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भारत की आन, बान और शान की खास पहचान

समाज, संस्कृति और अर्थव्यवस्था की दृष्टि से महत्वूपर्ण पेड़, पुष्प, पशु, पक्षी, फल, नदी, खेल, गीत, जलीय जीव आदि को हमारे देश में राष्ट्रीय महत्व का दर्जा और सम्मान दिया गया है. दो दिन बाद मनाये जानेवाले स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर आज के नॉलेज में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पहचानों से परिचय करा रहे हैं […]

समाज, संस्कृति और अर्थव्यवस्था की दृष्टि से महत्वूपर्ण पेड़, पुष्प, पशु, पक्षी, फल, नदी, खेल, गीत, जलीय जीव आदि को हमारे देश में राष्ट्रीय महत्व का दर्जा और सम्मान दिया गया है. दो दिन बाद मनाये जानेवाले स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर आज के नॉलेज में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पहचानों से परिचय करा रहे हैं अजय कुमार राय..

राष्ट्रीय पशु : बाघ

बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है. इसकी आठ प्रजातियों में से भारत में पायी जाने वाली प्रजाति को रॉयल बंगाल टाइगर के नाम से जाना जाता है. भारत के अलावा यह नेपाल, भूटान और बंगलादेश जैसे पड़ोसी देशों में भी पाया जाता है. परभक्षी होने के कारण बाघ पारिस्थितिकी संतुलन में प्रमुख भूमिका निभाता है.

इसकी आठ प्रजातियों में से जावा बाघ, बाली बाघ और कैरिबयाई बाघ विलुप्त हो गये हैं. चीनी बाघ विलुप्त होने के करीब हैं और सुमात्रई, साइबेरियाई और भारतीय उपप्रजातियां रेड डेटा बुक में संकटापन्न बतायी गयी हैं. इसके बावजूद विश्व की बाघों की कुल आबादी का 60 फीसदी हिस्सा भारत में ही रहता है. भारत में 1972 में पहली बार बाघों की गणना हुई. तब पता चला कि देश में सिर्फ 1800 बाघ ही बचे हैं.

इन्हें बचाने के लिए इसे राष्ट्रीय पशु घोषित कर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर (बाघ परियोजना) योजना शुरू की. प्रोजेक्ट टाइगर का संचालन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण अथॉरिटी करता है. इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत शामिल किये गये इलाकों को टाइगर रिजर्व घोषित किया जाता है. इन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की मानवीय गतिविधि प्रतिबंधित रहती है. देश में सरकार ने 38 टाइगर रिजर्व घोषित किये हुए हैं.

विडंबना है कि 20वीं सदी के शुरू में जंगलों में रहने वाले बाघों की संख्या एक लाख आंकी गयी थी. और सदी के खत्म होने पर विश्वभर में केवल पांच से सात हजार बाघ बचे हुए थे. 1970 के दशक में अधिकतर देशों में शौकिया शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया गया तथा बाघ की खाल का व्यापार गैर-कानूनी बना दिया गया. बाघ के अंगों, खोपड़ी, हड्डियों, स्नायुतंत्र और खून को लंबे समय से एशियाई लोग, विशेष रूप से चीनी, औषधि और शक्तिवर्धक पेय बनाने में इस्तेमाल करते रहे हैं, जिसका गठिया, मूषक दंश और विभिन्न बीमारियों को ठीक करने, ताकत बहाल करने और कामोत्तेजक के रूप में उपयोग किया जाता है.

इसीलिए इनका अवैध शिकार होता है. शुरू में बाघों की गिनती पहले उनके पंजों के निशान के आधार पर होती थी, लेकिन 2007 की गणना में नयी पद्धति कैमरा ट्रैप का इस्तेमाल किया गया. भारत के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकार की ओर से 28 मार्च, 2011 को जारी बाघ गणना रिपोर्ट के मुताबिक, बाघों की संख्या कम से कम 1,571 और अधिक से अधिक 1,875 है. माना गया है कि देश में अब सिर्फ 1411 बाघ ही बचे हैं.

