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इबोला पर क़ाबू पाने में लगेंगे ‘छह महीने’

मेडिकल चैरिटी संस्था मेडिसिंस सैंस फ़्रंटियर्स (एमएसफ़) का कहना है कि पश्चिमी अफ़्रीका में फैले इबोला वायरस पर क़ाबू करने में कम से कम छह महीने लगेंगे. एमएसएफ़ की अध्यक्ष जोने लिउ ने जेनेवा में कहा, "जितनी तेज़ी से हम स्थिति को संभाल रहे थे, हालात उससे कहीं तेज़ी से बिगड़ रहे थे." उन्होंने यह […]

मेडिकल चैरिटी संस्था मेडिसिंस सैंस फ़्रंटियर्स (एमएसफ़) का कहना है कि पश्चिमी अफ़्रीका में फैले इबोला वायरस पर क़ाबू करने में कम से कम छह महीने लगेंगे.

एमएसएफ़ की अध्यक्ष जोने लिउ ने जेनेवा में कहा, "जितनी तेज़ी से हम स्थिति को संभाल रहे थे, हालात उससे कहीं तेज़ी से बिगड़ रहे थे."

उन्होंने यह भी कहा, "अगर हम लाइबेरिया के हालात पर क़ाबू नहीं पाते हैं तो इस क्षेत्र की स्थिति को नियंत्रित करना मुश्किल होगा."

इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने कहा था कि जिस पैमाने पर बीमारी फैली, उसे काफ़ी कम करके आंका गया था.

मृतकों की संख्या बढ़ी

लिउ ने यह भी कहा कि इबोला संकट से निपटने के लिए महीनों की प्रतिबद्धता की ज़रूरत होगी और इसके लिए कम से कम छह महीने लगेंगे.

यह महामारी अफ्रीकी देश गिनी में फ़रवरी से शुरू हुई थी और वहां से लाइबेरिया, सिएरा लियोन और नाइजारिया तक फैल गई.

शुक्रवार तक इस बीमारी से मरने वाले की संख्या बढ़कर 1,145 हो गई.

डब्लूएचओ ने 13 अगस्त तक 76 और मौतों की जानकारी दी थी. अब तक इबोला के 2,127 मामले दर्ज़ किए गए हैं.

लिउ ने महामारी पर काबू पाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहयोग और विश्व स्वास्थ्य संगठन से मजबूत नेतृत्व देने का अनुरोध किया है.

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