<figure> <img alt="अर्थव्यवस्था" src="https://c.files.bbci.co.uk/C517/production/_108555405_4f21448d-e316-435c-ae16-c338dde211e0.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>भारत का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में बीते वर्ष की इसी अवधि की तुलना में कमज़ोर रहा है.</p><p>साल 2019-20 की पहली तिमाही के आंकड़े जारी किये गए हैं. जिनके अनुसार आर्थिक विकास दर 5 फ़ीसदी रह गई है. बीते वित्तीय वर्ष की इसी तिमाही के दौरान विकास दर 8 प्रतिशत थी.</p><p>वहीं पिछले वित्तीय साल की आख़िरी तिमाही में ये विकास दर 5.8 प्रतिशत थी.</p><p>अर्थशास्त्री विवेक कौल के अनुसार यह पिछली 25 तिमाहियों में सबसे धीमा तिमाही विकास रहा और ये मोदी सरकार के दौर के दौरान की सबसे कम वृद्धि है.</p><p>विशेषज्ञ कहते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था में तरक़्क़ी की रफ़्तार धीमी हो रही है. ऐसा पिछले तीन साल से हो रहा है.</p><p>उनका कहना है कि उद्योगों के बहुत से सेक्टर में विकास की दर कई साल में सबसे निचले स्तर तक पहुंच गई है. देश मंदी की तरफ़ बढ़ रहा है.</p><figure> <img alt="भारतीय अर्थव्यवस्था" src="https://c.files.bbci.co.uk/05AF/production/_108555410_e3cb8348-8032-4a91-bb02-7f3e8e7706c8.jpg" height="549" width="976" /> <footer>PTI</footer> </figure><h3>सुस्ती या मंदी?</h3><p>भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार दूसरी तिमाही में सुस्ती से आगे बढ़ी है. तो क्या लगातार दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था के विकास दर में सुस्ती से ये माना जाए कि हम आर्थिक मंदी की तरफ़ बढ़ रहे हैं?</p><p>आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ, मुंबई-स्थित विवेक कॉल कहते हैं भारत की अर्थव्यवस्था के विकास की रफ़्तार में सुस्ती ज़रूर आयी है लेकिन इसे मंदी नहीं कहेंगे. वो कहते हैं, "मंदी या रिसेशन का मतलब लगातार दो तिमाही में नकारात्मक विकास है. भारत की इकॉनमी में सुस्ती आयी है लेकिन नेगेटिव ग्रोथ नहीं हो सकता"</p><figure> <img alt="वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण" src="https://c.files.bbci.co.uk/EC27/production/_108555406_85406861-8c8c-4ac2-a80f-9cf4d2ad890f.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> <figcaption>वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण</figcaption> </figure><p>नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार के अनुसार जून में ख़त्म होने वाली साल की पहली तिमाही में विकास दर में गिरावट से ये मतलब नहीं निकलना चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था मंदी का शिकार हो गयी है.</p><p>वो कहते हैं, "भारत में धीमी गति से विकास के कई कारण हैं जिनमे दुनिया की सभी अर्थव्यवस्था में आयी सुस्ती एक बड़ा कारण है."</p><p>श्री कुमार कहते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स मज़बूत हैं. वे कहते हैं, "वित्त मंत्री ने बीते हफ़्ते कई क़दमों का एलान किया जिसका सकारात्मक असर निवेशकों और ग्राहकों के मूड पर पड़ेगा. हम त्योहारों के सीज़न में प्रवेश कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि दूसरी तिमाही तक विकास दर में वृद्धि नज़र आएगी."</p><figure> <img alt="अर्थव्यवस्था में सुस्ती" src="https://c.files.bbci.co.uk/13A47/production/_108555408_77456374-4c82-4a69-b0a4-aa1ea690a158.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>मंदी की परिभाषा क्या है?</h3><p>यह एक कांटेदार सवाल है जिस पर विशेषज्ञ अभी भी पूरी तरह से एकमत नहीं हैं.</p><p>तकनीकी रूप से भारत की अर्थव्यवस्था लगातार दूसरी तिमाही में सुस्ती से आगे बढ़ी है यानी लगातार छह महीने से विकास की दौड़ में कमी आयी है लेकिन अगर इस वित्तीय वर्ष की अगली तीन तिमाही में विकास दर बढ़ती है तो इसे मंदी नहीं कहेंगे.</p><h3>क्या मंदी के विभिन्न रूप हैं?