वहीं वर्ल्‍ड वाइल्ड फंड के अनुसार, दुनिया में सिर्फ 3,200 बाघ बचे हैं. इनके संरक्षण के लिए हर साल बाघ दिवस मनाया जाता है, लेकिन यदि ठोस प्रयास नहीं हुए तो बाघ किताबों के पन्नों तक सिमट कर रह जायेंगे. विशेषज्ञों का मानना है कि साल 2025 तक बाघों के विलुप्त हो जाने का खतरा है.

राष्ट्रीय मुद्रा : भारतीय रुपया

भारतीय रुपया भारत की राष्ट्रीय मुद्रा है. भारत की वर्तमान मौद्रिक प्रणाली का प्रबंध भारतीय रिजर्व बैंक करता है. यह अपरिवर्तनीय कागज करेंसी प्रणाली पर आधारित है. रुपया एक सांकेतिक सिक्का है, जिसका प्रत्यक्ष मूल्य इसमें लगायी गयी धातु के मूल्य से अधिक है.

भारतीय रिजर्व बैंक दो रुपये से एक हजार रुपये तक के नोट छाप सकता है और उन्हें जारी भी कर सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में सिक्के 800 ईसा पूर्व प्रकाश में आये. 1540-1545 के बीच शेरशाह सूरी के शासनकाल के दौरान रुपया का चलन शुरू हुआ था, जो ब्रिटिश शासन के दौरान भी प्रचलन में रहा. इस दौरान इसका वजन 11.66 ग्राम था और इसके भार का 91.7 फीसदी तक शुद्ध चांदी थी. 1770 के बाद भारत में कागज के नोट जारी करने का श्रेय बैंक ऑफ हिंदुस्तान, द जनरल बैंक ऑफ बंगाल एंड बिहार, और द बंगाल बैंक को जाता है.

शुरुआत में कागज के नोटों पर केवल एक तरफ ही छपा होता था. बाद में बैंक नोटों के मुद्रण और वितरण का दायित्व 1935 में भारतीय रिजर्व बैंक के हाथ में आने पर जॉर्ज पंचम के चित्र वाले नोटों के स्थान पर जॉर्ज षष्ठम के चित्र वाले नोट जारी किये गये, जो 1947 तक प्रचलन में रहे. स्वतंत्रता के बाद उनकी छपाई बंद हो गयी और सारनाथ के सिंहों के स्तंभ वाले नोटों ने इनका स्थान ले लिया. भारतीय रुपया 1957 तक 16 आनों में विभाजित रहा, परंतु उसके बाद मुद्रा की दशमलव प्रणाली अपनायी गयी और एक रुपये की गणना 100 पैसों में की जाती है.

महात्मा गांधी वाले कागजी नोटों की श्रृंखला 1996 में शुरू हुई, जो आज तक चलन में है. भारतीय रुपये के नोट के भाषा पटल पर 22 सरकारी भाषाओं में से 15 भाषाओं- असमिया, बंगला, गुजराती, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु और उर्दू में इसका मूल्य मुद्रित है. 1946 तक रुपया ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिग से संबंधित था. रुपये का दर एक शिलिंग और छह पेंस थी. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना हुई और इस कोष के संस्थापक सदस्य होने के कारण भारत को यूएस डॉलर के रूप में रुपये का बाहरी मूल्य निश्चित करना था. 1990 में रुपये की विनिमय दर 21 रुपये थी, वहीं 2004 में यह 46 रुपये थी.

रुपये में कमजोरी के लिए महंगाई, चालू खाते का घाटा और एफआइआइ की बिकवाली जबावदार है, क्योंकि जितना पैसा भारतीय बाजारों से निकलेगा और महंगाई होगी व रुपये में कमजोरी गहराती जायेगी. भारत सरकार ने 15 जुलाई, 2010 को रुपये के नये चिह्न् को स्वीकार कर लिया. रुपये का यह नया प्रतीक देवनागरी लिपि के ‘र’ और रोमन लिपि के अक्षर ‘आर’ को मिला कर बना है, जिसमें एक क्षैतिज रेखा भी बनी हुई है. इसे आइआइटी के डी उदय कुमार ने बनाया है.

