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दम तोड़ चुका है हांगकांग का प्रत्यर्पण बिलः लैम

<figure> <img alt="कैरी लैम" src="https://c.files.bbci.co.uk/26AB/production/_107799890_a03ee576-c711-464b-9391-dcb727a94e72.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>हांगकांग की नेता कैरी लैम ने कहा है कि उस विवादास्पद बिल का अब अंत हो चुका है जिसके तहत हांगकांग के किसी अभियुक्त को मुक़दमे का सामना करने के लिए चीन प्रत्यर्पित किया जा सकता था. </p><p>मंगलवार को उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि […]

<figure> <img alt="कैरी लैम" src="https://c.files.bbci.co.uk/26AB/production/_107799890_a03ee576-c711-464b-9391-dcb727a94e72.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>हांगकांग की नेता कैरी लैम ने कहा है कि उस विवादास्पद बिल का अब अंत हो चुका है जिसके तहत हांगकांग के किसी अभियुक्त को मुक़दमे का सामना करने के लिए चीन प्रत्यर्पित किया जा सकता था. </p><p>मंगलवार को उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस बिल को लेकर सरकार पूरी तरह से विफल रही है. </p><p>हालांकि उन्होंने ये नहीं कहा कि बिल को पूरी तरह से वापस ले लिया गया है. बिल वापसी की मांग कर रहे प्रदर्शकारियों ने कहा है कि वो आगे भी प्रदर्शन और रैलियां जारी रखेंगे.</p><p>इस बिल की वजह से हांगकांग में पिछले कई हफ़्तों से हंगामा हो रहा था और सरकार ने विरोध को देखते हुए पहले ही इसे अनिश्चित समय के लिए निलंबित कर दिया था. </p><figure> <img alt="हांगकांग" src="https://c.files.bbci.co.uk/911E/production/_107805173_b9272c63-ba0a-407c-b94f-c02c2dba5d50.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>पत्रकारों से बात करते हुए लैम ने कहा &quot;सरकार की ईमानदारी को लेकर अभी भी संदेह है और इस बात की चिंता भी है कि सरकार विधायक परिषद में प्रक्रिया फिर से शुरू करेगी या नहीं.&quot;</p><p>&quot;इसलिए मैं ये दोहराती हूं कि ऐसी कोई योजना नहीं है. यह बिल अब नहीं रहा.&quot;</p><p>इससे पहले लैम ने कहा था कि यह बिल साल 2020 में समाप्त हो जाएगा, जब मौजूदा सत्र समाप्त होगा.</p><p>प्रदर्शन कर रहे लोगों और उनके नेताओं ने लैम के प्रयासों और उनकी घोषणा की आलोचना की है. </p><p>सिविल ह्यूमन राइट्स फ्रंट के बॉनी लियूंग उन लोगों में से एक हैं जिन्होंने प्रदर्शन का आयोजन किया. उनका कहना है कि यह प्रदर्शन तब तक जारी रहेंगे जब तक की हांगकांग की सरकार उनकी पांच सूत्रीय मांग नहीं मान लेती वो प्रदर्शन जारी रखेंगे. </p><p>इस पांच सूत्रीय मांग में बिल को पूरी तरह से वापस लिए जाने की मांग भी शामिल है और साथ ही उन लोगों की रिहाई की मांग भी शामिल है जिन्हें प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिया गया. </p><h1>तो क्या यह पर्याप्त होगा? </h1><p>बीबीसी संवाददाता रुपर्ट विंगफ़ील्ड हेज़ के मुताबिक़ कैरी लैम का बयान काफ़ी सशक्त मालूम पड़ता है.</p><p>बीबीसी संवाददाता ने कहा, &quot; यह बिल मृतप्राय है, ऐसा कह देने के बाद कुछ भी कहे जाने के लिए बहुत अधिक गुंजाइश नहीं बचती है. लेकिन उन्होंने प्रदर्शनकारियों की असल मांग को मान लिए जाने का कहीं भी ज़िक्र नहीं किया है. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि इस बिल को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया जाए.&quot;</p><figure> <img alt="हांगकांग में प्रदर्शन" src="https://c.files.bbci.co.uk/42FE/production/_107805171_141870bc-03cf-4906-8613-32b539ccc4f7.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><p>बावजूद इसके वो इस बात के लिए भी प्रतिबद्ध हैं कि जब तक मौजूदा सत्र समाप्त नहीं हो जाता तब तक बिल अधर में लटका रहेगा और सत्र के समाप्त होने के बाद यह ख़ुद ब ख़ुद समाप्त हो जाएगा.