</h3><p>पूर्ण रूप से. अर्थव्यवस्था लगातार दो तिमाहियों में सिकुड़ सकती है, लेकिन फिर वित्तीय साल की अगली दो तिमाहियों में रिकवर करती है तो वास्तव में पूरे वर्ष के लिए विकास दर में इज़ाफ़ा होगा.</p><p>पश्चिमी देशों में इसे हल्की मंदी करार देते हैं. साल-दर-साल आधार पर आर्थिक विकास में पूर्ण गिरावट हो तो इसे गंभीर मंदी कहा जा सकता है.</p><p>इससे भी बड़ी मंदी होती है डिप्रेशन, यानी सालों तक नकारात्मक विकास.</p><p>अमरीकी अर्थव्यवस्था में 1930 के दशक में सबसे बड़ा संकट आया था जिसे आज डिप्रेशन के रूप में याद किया जाता है. डिप्रेशन में महंगाई, बेरोज़गारी और ग़रीबी अपने चरम सीमा पर होती है.</p><figure> <img alt="भारतीय रिज़र्व बैंक" src="https://c.files.bbci.co.uk/11337/production/_108555407_e7133b4a-fecf-4b7d-86f1-839ad4f65d16.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>मनोवैज्ञानिक मंदी</h3><p>आर्थिक विशेषज्ञ कहते हैं कि अर्थव्यवस्था मनोवैज्ञानिक मंदी का शिकार भी हो सकती है.</p><p>विवेक कॉल के अनुसार अगर ग्राहक सतर्क हो जाए और ख़रीदारी को टालने लगे तो इससे डिमांड में कमी आएगी, जिसके कारण आर्थिक विकास दर में कमी आ सकती है. अगर महंगाई बढ़ने लगे और अनिश्चितता का माहौल हो, तो लोगों को महसूस होता है कि वो मंदी में रह रहे हैं.</p><h3>भारत में मंदी कब आयी थी?</h3><p>भारतीय अर्थव्यवस्था में सब से बड़ा संकट 1991 में आया था जब आयात के लिए देश का विदेशी मुद्रा रिज़र्व घट कर 28 अरब डॉलर रह गया था. आज ये राशि 491 अरब डॉलर है.</p><p>साल 2008-09 में वैश्विक मंदी आयी थी. उस समय भारत की अर्थव्यवस्था 3.1 प्रतिशत के दर से बढ़ी थी जो उसके पहले के सालों की तुलना में कम थी लेकिन विवेक कॉल के अनुसार भारत उस समय भी मंदी का शिकार नहीं हुआ था.</p><p>ये भी पढ़ें:</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/vert-tra-49484200?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">इन शहरों को सैलानियों ने रौंद दिया है </a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48479056?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">निर्मला सीतारमण के सामने अर्थव्यवस्था की कौन-कौन सी चुनौतियां हैं?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48659113?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अर्थव्यवस्था पर अब कांग्रेस को दोष नहीं दे पाएंगे मोदी</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49201969?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">भारत की अर्थव्यवस्था के फिसलकर सातवें नंबर पर जाने का क्या मतलब है?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48482189?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">रफ़्तार से दौड़ रही अर्थव्यवस्था पटरी से उतरी, अब क्या</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49404783?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जब मंदी नहीं तो ट्रंप क्यों कर रहे दरों में कटौती की मांग</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48219716?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ट्रे़ड वॉर: क्या चीन पर भारी पड़ेगा अमरीका</a></li> </ul><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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GDP ग्रोथ रेट के हिसाब से भारतीय अर्थव्यवस्था बीते छह साल के सबसे निचले स्तर पर
<figure> <img alt="अर्थव्यवस्था" src="https://c.files.bbci.co.uk/C517/production/_108555405_4f21448d-e316-435c-ae16-c338dde211e0.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>भारत का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में बीते वर्ष की इसी अवधि की तुलना में कमज़ोर रहा है.</p><p>साल 2019-20 की पहली तिमाही के आंकड़े जारी किये गए हैं. जिनके अनुसार आर्थिक विकास दर 5 फ़ीसदी रह गई है. बीते […]
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