राष्ट्रीय खेल : हॉकी

हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है. हालांकि, भारत सरकार की ओर से आधिकारिक रूप से इसकी घोषणा नहीं हुई है.भारतीय उपमहाद्वीप के हॉकी युग की शुरुआत 1925 में हुई, जब अखिल भारतीय हॉकी संघ की स्थापना हुई. 1928 में भारतीय हॉकी टीम को पहली बार ओलिंपिक में भाग लेने का मौका मिला.

उसके बाद भारतीय हॉकी का स्वर्णिम युग शुरू हुआ, जो 1956 तक रहा था, जब भारतीय हॉकी दल ने लगातार छह ओलिंपिक स्वर्ण पदक जीते. इस स्वर्ण युग के दौरान भारत ने 24 ओलिंपिक मैच खेले और सभी 24 मैचों में जीत कर 178 गोल बनाये. 1932 में लॉस एंजेलिस ओलिंपिक में जब भारतीयों ने मेजबान टीम को 24-1 से हराया तो सर्वाधिक अंतर से जीत का कीर्तिमान भी स्थापित हो गया. बाद में भारत को 1964 टोकियो ओलिंपिक और 1980 मॉस्को ओलिंपिक में दो अन्य स्वर्ण पदक प्राप्त हुए.

देश के पास आठ ओलिंपिक स्वर्ण पदकों का उत्कृष्ट रिकॉर्ड है. 1968 के मेक्सिको ओलिंपिक के बाद भारत का आधिपत्य टूटने लगा.मौजूदा विश्व रैकिंग में भारत आठवें स्थान पर है. 1998 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक की प्राप्ति भारतीय हॉकी का एकमात्र बढ़िया प्रदर्शन था. वहीं 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भी टीम फाइनल में पहुंचने में सफल रही थी.

किसी खेल में यदि भारत को जाना जाता था तो वह है हॉकी. लेकिन अब वह स्थिति नहीं है. हालांकि, अजितपाल सिंह, वी भास्करन, गोविंदा, अशोक कुमार, मुहम्मद शाहिद, जफर इकबाल, परगट सिंह, मुकेश कुमार और धनराज पिल्लै जैसे कुछ खिलाड़ियों ने अपनी आक्रामक शैली की धाक जमायी, पर हॉकी को आगे नहीं बढ़ा सके. हाल के दिनों में हॉकी इंडिया लीग की शुरुआत हुई. इसकी सफलता देखते हुए उम्मीद की जा रही है भारतीय हॉकी का थोड़ा बहुत भला होगा.

राष्ट्रीय जलीय जीव : डॉल्फिन

डॉल्फिन भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव है. इसका वैज्ञानिक नाम प्लेटेनिस्टा गेंगेटिका है. यह मछली नहीं, बल्कि एक स्तनधारी जीव है. सरकार ने 5 अक्तूबर, 2009 को डॉल्फिन को भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया है. यह पवित्र गंगा नदी की शुद्धता को भी प्रकट करता है, क्योंकि यह केवल शुद्ध और मीठे पानी में ही जीवित रह सकता है.

आम तौर पर इसे सोंस कहा जाता है, क्योंकि यह सांस लेते समय ऐसी ही आवाज निकालती है. यह लंबे नोकदार मुंह वाली होती है और इसके ऊपरी तथा निचले जबड़ों में दांत भी दिखाई देते हैं. डॉल्फिन एक नेत्रहीन जलीय जीव है, जिसकी याददाश्त तीव्र होती है. इस प्रजाति को भारत, नेपाल, भूटान और बंगलादेश की गंगा, मेघना और ब्रह्मपुत्र नदियों में तथा बंगलादेश की कर्णफूली नदी में देखा जा सकता है.

