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एक गांव ऐसा जहां बचे है केवल वृद्ध, लड़के-लड़कियों को ले गये दलाल
गुमला : कोरवा जनजाति बहुल डुमरी के लिटियाचुआं गांव का हाल गुमला : डुमरी प्रखंड के पहाड़ों पर बसे कोरवा आदिम जनजाति बहुल लिटियाचुआं गांव से लड़के-लड़कियां गायब हो रही हैं. गांव में सिर्फ वृद्ध लोग ही बचे हैं. अबतक नौ लड़के- लड़कियों के गायब होने की सूचना है. सभी की उम्र 13 से 17 […]
गुमला : कोरवा जनजाति बहुल डुमरी के लिटियाचुआं गांव का हाल
गुमला : डुमरी प्रखंड के पहाड़ों पर बसे कोरवा आदिम जनजाति बहुल लिटियाचुआं गांव से लड़के-लड़कियां गायब हो रही हैं. गांव में सिर्फ वृद्ध लोग ही बचे हैं. अबतक नौ लड़के- लड़कियों के गायब होने की सूचना है. सभी की उम्र 13 से 17 वर्ष के बीच है. दलाल इन्हें काम दिलाने के बहाने दिल्ली व अन्य शहरों में ले गये.
इनका कोई सुराग नहीं मिला है. गांव के रोघा कोरवा व प्रभु कोरवा ने बताया कि उनके बच्चे छह साल पहले घर से निकले थे. मझगांव का सुनील उन्हें ले गया था. तब से उनके बच्चे वापस नहीं आये. गांव से थाना दूर है. पुलिस के पास जाने में डर लगता है. इसलिए कोई शिकायत भी नहीं की. कभी कोई सरकारी मुलाजिम भी गांव नहीं पहुंचा.
खाली हो रहा गांव : लिटियाचुआं गांव मझगांव पंचायत में आता है. यहां विलुप्त प्राय कोरवा आदिम जनजाति के लोग निवास करते थे. गांव पहाड़ की चोटी पर जंगलों के बीच बसा है. सरकारी सुविधा के नाम पर प्राइमरी स्कूल है. सरकार आदिम जनजाति के संरक्षण पर ध्यान नहीं दे रही है, इसलिए गांव खाली हो रहा है. यहां के शिक्षक संजीव कोरवा ने बताया : गांव से गायब हुए लड़के-लड़कियां बहुत कम पढ़े- लिखे हैं. इस कारण वे लोग बहकावे में आकर कहां चले गये. पता भी नहीं चल रहा है.
हालांकि मझगांव पंचायत की मुखिया ज्योति बहेर देवी ने बताया : जिनके बच्चे गायब हुए हैं, उनके परिजनों द्वारा थाने में केस कराया जायेगा. लड़के- लड़कियां को खोज कर लाने के बाद उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार से जोड़ा जायेगा.
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