।। दक्षा वैदकर ।।
हर इनसान में कोई न कोई कमजोरी होती है. आगे वही इनसान बढ़ता है, जो अपनी कमजोरी को जानता है, उसे सुधारता है और उससे उबर जाता है. इसके लिए जरूरत है अपने अंदर झांकने की. लोगों द्वारा की गयी आलोचना को स्वीकार करने की. यहां सवाल यह उठता है कि हम लोगों की आलोचना को किस हद तक स्वीकार करें. हमें यह कैसे पता चलेगा कि किस आलोचना को स्वीकार करना चाहिए और किसे नहीं?
उदाहरण, हम ऑफिस में नयी शर्ट पहन कर जाते हैं. वहां एक दोस्त हमारे शर्ट की बहुत तारीफ करता है और हम खुश हो जाते हैं. वहीं दूसरा दोस्त कहता है कि ‘यार, क्या बकवास शर्ट पहन ली है.’हमारा मूड ऑफ हो जाता है. ऐसी परिस्थिति में हम समझ नहीं पाते कि किस दोस्त की बात मानें. शर्ट दोबारा पहनें या न पहनें.
दोस्तों, सालों पहले अमेरिकी वैज्ञानिकों जॉनिंगम व हैरी ने एक मॉडल तैयार किया. उन्होंने इस मॉडल को नाम दिया था जोहारी विंडो. इसके अनुसार हर व्यक्ति के व्यक्तित्व के चार क्षेत्र होते हैं. पहले क्षेत्र में वो बातें आती है, जो वह अपने बारे में खुद को भी पता हों और दूसरे भी जानते हैं. दूसरे क्षेत्र में वो बातें आती हैं, जो वो खुद को नहीं पता, लेकिन दूसरे जानते हैं. इस दूसरे क्षेत्र को ‘ब्लाइंड एरिया’ कहा जाता है. तीसरा क्षेत्र उन बातों का है, जो वह खुद जानता है, लेकिन दूसरे नहीं जानते. इसे ‘सीक्रेट एरिया’ कहते हैं. चौथा क्षेत्र उन बातों का है जो न वह खुद जानता है और न दूसरे जानते हैं.
हमें ध्यान रखना चाहिए कि हमारा पहला क्षेत्र सबसे बड़ा है. इसके लिए हमें लोगों से अधिक–से–अधिक बातें करनी चाहिए, उन्हें अपने विचार बताने चाहिए. इस तरह हमारे संबंध बेहतर बनते जाते हैं. दूसरी बात, हमें अपने ब्लाइंड एरिया को कम करते जाना चाहिए. दरअसल यही वो क्षेत्र होता है जिसमें लोग आलोचना करते हैं. वे हमें बताते हैं कि हमारे अंदर क्या कमी है और क्या चीज सुधारना चाहिए. हमें लोगों की बातों को सुनना चाहिए, यह देखना चाहिए कि क्या वे सही कह रहे हैं? और यदि वे सही कह रहे हों, तो हमें तुरंत अपनी कमजोरी पर काम करना चाहिए ताकि वह दूर हो जाये.
– बात पते की
* हर कोई हमारी आलोचना सुधारने के मकसद से नहीं करता. कई बार लोग जलन, नुकसान व दुख पहुंचाने की भावना से भी आलोचना करते हैं.