डॉल्फिन भारत की एक महत्वपूर्ण संकटापन्न प्रजाति है और इसलिए इसे वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में शामिल किया गया है. 1982 में देश की सभी नदियों में इनकी संख्या 4000 से लेकर 5000 के बीच आंकी गयी थी. इसकी वर्तमान में भारत में 2000 से भी कम संख्या रह गयी है. इसका मुख्य कारण गंगा का बढ़ता प्रदूषण, बांधों का निर्माण एवं शिकार है. यह मांसाहारी प्राचीन जलीय जीव करीब 10 करोड़ साल से भारत में मौजूद है. इसकी औसत आयु 28 वर्ष रिकार्ड की गयी है.

केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अनुसार, जिस तरह बाघ जंगल की सेहत का प्रतीक है उसी प्रकार डॉल्फिन गंगा नदी के स्वास्थ्य की निशानी है. इसका शिकार दंडनीय अपराध है. शिकार करते हुए पकड़े जाने पर छह साल की कारावास तथा 5,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है. डॉल्फिन के अस्तित्व पर सबसे बड़ा खतरा प्रदूषित पानी की वजह से आया है.

राष्ट्रीय नदी : गंगा

गंगा भारत की सबसे लंबी नदी है, जो 2,510 किलो मीटर की दूरी तय करती है. यह उत्तराखंड में हिमालय के गंगोत्री ग्लेशियर में भागीरथी नदी के नाम से बर्फ के पहाड़ों के बीच जन्म लेती है. इसकी धारा, पहाड़ों में मंदाकिनी और अलकनंदा की धाराओं के सम्मिलन से बनती है.

यह बांग्लादेश के सुंदरवन द्वीप में गंगा डेल्टा पर आकर व्यापक हो जाती है और इसके बाद बंगाल की खाड़ी में मिलकर इसकी यात्र पूरी होती है. नवंबर, 2008 में भारत सरकार ने इसे भारत की राष्ट्रीय नदी घोषित किया. यह नदी हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक भारत के एक चौथाई भू-भाग को सींचती है.

गंगा नदी का बेसिन विश्व के सबसे अधिक उपजाऊ क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. यह मैदान करीब 10 लाख वर्ग किमी में फैला है. गंगा नदी को उत्तर भारत की अर्थव्यवस्था का मेरुदंड भी कहा गया है. गंगा, देश की प्राकृतिक संपदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है.कई औद्योगिक और धार्मिक शहर इसके किनार बसे हैं. परंतु वर्षो पूर्व जो गंगा अपनी अविरलता और निर्मलता के लिए मशहूर थी, आज अपनी गंदगी के लिए जानी जाती है.

वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं. दूसरी नदियों के मुकाबले गंगा में सड़ने वाली गंदगी को हजम करने की क्षमता 15 से 20 गुना ज्यादा है. गंगा की इस असीमित शुद्धीकरण क्षमता के बावजूद इसका प्रदूषण रोका नहीं जा सका है.

आलम यह है कि गंगा के संपूर्ण बेसिन से उसकी मूल प्राकृतिक वनस्पतियां लुप्त हो गयी हैं. इसमें मछलियों की 140 प्रजातियां, 35 सरीसृप तथा इसके तट पर 42 स्तनधारी प्रजातियों पर संकट मंडरा रहा है. गंगा में 2 करोड़ 90 लाख लीटर प्रदूषित कचरा प्रतिदिन गिर रहा है. कानपुर के करीब 400 कानूनी, गैर-कानूनी कारखानों का कचरा निकलता है. गंगा का बायोलॉजिकल ऑक्सीजन स्तर 3 डिग्री (सामान्य) से बढ़कर 6 डिग्री हो चुका है. विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश की 12 प्रतिशत बीमारियों की वजह प्रदूषित गंगा जल है.

