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शरद पवार महाराष्ट्र सरकार में अनदेखी पर नरम क्यों

<figure> <img alt="शरद पवार और उद्धव ठाकरे" src="https://c.files.bbci.co.uk/17C1/production/_110918060_76026468-cc0c-4bdc-bf24-93f25da0b499.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में जनवरी 2018 को हुई हिंसा के मामले की जांच अब महाराष्ट्र पुलिस से केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए के पास चली गई है. </p><p>एनसीपी विधायक और राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने संकेत दिए कि वह इसके पक्ष […]

<figure> <img alt="शरद पवार और उद्धव ठाकरे" src="https://c.files.bbci.co.uk/17C1/production/_110918060_76026468-cc0c-4bdc-bf24-93f25da0b499.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में जनवरी 2018 को हुई हिंसा के मामले की जांच अब महाराष्ट्र पुलिस से केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए के पास चली गई है. </p><p>एनसीपी विधायक और राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने संकेत दिए कि वह इसके पक्ष में नहीं थे लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सहमति से यह हुआ है.</p><p>गुरुवार को देशमुख ने कहा था, &quot;यलगार परिषद मामले की जांच राज्य सरकार कर रही थी लेकिन अचानक केंद्र ने मामले को एनआईए को ट्रांसफर कर दिया. हमने आपत्ति जताकर कहा था कि केंद्र को राज्य को विश्वास में लेना चाहिए था. लेकिन मुख्यमंत्री के पास गृहमंत्री के फैसलों को पटलने का अधिकार होता है. मुझे बस इतना ही कहना है.&quot;</p><p>इसके बाद एनसीपी नेता शरद पवार ने भी इस मामले को एनआईए को ट्रांसफ़र किए जाने को लेकर विरोध न जताने पर राज्य सरकार की आलोचना की है.</p><p>शुक्रवार को कोल्हापुर में पवार ने कहा था, &quot;संविधान के अनुसार, क़ानून व्यवस्था राज्यों का विषय है. राज्यों के अधिकारों को लिया जाना ग़लत है. केंद्र सरकार का इस मामले की जांच को एनआईए को सौंपना ठीक नहीं था. लेकिन राज्य सरकार का इस मामले में समर्थन करना और ग़लत था.&quot;</p><figure> <img alt="शरद पवार" src="https://c.files.bbci.co.uk/65E1/production/_110918062_8af7b89c-b182-408e-9fdb-f04d33e9d01b.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>ध्यान देने की बात यह है कि पहले जब पुणे पुलिस ने इस मामले की जांच की थी, तब राज्य में वही शिवसेना सत्ता में बीजेपी के साथ थी जिसका वर्तमान में मुख्यमंत्री भी है.</p><p>शरद पवार का यह बयान इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना और कांग्रेस के साथ उनकी पार्टी भी शामिल है. पवार ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में हुई पुलिस की जांच पर असंतोष जताया था और दोबारा जांच की मांग की थी.</p><p>अब मामला एनआईए को सौंपे जाने को लेकर सरकार की ओर से विरोध न किए जाने को लेकर उन्होंने असंतोष तो जताया लेकिन सीएम उद्धव ठाकरे को निशाने पर नहीं लिया. इस मामले में सरकार में एक तरह से उनकी अनदेखी हुई है. फिर भी उनकी नरमी की वजह क्या रही? </p><p>शुरू से चर्चा रही है कि अलग-अलग विचारधाराओं वाली तीन पार्टियों के गठबंधन से बनी इस सरकार में अगर आए दिन ऐसे ही टकराव होता रहा तो यह कब तक चल पाएगी? और एक-दूसरे के रुख़ को लेकर कब तक ऐसी नरमी बनी रह पाएगी?</p><figure> <img alt="शरद पवार" src="https://c.files.bbci.co.uk/00BF/production/_110919100_6af2c6b7-0c3f-43ad-8992-e817e5de1bae.