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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: बेरोज़गार मराठा युवाओं को आरक्षण से वाक़ई फ़ायदा हुआ है?

<figure> <img alt="मराठा आरक्षण" src="https://c.files.bbci.co.uk/F0D7/production/_104555616_gettyimages-828422596.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>दावा:</h1><p>महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 21 जून 2019 को कहा था, ‘जैसा कि हमने पहले एलान किया था, राज्य सरकार ने 72 हज़ार पदों पर भर्तियां शुरू कर दी हैं. और अगले दो साल में डेढ़ लाख लोगों को नौकरियां दी जाएंगी.'</p><p>महाराष्ट्र के बीजेपी […]

<figure> <img alt="मराठा आरक्षण" src="https://c.files.bbci.co.uk/F0D7/production/_104555616_gettyimages-828422596.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>दावा:</h1><p>महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 21 जून 2019 को कहा था, ‘जैसा कि हमने पहले एलान किया था, राज्य सरकार ने 72 हज़ार पदों पर भर्तियां शुरू कर दी हैं. और अगले दो साल में डेढ़ लाख लोगों को नौकरियां दी जाएंगी.'</p><p>महाराष्ट्र के बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के मुताबिक, ‘मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के फ़ैसले के बाद संतोषजनक भर्तियां की गई हैं. मैं ये तो नहीं कह सकता कि 70 हज़ार लोगों को नौकरियां मिलीं या 73 हज़ार लोगों को दी गई हैं. लेकिन, भर्तियां हुई हैं. राजस्व, लोक निर्माण और जल संसाधन विभागों में बड़े पैमाने पर भर्ती अभियान चलाया गया है.’ </p><h1>हक़ीक़त:</h1><p>महाराष्ट्र की बीजेपी-शिवसेना सरकार ने 72 हज़ार लोगों की भर्तियां करने के लिए कोई भर्ती अभियान नहीं चलाया है. सरकार के कर्मचारी केंद्रीय एसोसिएशन के मुताबिक़, पिछले एक बरस में महाराष्ट्र सरकार ने 12 हज़ार पदों पर नियुक्तियां की हैं. इस वक़्त महाराष्ट्र सरकार के 1.95 लाख पद खाली पड़े हैं.</p><hr /><p>29 नवंबर 2018. नीलेश निम्बालकर को ये तारीख़ अच्छी तरह याद है. इसी दिन महाराष्ट्र विधानसभा और विधान परिषद ने मराठा आरक्षण बिल पास किया था. नीलेश, जो लंबे समय से नौकरी की तलाश में हैं, उन्हें आरक्षण बिल पास होने से नौकरी मिलने की उम्मीद जगी थी.</p><p>जिस दिन मराठा आरक्षण का एलान हुआ था, उस दिन ये ख़बर नीलेश की मां ने टीवी पर देखी थी और नीलेश को बुलाकर राहत की सांस लेते हुए कहा था कि कम से कम अब तो उसे नौकरी मिल जाएगी. लेकिन, एक बरस बीत गया है और नीलेश अब भी बेरोज़गार ही हैं.</p><figure> <img alt="निलेश निंबालकर" src="https://c.files.bbci.co.uk/A2A7/production/_109293614_1d496fe1-0c3c-49ce-a1bd-06ee7d333d58.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>निलेश निंबालकर</figcaption> </figure><p>नीलेश जैसे महाराष्ट्र के हज़ारों युवा रोज़गार तलाश रहे हैं. मराठा आरक्षण क़ानून लागू कर दिया गया है. लेकिन, सवाल ये है कि महाराष्ट्र की सरकार भर्तियां करने के लिए क्या कर रही है?</p><p>भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल कहते हैं कि मराठा समुदाय को आरक्षण का ख़ूब फ़ायदा मिल रहा है. लेकिन, जब हम सामाजिक और शैक्षिक आधार पर पिछड़े यानी एसईबीसी के तहत मराठों को मिले आरक्षण के आंकड़ों पर नज़र डालते हैं, तो पता चलता है कि इस समुदाय के बहुत कम लोगों को आरक्षण के तहत नौकरियां मिली हैं.