यह घोर चिंतनीय है कि जीवनदायिनी कही जाने वाली गंगा का जल न स्नान के योग्य रहा, न पीने के योग्य और न ही सिंचाई के योग्य. इस पर बने फरक्का व टिहरी बांध भी इसकी अविरलता को प्रभावित कर रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने गंगा को साफ करने के लिए 1985 में गंगा एक्शन प्लान बनाया था, लेकिन 10 अरब रुपये से अधिक राशि खर्च करने के बाद भी गंगा साफ नहीं हुई. पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में 2008 में गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी का गठन हुआ. लेकिन निर्मल गंगा और भी गंदी होती गयी. नरेंद्र मोदी ने गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए एक अलग मंत्रालय बनाया है.

ब राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण, मिशन निदेशालय, राष्ट्रीय गंगा सफाई मिशन और गंगा पुनर्जीवन से जुडे अन्य सभी मामलों को जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनर्जीवन मंत्रालय के अधीन स्थानांतरित कर दिया गया है. गंगा को निर्मल बनाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने ‘नमामि गंगा’ योजना की घोषणा की है.

इसके लिए इस वित्त वर्ष में बजट में 2037 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. गंगा के घाटों के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये का भी आवंटन किया गया है. सातों पुराने आइआइटी मिलकर इस योजना को प्रभावी बनाने में लगे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि गहन प्रयास के बाद भी गंगा को निर्मल बनाने में एक दशक लग सकता है. इस पर खर्च करीब एक लाख करोड़ रुपये आयेगा.

राष्ट्रीय गान : जन गण मन

‘जन गण मन’ भारत का राष्ट्रगान है. गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने इसकी रचना की थी. राष्ट्रगान राष्ट्रप्रेम की भावना अभिव्यक्त करता है. संविधान सभा ने भारत के राष्ट्रगान के रूप में इसे 24 जनवरी, 1950 को अपनाया था. यह सर्वप्रथम 27 दिसंबर, 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था. पूरे गीत में पांच पद हैं. प्रथम पद, राष्ट्रगान का पूरा पाठ है. राष्ट्रगान के गायन की अवधि लगभग 52 सेकेंड है. सबसे पुराना राष्ट्रगान ग्रेट ब्रिटेन का ‘गॉड सेव द क्वीन’ है, जिसे 1825 में राष्ट्रगान के रूप में वर्णित किया गया था.

राष्ट्रीय पंचांग : शक संवत या राष्ट्रीय शाके

शक संवत या राष्ट्रीय शाके भारत का राष्ट्रीय पंचांग है. यह 78 वर्ष ईसा पूर्व प्रारंभ हुआ था. 22 मार्च, 1957 को इसे अधिकारिक रूप से अपनाया गया. राष्ट्रीय पंचांग का आधार हिंदी महीने हैं. महीने के दिनों की गणना तिथियों के अनुसार होती है. इनमें घट-बढ़ होने के कारण ही देश में मनाये जाने वाले त्योहार भी आगे-पीछे होते रहते हैं. चैत्र इसका पहला महीना होता है. राष्ट्रीय कैलेंडर ग्रेगोरियम कैलेंडर की तिथियों से स्थायी रूप से मिलती-जुलती है. सामान्यत: 1 चैत्र 22 मार्च को होता है और लीप वर्ष में 21 मार्च को. इसे कनिष्क ने चलाया या किसी अन्य ने, इस पर मतभेद है.

राष्ट्रीय गीत : वंदे मातरम्

राष्ट्रीय गीत देश की संस्कृति को अभिव्यक्त करता है. इसे पहली बार 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र में गाया गया था. बंकिमचंद्र चटर्जी ने संभवत: 1876 में संस्कृत और बांग्ला के मिश्रण से इसकी रचना की. बाद में बंकिमचंद ने अपने उपन्यास आनंदमठ में इस गीत को शामिल कर लिया. 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा ने निर्णय लिया कि स्वतंत्रता संग्राम में वंदे मातरम गीत की उल्लेखनीय भूमिका को देखते हुए इस गीत के प्रथम दो अंतरों को जन गण मन के समकक्ष मान्यता दी जाय.

