हरियाणा के सिरसा शहर के हिसारिया बाज़ार के एक मकान में रेलवे स्टेशन जैसा माहौल है. चाय-कॉफ़ी इच्छा मुताबिक़ मुफ़्त में मिल रही है.
दीवारों पर लगी कांडा भाइयों की तस्वीरें बताती हैं कि यह हरियाणा लोकहित पार्टी का दफ़्तर है. सिरसा के बाज़ार में कभी गोपाल कांडा की दुकान से आज जूतों का कारोबार चलता है.
गोपाल कांडा पिछली बार सिरसा से आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर विधायक बने थे और बाद में हुडा सरकार में मंत्री बने.
जब कांडा पर उनकी एयरलाइन में काम कर रही गीतिका शर्मा को कथित तौर पर खुदकुशी के लिए मजबूर करने और सबूत खुर्द-बुर्द करने के इल्ज़ाम लगे तो ना सिर्फ उन्हें हरियाणा का मंत्री पद छोड़ना बल्कि जेल भी जाना पड़ा.
जूतों के कारोबार से एयरलाइन की मिल्कियत रखने वाले कांडा अब ज़मानत पर रिहा हो गए हैं और हरियाणा लोकहित पार्टी बना कर चुनाव लड़ रहे हैं.
गीतिका कांड का कांडा के अभियान पर असर?
सिरसा में घूम कर और लोगों, राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं से बात करने के बाद ऐसा लगता है कि गीतिका शर्मा की मौत का मामला इस चुनाव से नदारद है.
चाहे कांडा ज़मानत पर हैं, चुनाव लड़ रहे हैं और मामला फ़िलहाल न्यायालय के विचाराधीन है.
कांडा ख़ुद तो इस मामले का अपने चुनावी अभियान पर कतई कोई असर नहीं देखते हैं.
वह कहते हैं, "किस बड़े राजनेता पर ऐसा झूठा मामला दर्ज नहीं हुआ? इस मामले पर किसी से भी बात कर लीजिए, कोई भी इस पर विश्वास नहीं करता."
उनके पार्टी दफ़्तर में बैठे लोगों से और शहर की सड़कों पर चाय की चुस्कियां लेते लोगों से बात करने पर ये बात और साफ हो जाती है.
सवाल ये उठता है कि क्या नेताओं की आपराधिक छवि और इस मामले में कांडा की छवि उन्हें मतदाताओं की नज़र मे अयोग्य नहीं बना रही है?
नेशनल इलेक्शन वाच की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़ हरियाणा में 1343 उम्मीदवारों में से 94 के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज हैं.
स्पष्ट है कि पार्टियां भी टिकट देते वक़्त ऐसी छवि के लोगों को उम्मीदवार बनाने से गुरेज़ नहीं करती है.
ज़बरदस्त दबदबा
हरियाणा लोकहित पार्टी का चुनाव में प्रभाव केवल सिरसा ज़िले तक ही सीमित रहने की संभावना है लेकिन चुनाव बाद के गठजोड़ में इस पार्टी की अहम भूमिका हो सकती है.
गोपाल और उनके भाई गोविंद कांडा का दबदबा इस इलाक़े में ज़बरदस्त है.
नौ उम्मदीवारों ने 100 करोड़ रुपए से ऊपर की संपत्ति घोषित की है जिसमें गोपाल कांडा भी शामिल हैं. उनकी कुल संपत्ति 114 करोड़ रुपए दिखाई गई है.
इस संपत्ति का दबदबा सिरसा की राजनीति पर भी नज़र आया. हरियाणा में इस बार हर बड़ी पार्टी को इस तरह की छोटी लेकिन प्रभावशाली पार्टियों के साथ की ज़रूरत हो सकती है.
‘इस्तीफ़ा हुई पुरानी बात’
वरिष्ठ पत्रकार प्रभु दयाल का कहना है कि ऐसे माहौल में इस मुद्दे पर कोई चर्चा न हुई है और न होगी कि किस वजह से गोपाल कांडा को पिछली बार मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा देना पड़ा.
गोपाल कांडा की दावेदारी के बारे में अंशु छत्रपति कहते हैं, "लोग अपनी वफ़ादारियों और हो सकता जानकारी के अभाव के कारण नेताओं के आपराधिक रिकॉर्ड को नज़रअंदाज़ कर देते हैं."
उधर राजनीतिक दल सीपीआई के जय चंद के अनुसार, "ये लोग तीन-चार महीने पहले ही धार्मक स्थलों पर दान चंद देने शुरु कर देते हैं. मेरा मानना है कि बाद में चाहे सवाल उठते रहें धार्मिक भावनाओं से खेलना और ऐसा दान दाग़ी उम्मीदवारों के काम ही आता है."
सिरसा से कांडा की भाजपा प्रतिद्वंद्वी है सुनीता सेतिया जो पहले कांग्रेस में हुआ करती थीं.
धार्मिक-सांस्कृतिक संगठन डेरा सच्चा सौदा ने उन्हें समर्थन देने की घोषणा की है. डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह इससे पहले कई विवादों में घिरे रहे हैं.
कांग्रेस के उम्मीदवार हैं युवा नेता नवीन केडिया जबकि चौटाली की इंडियन नेशनल लोकदल ने एमएल सिंगला को मैदान में उतारा है.
बसपा के विजय कुमार और हरियाणा जनशक्ति पार्टी के शाम सुंदर भी मैदान में हैं.
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