</p><p>महाराष्ट्र राज्य सेवा आयोग ने अब तक केवल 2596 पदों के लिए विज्ञापन निकाला है. और इन में से केवल 363 पद ही मराठों के लिए एसईबीसी के तहत आरक्षित थे.</p><p>इन नौकरियों का बंटवारा इस तरह से किया गया है:</p><figure> <img alt="नौकरियां" src="https://c.files.bbci.co.uk/113EF/production/_109293607_e08f064d-8e8f-48d8-9ecb-a604cf32f825.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>बड़े पैमाने पर भर्ती अभियान का क्या हुआ?</h1><p>महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मई 2018 में महाभर्ती अभियान चलाकर 72 हज़ार नौकरियां देने का एलान किया था. पहले राउंड में 36 हज़ार पद भरे जाने थे. लेकिन, तब तक मराठा आरक्षण को लेकर फ़ैसला नहीं हुआ था. इसीलिए तमाम संगठनों ने मेगा भर्ती अभियान में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग तेज़ कर दी.</p><p>बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन के बाद, मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने अगस्त 2018 में एलान किया कि फिलहाल मेगा भर्ती अभियान नहीं चलाया जाएगा. इसी दौरान मराठा समुदाय को एसईबीसी वर्ग के तहत आरक्षण मिल गया. लेकिन, महाराष्ट्र सरकार का मेगा भर्ती अभियान तब से कभी नहीं चला.</p><p>बीबीसी मराठी सेवा के संवाददाता मयूरेश कोन्नूर ने इस बारे में राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल से पूछा तो उन्होंने कहा, ‘मैं पक्के तौर पर ये तो नहीं कह सकता कि 70 हज़ार भर्तियां की गईं या 73 हज़ार. लेकिन, भर्तियां हुई हैं. लोक निर्माण विभाग जो मेरे अंदर आता है, वहां पर 13 फ़ीसदी आरक्षण के साथ भर्तियां की गई हैं. राजस्व विभाग ने 1800 पटवारियों यानी तलाथियों की नियुक्ति की है. जल संसाधन मंत्रालय ने भी कई पदों को भरा है.'</p><p>राज्य सरकार के सरकारी कर्मचारी केंद्रीय एसोसिएशन के अविनाश दौंदोफ़ कहते हैं, ‘सरकार ने 72 हज़ार पदों के जिस व्यापक भर्ती अभियान का एलान किया था, वो हुआ नहीं है. पिछले पांच वर्षों में केवल 12 हज़ार पदों पर लोगों को रखा गया है. इनमें से ज़्यादातर नौकरियां गृह विभाग के अधीन दी गई हैं. इसका मतलब है कि पुलिस विभाग, तलाथी भर्ती और क़ानून विभाग में भर्तियां हुई हैं.'</p><figure> <img alt="मराठा आरक्षण" src="https://c.files.bbci.co.uk/0667/production/_109293610_b33aff3f-5581-44c0-b084-5e8bbec4acfc.jpg" height="351" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>अविनाश कहते हैं, ‘महाराष्ट्र सरकार में इस वक़्त कर्मचारियों और अधिकारियों के एक लाख 95 हज़ार पद ख़ाली पड़े हैं. इसका मतलब ये है कि भर्तियों पर अनधिकारिक तौर पर रोक लगी हुई है. हर विभाग को ख़ाली पदों में से केवल 4 फ़ीसद पर ही भर्ती करने की इजाज़त है. और इसके लिए भी उन्हें उच्च स्तरीय कमेटी से मंज़ूरी लेनी होती है. ये मंज़ूरी कभी भी आसानी से नहीं मिलती . इसीलिए भर्ती की प्रक्रिया बहुत धीमी है और ख़ाली पदों के अनुपात में बहुत कम भर्तियां हुई हैं.'</p><p>महाराष्ट्र सरकार के गैजेटेड ऑफ़िसर फ़ेडरेशन के मुख्य सलाहकार जी. डी. कुल्थे भी इस बात की तस्दीक़ करते हैं कि 72 पदों के लिए भर्तियां नहीं हुई हैं. वो कहते हैं कि 2014 में ख़ाली पदों की संख्या एक लाख थी. क्योंकि पर्याप्त मात्रा में भर्तियां नहीं की गईं, इसलिए आज सरकारी विभागों में ख़ाली पदों की तादाद बढ़ गई है.</p><p>राज्य सरकार कर्मचारी केंद्रीय संगठन और महाराष्ट्र राज्य गजटेड ऑफ़िसर फ़ेडरेशन, दोनों ही महाराष्ट्र सरकार से मान्यता प्राप्त सरकारी संगठन हैं.