इसे राष्ट्रीय गीत का दर्जा देकर इसकी न केवल धुन, बल्कि गीत की अवधि तक संविधान सभा द्वारा तय की गयी है, जो 52 सेकेंड है. इस तरह राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय गीत के न सिर्फ राग, बल्कि इसमें बजने वाले साज भी लगभग तय हैं. 2002 में बीबीसी के एक सर्वेक्षण के अनुसार, वंदे मातरम विश्व का दूसरा सबसे अधिक लोकप्रिय

गीत है.

राष्ट्रीय ध्वज : तिरंगा

स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक ध्वज होता है, जो उसके स्वतंत्र देश होने का संकेत है. तिरंगे में समान अनुपात में तीन क्षैतिज पट्टियां हैं: गहरा केसरिया रंग सबसे ऊपर, सफेद बीच में और हरा रंग नीचे है. केसरिया देश की ताकत और साहस को दर्शाता है. सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का संकेत है. हरा रंग देश के शुभ, विकास और उर्वरता को दर्शाता है.

सफेद पट्टी के केंद्र में गहरा नीले रंग का चक्र है, जो सारनाथ में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाये गये अशोक स्तंभ से लिया गया है. इस चक्र में 24 तीलियां हैं. इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं. इस चक्र का आशय यह है कि जीवन गतिशील है और रुकने का अर्थ मृत्यु है. भारत की संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान प्रारूप को 22 जुलाई, 1947 को अपनाया.

राष्ट्रीय फल : आम

आम (मेनिगिफेरा इंडिका) को भारत का राष्ट्रीय फल माना जाता है. हालांकि, आधिकारिक रूप से इसकी घोषणा नहीं हुई है. दुनियाभर में उष्णकटिबंधीय क्षेत्र का यह एक महत्वपूर्ण फल है. इन इलाकों में बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन होता है. आम को पूर्वी एशिया, म्यांमार और भारत के कई राज्यों का स्थानीय फल माना जाता है. भारत में विभिन्न आकारों, भार और रंगों के आमों की 100 से अधिक किस्में पायी जाती हैं.

आम को अनंत समय से भारत में उगाया जाता रहा है. मुगल बादशाह अकबर ने बिहार के दरभंगा में 1,00,000 से अधिक आम के पौधे रोपे थे, जिसे अब लाखी बाग के नाम से जाना जाता है. भारत आम का प्रमुख निर्यातक देश है. उत्तर प्रदेश का दशहरी और महाराष्ट्र का अल्फांसो आम विश्व प्रसिद्ध है.

राष्ट्रीय प्रतीक : अशोक चिह्न्

भारत का राष्ट्रचिह्न् सारनाथ स्थित सम्राट अशोक के सिंह स्तंभ की अनुकृति है. मूल स्तंभ में शीर्ष पर चार सिंह हैं, जो एक-दूसरे की ओर पीठ किये हुए हैं. चौथा दिखाई नहीं देता है. इसके नीचे घंटे के आकार के पदम के ऊपर एक चित्र वल्लरी में एक हाथी, चौकड़ी भरता हुआ एक घोड़ा, एक सांड तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियां हैं.

इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं. एक ही पत्थर को काट कर बनाये गये इस सिंह स्तंभ के ऊपर धर्मचक्र रखा हुआ है. भारत सरकार ने यह चिह्न् 26 जनवरी, 1950 को अपनाया. पट्टी के मध्य में उभरी हुई नक्काशी में चक्र है, जिसके दाहिने ओर एक सांड़ और बायें ओर एक घोड़ा है. फलक के नीचे मुंडकोपनिषद का सूत्र सत्यमेव जयते देवनागरी लिपि में अंकित है, जिसका अर्थ है- सत्य की ही विजय होती है.

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