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>शिवसेना-एनसीपी कितने </strong><strong>गहरे हैं मतभेद?</strong></p><p>इस पूरे घटनाक्रम में शिवसेना और एनसीपी के बीच विचारों में भिन्नता साफ़ उभरकर सामने आई है. लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति पर बारीक़ नज़र रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार समर खड़स कहते हैं कि शरद पवार इस बात को समझते हैं कि पूरा मामला क्या है और वह जानते हैं कि सरकार को चलाए रखने के लिए इसे नज़रअंदाज़ किया जाना ज़रूरी है.</p><p>उन्होंने कहा, &quot;मुझे नहीं लगता कि यह बहुत बड़ा टकराव है. भीमा कोरेगांव मामले में चार्जशीट दाख़िल हो गई थी, तहकीकात भी हो चुकी थी. एनआईए अब क्या करने वाली है, यह पता नहीं है. शरद पवार ने पुलिस की जांच को लेकर सवाल उठाए थे.&quot;</p><p>दरअसल, राज्य में पिछली बीजेपी सरकार के दौरान हुई इस मामले की पुलिस जांच को लेकर शरद पवार ने सवाल उठाए थे और इस पर एसआईटी की मांग की थी. उन्होंने इस संबंध में सीएम को चिट्ठी भी लिखी थी.</p><p>बीबीसी न्यूज़ मराठी के संपादक आशीष दीक्षित बताते हैं, &quot;जब ऐसा लग रहा था कि अब सरकार बदल गई है तो पुणे पुलिस की जांच की दिशा भी बदल जाएगी तो मामले की जांच एनआईए के पास चली गई.&quot;</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50967079?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">भीमा-कोरेगांव हिंसा के बाद कैसे बदली महाराष्ट्र की राजनीति</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50553126?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">शरद पवार ने जब महाराष्ट्र में किया था तख़्तापलट</a></li> </ul><figure> <img alt="भीमा कोरेगांव" src="https://c.files.bbci.co.uk/15C03/production/_110919098_74d95841-1bd3-4ae3-9a0d-2702ff2533e3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>सरकार को कितना ख़तरा?</h1><p>तो क्या इस मामले में राज्य सरकार की विवशताएं क्या थीं, इसे लेकर गठबंधन दलों में समझ है या फिर एक-दूसरे को लेकर अविश्वास की स्थिति पैदा हो गई है?</p><p>इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार समर खड़स कहते हैं कि भले ही शिवसेना की विचारधारा इस मामले में कांग्रेस और एनसीपी से अलग है लेकिन सरकार को नुक़सान पहुंचने की संभावना कम ही है.</p><p>वह कहते हैं, &quot;सत्ता ऐसी च्युइंग गम है जो ख़त्म नहीं होती. उसकी मिठास बेशक ख़त्म हो जाए लेकिन चबाने की आदत हो जाती है. तो ऐसी घटनाओं से सरकार गिर नहीं सकती. हां, बीजेपी को ज़रूर ऐसा लग सकता है जिसके मंत्रियों ने अब तक बंगले नहीं छोड़े हैं. लेकिन यह तय है कि भीमा कोरेगांव को लेकर तीनों पक्षों में कोई विवाद है, ऐसा नहीं लगता. शिवसेना आलाकमान भी इस मामले को एनआईए को देने के पक्ष में नहीं था.&quot;</p><figure> <img alt="उद्धव ठाकरे" src="https://c.files.bbci.co.uk/9CFF/production/_110919104_e5ea6c4b-06ce-4f1b-a228-0b2b9d623393.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>हालांकि समर खड़स मानते हैं कि यह पहला मौक़ा है, जब ऐसा लगा कि किसी मुद्दे पर कुछ बातों को लेकर गठबंधन दलों के विचार अलग हैं.</p><p>फिर क्यों ये मतभेद बड़े स्तर पर नहीं उभर पाए? इसे लेकर बीबीसी मराठी के संपादक आशीष दीक्षित कहते हैं कि यह समस्या बड़ा रूप ले सकती थी लेकिन शरद पवार ने आग पर पानी डाल दिया.