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रात के बाद सूर्योदय होगा

महेश पाटिल जुलाई में भी इक्विटी बाजार का बुरा हाल रहा. भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रा को समर्थन प्रदान करने के लिए विभिन्न उपाय किये हैं. नतीजतन, छोटी अवधि की ब्याज दरों में बढ़ोतरी देखी गयी. एक ओर, सरकारी नीतियां अटकी पड़ी हैं, तो दूसरी ओर मौद्रिक नीति ने बाजार को हैरान कर दिया है. […]

महेश पाटिल

जुलाई में भी इक्विटी बाजार का बुरा हाल रहा. भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रा को समर्थन प्रदान करने के लिए विभिन्न उपाय किये हैं. नतीजतन, छोटी अवधि की ब्याज दरों में बढ़ोतरी देखी गयी. एक ओर, सरकारी नीतियां अटकी पड़ी हैं, तो दूसरी ओर मौद्रिक नीति ने बाजार को हैरान कर दिया है. जून तिमाही के नतीजों में मिश्रित तसवीर सामने आयी है. आइटी, एफएमसीजी और निजी बैंकों ने सुदृढ़ विकास किया, जबकि कैपिटल गुड्स, धातु, सीमेंट सेक्टरों ने निराश किया है.

वर्तमान आर्थिक परिवेश में नकारात्मकता कई निवेशकों का उत्साह हिला कर रख सकती है. कहावत है कि सूर्योदय होने से पहले रात जरूर आती है, और मौजूदा परिस्थितियों ने इक्विटी में नये बुल बाजार के बीज बो दिये हैं. शेयर लंबी अवधि की परिसंपत्तियां हैं और उनके मूल्य कारोबार द्वारा अगले 20-30 वर्षो में किये जाने वाले प्रदर्शन पर निर्भर करते हैं. ऐसे में, इक्विटी में निवेश करने से पहले कभी भी स्पष्ट दृष्टिकोण नहीं मिलता. इसलिए, हम बिजनेस मॉडलों और विकास अवसर के आकार की मजबूती पर ध्यान बरकरार रखेंगे. निवेशकों को हमारी सलाह है कि लंबी अवधि के फंडामेंटलों पर ध्यान दें और इक्विटी निवेश के लिए अनुशासित दृष्टिकोण अपनायें. (लेखक बिरला सन लाइफ एएमसी के सह-मुख्य निवेश अधिकारी हैं)

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