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वीजी सिद्धार्थ: क्या टैक्स और कर्ज़ के ‘आतंक’ ने ली जान?

<figure> <img alt="वीजी सिद्धार्थ" src="https://c.files.bbci.co.uk/DD89/production/_108131765_fe04227d-54ad-4245-998c-74c4ff9cad8e.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p> भारत में कॉफ़ी की दुनिया के सबसे बड़े ब्रांडों में शामिल कैफ़े कॉफ़ी डे (सीसीडी) के मालिक वीजी सिद्धार्थ कर्ज़ के दुष्चक्र से निकलने के लिए फिर से पैसा जुटाने की कोशिश में लगे हुए थे. </p><p>सिद्धार्थ बाज़ार की हालत और उसमें तरलता की कमी […]

<figure> <img alt="वीजी सिद्धार्थ" src="https://c.files.bbci.co.uk/DD89/production/_108131765_fe04227d-54ad-4245-998c-74c4ff9cad8e.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p> भारत में कॉफ़ी की दुनिया के सबसे बड़े ब्रांडों में शामिल कैफ़े कॉफ़ी डे (सीसीडी) के मालिक वीजी सिद्धार्थ कर्ज़ के दुष्चक्र से निकलने के लिए फिर से पैसा जुटाने की कोशिश में लगे हुए थे. </p><p>सिद्धार्थ बाज़ार की हालत और उसमें तरलता की कमी से निपटने के लिए कंपनी की परिसंपत्तियों को बेचकर फिर से कर्ज़ हासिल करना चाहते थे. </p><p>वीजी सिद्धार्थ सोमवार की शाम से लापता थे और उनका शव बुधवार सुबह मंगलुरु के बाहर नेत्रावती नदी से निकाला गया. </p><p>उनका अंतिम संस्कार मुदीगेरे, चिक्कमंगलुरु में परिवार की कॉफ़ी एस्टेट में किया गया. ये वही जगह है जहां से उन्होंने भारत में कॉफ़ी पीने की संस्कृति को बढ़ावा दिया. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49174160?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सीसीडी के मालिक वीजी सिद्धार्थ का शव मिला</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49174825?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">वीजी सिद्धार्थ: देश के लिए लड़ना चाहते थे पर ख़ुद से नहीं लड़ पाए </a></li> </ul><figure> <img alt="सिद्धार्थ" src="https://c.files.bbci.co.uk/17B8A/production/_108126179_sd.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>कैफ़े कॉफ़ी डे परिवार के निदेशक मंडल को लिखे गए उनके पत्र में कुछ संदेह के बादल छाए हुए लगते हैं. हालांकि पुलिस ने इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि की है क्योंकि उनके परिवार ने भी इसकी पुष्टि की है. </p><p>निदेशक मंडल ने बैठक में इस मुद्दे की जांच कराने को प्राथमिकता दी है क्योंकि पत्र में उन्होंने जिन मुद्दों को उठाया है, उससे ये निश्चित नहीं हो पा रहा है कि वो सीसीडी से जुड़े हैं या फिर उन निजी कर्ज़ों से जो कि उन्होंने ले रखे थे. </p><p>फिर भी, कुल मिलाकर निचोड़ यह है कि दो तरह के ऋण लिए गए थे. </p><p>एक होल्डिंग कंपनी यानी कॉफी डे एंटरप्राइज़ेज़ जिनकी सहायक कंपनियां कॉफी व्यवसाय, आतिथ्य, एसईज़ेड टेक्नोलॉजी पार्क, निवेश परामर्श जैसे क्षेत्रों में काम करती हैं और दूसरा कर्ज़ व्यक्तिगत था. </p><p>नाम ना बताए जाने की शर्त पर एक चार्टर्ड एकाउंटेंट बताते हैं, &quot;इसके कई पहलू हैं. पहला यह है कि कंपनी के स्तर के साथ-साथ व्यक्तिगत स्तर पर भी कर्ज़ लिया गया. उन्होंने कंपनी के शेयरों को गिरवी रख दिया और कर्ज़दाताओं के भारी दबाव में आ गए. कंपनी के शेयर की कीमत बाज़ार में लगभग रोज़ घट रही थी.” </p><figure> <img alt="कैफ़े कॉफ़ी डे" src="https://c.files.bbci.co.uk/A728/production/_108129724_79415b30-cf73-4aec-a431-9c22ef373987.