</p><p>महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बीबीसी मराठी से कहा कि 72 हज़ार पद भरने के लिए एक भी विज्ञापन नहीं प्रकाशित हुआ था. क्योंकि ये पद बहुत से विभागों और ज़िलों में बंटे हुए हैं. हमारे पास इन सबके मिले-जुले आंकड़े नहीं हैं.</p><figure> <img alt="मराठा आरक्षण" src="https://c.files.bbci.co.uk/1620F/production/_109293609_83889e9a-11a1-42bf-b9ad-962533d37e0f.jpg" height="351" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>मराठों को आरक्षण से फ़ायदा हुआ?</h1><p>नीलेश निंबालकर अहमदनगर ज़िले के श्रीगोंडा के रहने वाले हैं. इस वक़्त वो पुणे में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. उनके पिता की मौत हो चुकी है और मां खेती करती हैं. नीलेश का पूरा परिवार अपनी रोज़ी-रोटी के लिए इसी खेती पर निर्भर है. सरकारी नौकरी की उम्मीद में नीलेश प्रतियोगी परीक्षाएं दे रहे हैं.</p><p>नीलेश बताते हैं, ‘मैंने 2012 में पुणे के मॉडल कॉलेज से एम.ए. किया था. इसके बाद मैंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करनी शुरू कर दी. 2014 में मैं इंटरव्यू तक पहुंच गया था. लेकिन फ़ाइनल लिस्ट में मेरा नाम नहीं आया. 2015 के बाद अगले दो साल में लोक सेवा आयोग की नौकरी के विज्ञापनों की संख्या में भारी कमी आ गई. इन पदों में मेरी कैटेगरी के केवल चार या पांच पद होते हैं. मुझे हमेशा ये महसूस होता है कि आरक्षण न होने की वजह से मुझे ये नौकरियां नहीं मिल सकेंगी. जब मराठा आरक्षण की मांग लेकर आंदोलन शुरू हुआ तो मैंने भी इस में हिस्सा लिया. मेरी मां भी विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुईं. उन्हें ये उम्मीद थी कि इससे उनके बेटे को नौकरी मिल जाएगी. मैं पुणे की एक रैली का सह-संयोजक था. इसके बाद हमें आरक्षण मिल गया.'</p><p>नीलेश निंबालकर कहते हैं, ‘जब हमें आरक्षण देने का एलान हुआ, तो मेरी मां ने कहा कि अब तुझे नौकरी मिल जाएगी. मेरी मां के शब्द आज भी मेरे कानों में गूंजते हैं. लेकिन, हमारी उम्मीदें पूरी नहीं हुई हैं. पहली बात तो ये है कि मराठा समुदाय को बताया गया था कि उन्हें 16 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. और ये आरक्षण महिलाओं, भूकंप पीड़ितों, दिव्यांगों के लिए रिज़र्वेशन से अलग होगा. मेरे जैसे लाखों संघर्षरत छात्रों को केवल 3 से 4 सीटों के लिए कोशिश करने का मौक़ा मिलता है. सरकार आरक्षण का दावा ऐसे करती है, जैसे उसने सब को नौकरियां दे डाली हों. सरकारी विभागों में पद ख़ाली हैं, फिर भी सरकार भर्तियां नहीं कर रही है.'</p><hr /><p><strong>पढ़ें</strong></p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50069225?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">वो गाँव जहां सरकारी योजनाएं और अफ़सर कोई नहीं पहुंच पाता</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50045759?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">महाराष्ट्र चुनावः विदर्भ का रुख़ किधर होगा, भाजपा या कांग्रेस?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50029172?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">महाराष्ट्र चुनाव: क्या वादे के मुताबिक़ किसानों के कर्ज़ माफ़ हुए? </a></li> </ul><hr /><figure> <img alt="मराठा आरक्षण" src="https://c.files.bbci.co.uk/A2B7/production/_104555614_gettyimages-1005262152.