दक्षा वैदकर
एक बार की बात है, किसी गांव में एक बहुत धनी, लेकिन कंजूस व्यक्ति रहता था. गांव वाले उससे बहुत नफरत करते थे. एक दिन उस व्यक्ति ने गांव वालों से कहा- या तो तुम लोग मुझसे ईष्र्या करते हो या तुम लोग धन के प्रति मेरे दीवानेपन को ठीक से नहीं समझते. वह तो बस मेरा ईश्वर ही जानता है. मुङो पता है कि आप लोग मुझसे नफरत करते हैं, लेकिन जब मैं मरूंगा, तो अपने साथ यह धन नहीं ले जाऊंगा. मैं यह धन अन्य लोगों के कल्याण के लिए छोड़ जाऊंगा, तब आप सभी लोग मुझसे खुश हो जायेंगे. तब आप लोगों को पता चलेगा कि मैं कंजूस नहीं हूं और सभी का भला चाहता हूं.
उसकी यह बात सुनने के बाद भी लोग उसके ऊपर हंसते रहे. गांव वाले उसके ऊपर जरा भी विश्वास नहीं रखते थे. वह फिर बोला- मैं क्या अमर हूं? मैं भी दूसरे लोगों की ही तरह मरूंगा, तब यह धन सभी के काम आयेगा. उस व्यक्ति को यह समझ में नहीं आ रहा था कि लोग उसकी बातों पर भरोसा क्यों नहीं कर रहे हैं.
एक दिन वह व्यक्ति टहलने गया हुआ था कि अचानक जोरदार बारिश हुई. उसने एक पेड़ के नीचे शरण ली. पेड़ के नीचे उसने सूअर और गाय को खड़ा पाया. सूअर और गाय के बीच बातचीत चल रही थी. वह व्यक्ति चुपचाप उनकी बातें सुनने लगा. सूअर बोला- ऐसा क्यों है कि सभी लोग तुमसे प्रेम करते हैं और मुझसे नफरत? जब मैं मरूंगा, तो मेरे बाल, चमड़ी और मांस लोगों के काम आयेंगे. मेरी तीन-चार चीजें काम की हैं, जबकि तुम सिर्फ एक चीज ही देती हो- दूध. तब भी सब लोग हर वक्त तुम्हारी ही सराहना करते रहते हैं, मेरी नहीं. गाय ने उत्तर दिया- तो सुनो, मैं लोगों को जिंदा रहते हुए दूध देती हूं. इस कारण सभी लोग मुङो उदार समझते हैं और तुम सिर्फ मरने के बाद ही काम आते हो. लोग भविष्य में नहीं, वर्तमान में यकीन रखते हैं. सीधी-सी बात है, यदि तुम जिंदा रहने के दौरान ही लोगों के काम आओ, तो लोग तुम्हारी भी तारीफ करेंगे. सूअर व गाय के संवाद को सुन कर कंजूस व्यक्ति की आंखें खुल गयीं.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
मरने के बाद आपकी चीजों का उपयोग दूसरे लोग ही करेंगे. उस वक्त चीजें देना तो आपकी मजबूरी है. जिंदा रहते हुए चीजें देना उदारता है.
लोगों की अधिक-से-अधिक मदद करें. जिंदा रहते हुए उनकी सहायता करें और देखें कि लोग आपको कितना प्यार करते हैं, सम्मान देते हैं.
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