के अलावा उनकी कंपनी ग्राहक के लिए अलग-अलग मंदिरों में कई तरह की पूजाएं भी करवाती है, जिसके लिए ऑनलाइन भक्त को 501 रु पये से 51 हजार रु पये तक की कीमत चुकानी होती है.

ऐसी ही एक वेबसाइट है ‘ऑनलाइन टेंपल डॉट कॉम’. इसकी टैगलाइन है ‘श्रद्धा, भक्ति और आशीर्वाद, जब मन चाहे’. सच में, इस कंपनी की ऑनलाइन पूजा और प्रसाद की सेवाओं के दायरे में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के बड़े मंदिर आते हैं, इनमें जम्मू स्थित वैष्णो देवी, काशी विश्वनाथ, बाबा वैद्यनाथ, बंगाल के तारापीठ व कालीघाट मंदिर सहित खाटू श्याम जी, मनसा देवी, शनि शिंगनापुर, तिरुपति बालाजी जैसे कई बड़े और जाने-माने मंदिर शामिल हैं. यही नहीं, इस वेबसाइट पर आपको प्रसाद से लेकर पवित्र जल भी मिलेगा. गंगाजल के लिए आपको तीन सौ रुपये और कैलाश मानसरोवर के पवित्र जल के लिए सात सौ 51 रुपये खर्च करने होते हैं.

इसी क्रम में एक अन्य वेबसाइट है ‘डिवाइन इंडिया डॉट कॉम’. यहां पर आपको हर धर्म के प्रार्थना/इबादत स्थलों के लाइव और नॉन लाइव वीडियो देखने को मिलते हैं. कंप्यूटर या टीवी की स्क्रीन पर स्वामीनारायण मंदिर (गुजरात), ज्वाला जी मंदिर (हिमाचल), सीस गंज (दिल्ली), तख्त श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारा (पटना), ख्वाजा दरगाह शरीफ (अजमेर), हाजी अली (मुंबई), आइसी चर्च (पणजी), इन्फैंट जीसस चर्च (बेंगलुरु), श्री चिंतामणि जैन मंदिर (बीकानेर), साम्मेद शिखरजी जैन मंदिर (पारसनाथ) के सजीव वीडियो देखने को मिलते हैं. आप घर बैठे प्रसाद भी मंगा सकते हैं, बस आपको इस वेबसाइट की सेवाएं सब्सक्राइब करने की देर है.

इन सबके अलावा, एक अन्य वेबसाइट ‘शुभपूजा डॉट कॉम’ अपनी टैगलाइन में लिखती है, ‘कनेक्टिंग गॉड इन वन क्लिक’, जिसे हिंदी में ‘एक क्लिक में भगवान से जोड़ना’ कहा जा सकता है. यह वेबसाइट प्रकांड पंडितों से अलग-अलग अवसरों पर आपके लिए पूजा कराने का दावा करती है.

इसके साथ ही ज्योतिषीय सलाह की सेवा भी यहां उपलब्ध है. एक निश्चित शुल्क अदा कर आप ज्यातिषियों की सेवा ले सकते हैं. यही नहीं, इस वेबसाइट के जरिये आप रक्षाबंधन और होली जैसे अवसरों के लिए अपने स्नेहीजनों को उपहार भी उनके पते पर भिजवा सकते हैं.

इसी क्रम में गूगल के पूर्व कर्मचारी आबिद खान ने हैदराबाद में ‘प्राउड उम्माह डॉट कॉम’ की शुरुआत की है. यह वेबसाइट हज और उमरा के लिए मक्का जानेवाले इसलाम धर्मावलंबियों के लिए जरूरी साजो-सामान मुहैया कराता है. इसके अलावा, इस कंपनी के 12 सौ कारिंदों का नेटवर्क जायरीनों को उनके शहर से लेकर मक्का तक के सफर और वहां से लौटने के दौरान जरूरी जानकारियां देने के अलावा जकायदों पर पेश आनेवाली रस्म-ओ-रिवायतों से आगाह कर उनकी जियारत को सुकूनदेह बनाता है.

अक्सर देखा जाता है कि पूजा-त्योहरों पर पंडित ढूंढ़े नहीं मिलते. इस समस्या का भी समाधान भक्ति ई-कॉमर्स बाजार में है. ‘व्हेयर्स माइ पंडित डॉट कॉम’ नाम की साइट पर जाकर आप अपने बजट और जरूरत का पंडित बुला सकते हैं. तब पंडितजी तय समय पर आपके घर जाकर अनुष्ठान संपन्न करायेंगे.

इस वेबसाइट का दावा है कि उसके पास सुयोग्य पंडितों का पैनल है और हर शहर में उनका नेटवर्क तैयार करने के प्रयास तेज हैं. यह पोर्टल अलग-अलग बजट और श्रेणियों में ग्राहकों को यह सहूलियत देता है कि वह सामग्री और सेवाओं का चयन खुद कर अपना किट तैयार करें.

लेकिन इन सब बातों के साथ यह जानना भी जरूरी है कि आस्था के इस कारोबार में कभी-कभार फर्जीवाड़े भी सामने आते हैं. अभी कुछ दिनों पहले की ही बात है, बॉलीवुड अभिनेता डिनो मोरिया की वेबसाइट आइ-भक्ति पर ऐसे ही आरोप लगे थे. इसमें बताया गया कि इस वेबसाइट ने काशी विश्वनाथ का प्रसाद ऑनलाइन उपलब्ध कराने के नाम पर भक्तों के साथ ठगी की है और वेबसाइट का विश्वनाथ मंदिर के साथ कोई संबंध नहीं है.

इस बारे में क्षेत्र के विशेषज्ञ बताते हैं कि आध्यात्मिक चीजों का ऑनलाइन बाजार लगभग 25 हजार करोड़ रुपये का है और भारत में चूंकि धर्म का दायरा बहुत बड़ा है, ऐसे में यह बस विश्वास की बात है और लोगों को सावधानी बरतनी होगी. इसके साथ ही अगर इस कारोबार से जुड़े लोग ग्राहकों के भरोसे पर खरे उतरते हैं तो इसका फायदा उन्हें ही होगा, यह बात सोलह आने सही है.

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