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>आरक्षण से नौकरी मिली तो, लेकिन…</h1><p>कराड तालुका के अमित यादव ने सांगली के वालचंद कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी. उन्होंने सरकारी नौकरियों के लिए छह अलग अलग इम्तिहान दिए. लेकिन सामान्य वर्ग की मेरिट लिस्ट में उनका नाम नहीं आया.</p><p>26 जून 2019 को मुंबई हाई कोर्ट ने मराठों को आरक्षण देने के राज्य सरकार के फ़ैसले पर मुहर लगा दी. इसके तहत मराठों को शिक्षण संस्थानों में 12 फ़ीसदी और नौकरियों में 13 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. राज्य सरकार ने इस बारे में एक क़ानून भी पास किया. इस फ़ैसले के बाद अमित यादव को लोक निर्माण विभाग की एक नौकरी के लिए चुन लिया गया.</p><figure> <img alt="अमित यादव, गजानन जाधव" src="https://c.files.bbci.co.uk/D321/production/_109294045_8f1b2bdb-6740-4409-a941-2073c69ea244.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>अमित यादव, गजानन जाधव</figcaption> </figure><p>सरकार के मेगा भर्ती अभियान के तहत अमित यादव ही नहीं, 34 और अभ्यर्थियों को लोक निर्माण विभाग की नौकरियों के लिए चुन लिया गया. इन्हें आरक्षण का लाभ मिला था. ये मराठा आरक्षण के तहत हुई पहली भर्तियां थीं.</p><p>लेकिन, उनके नियुक्ति पत्र में एक नोट ये लिखा था कि चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तो वो भले ही राज्य सरकार के कर्मचारी बन गए हों, उनकी नौकरियां अभी भी जा सकती हैं. यानी इन सभी चुने हुए उम्मीदवारों के सिर पर तलवार लटक रही है.</p><p>बीबीसी मराठी से बात करते हुए अमित यादव कहते हैं कि, ‘अगर आरक्षण नहीं लागू होगा, तो हमारी नियुक्तियां अवैध घोषित कर दी जाएंगी.'</p><figure> <img alt="मराठा आरक्षण" src="https://c.files.bbci.co.uk/0677/production/_104555610_gettyimages-1014641946.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>अमित कहते हैं कि, ‘जब मराठा आरक्षण का एलान हुआ था, तो मैं बहुत ख़ुश हुआ था. मुझे लगा कि मैं भी इस आरक्षण का हक़दार बन गया हूं. लेकिन, आज मेरे ज़हन में डर बैठा हुआ है. हमें, सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण के ख़िलाफ़ दायर याचिका के हिसाब से नियुक्त किया गया है. हमारे नियुक्ति पत्र में लिखी वो लाइन मुझे बार-बार याद दिलाती है कि हमारी नौकरियां जा सकती हैं. हम कब तक इस डर के साये में रह कर जी सकते हैं. इसलिए, मैं दोबारा प्रतियोगी परीक्षा में बैठूंगा और सामान्य वर्ग के तहत नौकरी पाने की कोशिश करूंगा.'</p><p>पैथन तालुका के गजानन जाधव को पालघर में लोक निर्माण विभाग के तहत नौकरी मिली थी. गजानन कहते हैं कि, ‘मैं सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण के ख़िलाफ़ दायर याचिका की सुनाई को लेकर चिंतित हूं. लेकिन, अब हमारे पास नियुक्ति पत्र है. तो, जो आगे जो भी हो, पर अभी तो मैं तनाव से मुक्त हूं.'</p><p>मराठा आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इस फ़ैसले को लागू करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. </p><p>इसका मतलब ये है कि इस समय ये आरक्षण लागू है और इसी के हिसाब से नियुक्तियां हो रही हैं. लेकिन इस आरक्षण का फायदा उठाने वालों के सिर पर तलवार तो लटक ही रही है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप 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