</p><p>ऐसे में आगे जो होना है वो पूरी तरह से साफ़ नज़र आ रहा है. हांगकांग की सड़कों पर पिछले एक महीने से हज़ारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं और प्रदर्शन कर हैं. </p><p>अभी बीते रविवार को ही क़रीब एक लाख लोगों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया. यहां तक की बीजिंग के समर्थन वाली राजनीतिक पार्टियां भी अब सवाल करने लगी हैं.</p><p>सिविक पार्टी के एल्विन येउंग ने बीबीसी से कहा कि विधेयक अब मृतप्राय है ये राजनीतिक भाषा है.</p><p>उन्होंने कहा कि तकीनीकी तौर पर देखें तो यह विधेयक अब भी वजूद में है और दूसरी बार देखे जाने की प्रक्रिया में है.</p><p>हमें इस बात का अंदाज़ा नहीं है कि आख़िर मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने ‘वापस लेने’ जैसे शब्द का इस्तेमाल क्यों नहीं किया. </p><p>प्रदर्शनों में शामिल एक प्रमुख छात्र नेता जोशुआ वॉन्ग ने लैम के बयान पर नाराज़गी जताते हुए ट्वीट किया कि वो हांगकांग के लोगों से झूठ बोल रही हैं.</p><h1>क्या है प्रत्यर्पण क़ानून</h1><p>प्रत्यर्पण क़ानून को लेकर हांगकांग में लंबे वक़्त से प्रदर्शन हो रहे हैं. </p><p>प्रस्तावित क़ानून के मुताबिक़ अगर कोई शख़्स अपराध करके हांगकांग भाग जाता है तो उसे जांच प्रक्रिया में शामिल होने के लिए चीन भेजा जाएगा.</p><p>हांगकांग की सरकार फ़रवरी के महीने में मौजूदा प्रत्यर्पण क़ानून में संशोधन का प्रस्ताव लेकर आई थी. ताइवान में एक व्यक्ति अपनी प्रेमिका की कथित तौर पर हत्या कर हांगकांग वापस आ गया था. इसके बाद ही इस क़ानून में संशोधन का प्रस्ताव लाया गया.</p><figure> <img alt="हांगकांग" src="https://c.files.bbci.co.uk/DF3E/production/_107805175_3976a245-a82a-4444-b632-b50eb654fa01.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>हांगकांग चीन का एक स्वायत्त द्वीप है और चीन इसे अपने संप्रभु राज्य का हिस्सा मानता है. हांगकांग का ताइवान के साथ प्रत्यर्पण संधि नहीं है, इस वजह से हत्या के मुक़दमे के लिए उस शख़्स को ताइवान भेजना मुश्किल है.</p><p>यह क़ानून चीन को उन क्षेत्रों से संदिग्धों को प्रत्यर्पित करने की अनुमति देगा, जिनके साथ हांगकांग के समझौते नहीं है.</p><p>हांगकांग में अंग्रेज़ों के समय का कॉमन लॉ सिस्टम है और इसका एक दर्जन से अधिक देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि है. इनमें अमरीका, ब्रिटेन और सिंगापुर भी शामिल हैं.</p><h1>यह विवादित क्यों है?</h1><p>साल 1997 में जब हांगकांग को चीन के हवाले किया गया था तब बीजिंग ने ‘एक देश-दो व्यवस्था’ की अवधारणा के तहत कम से कम 2047 तक लोगों की स्वतंत्रता और अपनी क़ानूनी व्यवस्था को बनाए रखने की गारंटी दी थी.</p><p>साल 2014 में हांगकांग में 79 दिनों तक चले ‘अम्ब्रेला मूवमेंट’ के बाद लोकतंत्र का समर्थन करने वालों पर चीनी सरकार कार्रवाई करने लगी थी. इस आंदोलन के दौरान चीन से कोई सहमति नहीं बन पाई थी.</p><p>विरोध प्रदर्शनों में शामिल लोगों को जेल में डाल दिया गया था. आज़ादी का समर्थन करने वाली एक पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया गया और उस पार्टी के संस्थापक से इंटरव्यू करने पर एक विदेशी पत्रकार को वहां से निकाल दिया गया था.</p><p>हांगकांग के लोग प्रत्यर्पण क़ानून में संशोधन के प्रस्ताव का जमकर विरोध कर रहे हैं. इनका कहना है कि इसके बाद हांगकांग के लोगों पर चीन का क़ानून लागू हो जाएगा और लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में ले लिया जाएगा और उन्हें यातनाएं दी जाएंगी.</p><h1>सरकार पर भरोसा क्यों नहीं?</h1><p>पिछले कुछ सालों में हांगकांग की सरकार के प्रति लोगों का अविश्वास बढ़ा है कि वो बीजिंग के प्रभाव में आकर फैसले ले रही है.</p><p>हालांकि सरकार ने ज़ोर देकर कहा है कि वह राजनीतिक अपराधों के ख़िलाफ़ मुक़दमा नहीं चलाएगी. कइयों को डर है कि बीजिंग हांगकांग के नागरिकों और विदेशियों के ख़िलाफ़ यह क़ानून ग़लत तरीके से इस्तेमाल करेगा.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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