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>चार्टर्ड अकाउंटेंट ने बताया कि एक आशंका ये भी हो सकती है कि अगर सिद्धार्थ गिरवी रखे गए शेयरों को बेच देते तो वह कंपनी पर अपना नियंत्रण खो देते. जब आप निजी इक्विटी से (पीई) से पैसे लेते हैं, तो आपके पास निश्चित अवधि के बाद इन्हें अपने पास बनाए रखने का विकल्प होता है. तो हो सकता है कि वो अपने शेयर को वापस खरीदने के लिए दबाव में आ गए हों लेकिन वो इसके लिए धन नहीं जुटा सके. </p><p>इस मामले में आयकर विभाग की भी एक भूमिका है. आयकर विभाग ने कांग्रेस नेता डीके शिवा कुमार पर छापा मारा जब वह राज्यसभा चुनाव के दौरान जोड़ तोड़ को रोकने के लिए बेंगलुरु में गुजरात के कांग्रेस विधायकों की मेज़बानी कर रहे थे. उस चुनाव में अहमद पटेल ने अमित शाह को हराया था. </p><p>आयकर विभाग ने एक बयान में कहा था कि छापे के दौरान उसे सीसीडी के गोपनीय वित्तीय लेनदेन के `विश्वसनीय सबूत’ मिले. सिद्धार्थ ने अपनी और होल्डिंग कंपनी, कॉफ़ी डे एंटरप्राइज़ेज़ के पास 368 करोड़ रुपये और 118 करोड़ रुपये की बेहिसाब आय स्वीकार की थी.</p><p>आईटी विभाग के बयान में कहा गया कि राजस्व बचाने करने के लिए वो माइंडट्री कंसल्टिंग के उन 7.49 लाख शेयर को अपने कब्ज़े में ले रहे हैं जिन्हें सिद्धार्थ एलएंडटी को बेच रहे थे. सिद्धार्थ के अनुरोध पर आईटी विभाग ने माइंडट्री के शेयरों को रिलीज़ किया, उन्हें सिद्धार्थ ने कॉफी डे एंटरप्राइज़ेज़ के शेयरों से बदल दिया.</p><figure> <img alt="सिद्धार्थ" src="https://c.files.bbci.co.uk/9710/production/_108127683_vg.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>लेकिन, आयकर विभाग ने सुनिश्चित किया कि 3,200 करोड़ रुपये सिद्धार्थ को खुद के लिए मिले और उनकी होल्डिंग कंपनियां टैक्स के जुर्माने के साथ-साथ उनके द्वारा लिए गए अन्य कर्जों को भी भरने के लिए एस्क्रो अकाउंट निलंबित खाते में चली गईं.</p><p>एक निवेश सलाहकार कहते हैं, ”वास्तव में, सार्वजनिक रूप से ऐसा लगा कि माइंडट्री शेयरों की बिक्री से सिद्धार्थ को 3000 से अधिक करोड़ रुपये मिले, लेकिन तथ्य यह था कि उन्हें अभी भी कंपनी के खाते से आयकर विभाग का भुगतान करना बाकी था.” </p><p>इन्फोसिस के पूर्व सीएफओ वी बालाकृष्णन ने बीबीसी से कहा,” पीई और निजी ऋणदाताओं का दबाव है. यह भी साफ़ है कि आयकर विभाग इस मुद्दे का हिस्सा है. इन तीनों पहलुओं ने मिलकर इस व्यक्ति को बर्बाद कर दिया. आप किसी भी स्तर के किसी भी उद्यमी से बात करेंगे तो आप पाएंगे कि देश में टैक्स का आतंक है.” </p><p>उद्योग जगत में एक नज़रिय़ा यह भी है कि सिद्धार्थ को बेहिसाब आय न दिखाने के लिए कीमत चुकानी पड़ी. </p><p>उद्योग जगत पर नज़र रखने वाले कहते हैं कि ‘लोग पहले भी भाग सकते थे, लेकिन अब और नहीं.’ </p><figure> <img alt="सिद्धार्थ" src="https://c.files.bbci.co.uk/48F0/production/_108127681_sdvg.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>नाम ना बताए जाने की शर्त पर पूर्व नौकरशाह कहते हैं, ”सिद्दार्थ के साथ एक धोखेबाज़ की तरह का बर्ताव किया गया, उनके हाथ पांव बांध दिए और कुछ नहीं करने दिया गया और उनके पूरे व्यवसाय को ध्वस्त कर दिया गया. 300-400 करोड़ रुपये की टैक्स देनदारी के लिए, आप 12,000 करोड़ रुपये के उस उद्योग को बर्बाद नहीं करेंगे, जिससे 30,000 परिवारों की रोज़ी रोटी चलती हो. ये इसे संभालने का पूरी तरह से संवेदनहीन तरीका है.”</p><p>एक और नौकरशाह ने कहते हैं,”सिद्धार्थ नरम दिल वाले थे. वह सरकारी कार्रवाई के नाम पर अपने उद्यम को मरता हुआ नहीं देख सकते थे और यही वह जगह है जहां उन्होंने दम तोड़ दिया, ” </p><p>मौत से पहले लिखे गए पत्र में सिद्दार्थ की अंतिम पंक्तियाँ थीं, ”मेरा इरादा कभी किसी को धोखा देने या गुमराह करने का नहीं था, मैं एक उद्यमी के रूप में असफल रहा हूं. यह मेरी ईमानदार स्वीकारोक्ति है. उम्मीद है कि किसी दिन आप मुझे समझेंगे और माफ़ करेंगे. ” </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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