</p><p>उन्होंने कहा, &quot; शरद पवार ने इस मामले को लेकर पूछे गए सवालों को लेकर कहा कि अभी एक-दो साल हमारी सरकार अच्छे से चलने दीजिए, बाकी सवालों के जवाब हम बाद में देंगे. इससे उनके मूड के बारे में पता चला कि वह सीएम के फ़ैसले से खुश नहीं हैं लेकिन ऐसा भी नहीं लगा कि वह टकराव की स्थिति में हैं.&quot; </p><p>आशीष कहते हैं, &quot;शरद पवार महाराष्ट्र में बने इस गठबंधन के मिस्त्री हैं. ऐसे कई मौक़े आएंगे जब टकराव की स्थिति आएगी. लेकिन इस तरह से कई सरकारें चलाई हैं उन्होंने और 40 साल यही किया है. उन्हें मालूम है कि कहां अड़ना है, कहां नहीं. तो वह इस मामले को तूल नहीं दे रहे.&quot;</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50594701?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">उद्धव ठाकरे बोले- सेक्युलर का मतलब क्या है?</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50396407?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">उद्धव ठाकरे: आक्रामक राजनीति और पवार से मिली ‘पावर’ </a></li> </ul><figure> <img alt="शरद पवार" src="https://c.files.bbci.co.uk/B401/production/_110918064_9d0e5028-ad29-4ef9-b746-eb0bdd99db3e.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>उद्धव पर सीधा निशाना क्यों नहीं?</h1><p>शरद पवार की शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस को साथ लाकर सरकार बनाने में अहम भूमिका रही थी. वह भी तब, जब उनकी पार्टी के विधायकों को साथ लेकर उनके भतीजे अजित पवार ने बीजेपी के साथ जाकर उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी.</p><p>ऐसे में अब वह नहीं चाहेंगे कि कोई भी ऐसा मौक़ा मिले जिससे लंबे प्रयासों के बाद बनी यह सरकार टूटे. इसलिए वह कुछ मामलों में नरम रुख़ अपनाते दिख रहे हैं और अन्य पार्टियों का भी कई मौक़ों पर ऐसा ही रवैया रहा था.</p><p>आशीष दीक्षित कहते हैं, &quot;शरद पवार को यह भी पता है कि बीजेपी बस राह देख रही है कि कब अलग-अलग विचारधाराओं वाली एनसीपी और शिवसेना के बीच दरार आए, सरकार गिरे और उसे मौक़ा मिले. लेकिन शरद देखेंगे कि बीजेपी सत्ता में आई तो उनकी पार्टी भी टूट जाएगी. लगभग टूट भी गई थी जब अजित बीजेपी के साथ चले गए थे.&quot;</p><figure> <img alt="शरद पवार और उद्धव ठाकरे" src="https://c.files.bbci.co.uk/10221/production/_110918066_bc4756c8-375a-4c01-abee-c45f620dd498.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>हालांकि, विश्लेषकों का यह भी कहना है कि इस मामले पर शरद पवार या एनसीपी की ओर से शिवसेना या सीएम उद्धव ठाकरे को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया इसलिए नहीं दी क्योंकि भीमा कोरेगांव मामले को एनआईए को सौंपे जाने का विरोध करना क़ानूनी रूप से मुश्किल हो सकता था.</p><p>आशीष दीक्षित कहते हैं, &quot;अगर राज्य सरकार कोर्ट में स्टैंड लेती कि हम रिकॉर्ड नहीं सौंपेंगे तो उसका बचाव करना मुश्किल हो जाता. शरद भी इस बात को जानते हैं, इसलिए उन्होंने सीएम के ख़िलाफ़ कुछ नहीं कहा.&quot;</p><p>वरिष्ठ पत्रकार समर खड़स कहते हैं कि एनआईए राज्य के मामलों में हस्तक्षेप कर सकती है या नहीं और कब कर सकती है, इस संबंध में पहले ही अदालत में छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल का मामला चला रहा है.</p><figure> <img alt="स्पोर्ट्स विमेन ऑफ़ द ईयर" src="https://c.files.bbci.co.uk/12185/production/_110571147_footerfortextpieces.png" height="281" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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