भारत सरकार ने 13 नवंबर से ऐसे किसी भी सौंदर्य उत्पाद के आयात पर रोक लगा दी है जिसे बनाने के लिए जानवरों पर परीक्षण किए गए हों. सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है.
इससे पहले भारत सरकार जून में एक अधिसूचना के जरिए भारत में सौंदर्य उत्पादों के निर्माण के लिए जानवरों पर परीक्षण करने पर रोक लगा चुकी है.
कई सौंदर्य उत्पादों के निर्माण के दौरान मनुष्यों से पहले जानवरों पर उनका परीक्षण किया जाता है, जैसे शैंपू, लिपस्टिक, मशकारा, टूथपेस्ट इत्यादि.
ये परीक्षण खरगोश, चूहे, हैम्सटर और ऐसे ही अन्य जानवरों पर किए जाते हैं.
इन परीक्षणों के लिए जानवरों के संग काफ़ी क्रूर व्यवहार किया जाता है.
जैसे, लिपस्टिक का परीक्षण करने के लिए चूहों का मुँह खोलकर उनके मसूढ़ों पर उसे मला जाता है और देखा जाता है कि उसका चूहों पर क्या असर हुआ है. क्या उनके मसूढ़ों पर छाले पड़े या नहीं.
इसी तरह शैम्पू के लिए खरगोशों को एक मशीन में बंद करके उनकी आंखों की पलकों को हटाकर उनमें शैम्पू का रसायन डाला जाता है और देखा जाता है कि क्या वो आंशिक या पूरी तरह से अंधे हो गए हैं.
शुरुआत
जानवरों पर परीक्षण के मामले में सौंदर्य उत्पाद के लिए किए जाने वाले परीक्षण एक छोटा हिस्सा हैं.
जानवरों पर परीक्षण के व्यापक परिदृश्य को देखें तो यह जीत बहुत कम है मगर यह अच्छी शुरुआत है.
हम तक़रीबन सौ सालों से जानवरों पर परीक्षण करते आ रहे हैं. अगर इतने समय बाद भारत सरकार ने इसे रोका है यह बड़ी बात है.
इससे जानवरों को तो फ़ायदा होगा, साथ ही विज्ञान को भी फ़ायदा होगा.
भारत सरकार का क़दम इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि यह न केवल भारत बल्कि दूसरे देशों की प्रयोगशाला के जानवरों पर भी रोक लगाता है.
(बीबीसी संवाददाता विनीत खरे से बातचीत पर आधारित)
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