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ममता बनर्जी कैसे फँस गईं ‘कटमनी’ विवाद में

<p>लोकसभा चुनावों और इस दौरान सियासी हिंसा के लिए लंबे अरसे से सुर्खियां बटोरने वाले पश्चिम बंगाल में अब ‘कटमनी’ एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. </p><p>स्थानीय भाषा में कटमनी उस रकम को कहा जाता है जो सत्तारुढ़ पार्टी के नेता सरकारी परियजोनाओं के लिए आवंटित रकम में से कमीशन के तौर पर लेते […]

<p>लोकसभा चुनावों और इस दौरान सियासी हिंसा के लिए लंबे अरसे से सुर्खियां बटोरने वाले पश्चिम बंगाल में अब ‘कटमनी’ एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. </p><p>स्थानीय भाषा में कटमनी उस रकम को कहा जाता है जो सत्तारुढ़ पार्टी के नेता सरकारी परियजोनाओं के लिए आवंटित रकम में से कमीशन के तौर पर लेते हैं. </p><p>आरोप है कि निचले स्तर के नेताओं और कार्यकर्ताओं की ओर से ली जाने वाली यह रकम ऊपर तक पहुंचती है. </p><p>अब इस मुद्दे को लपकते हुए विपक्षी राजनीतिक दलों ने मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी और उनके सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी तक को कठघरे में खड़ा कर दिया है. </p><p>विपक्षी सदस्य विधानसभा में भी इस मुद्दे पर हंगामा करते हुए वॉकआउट कर चुके हैं. </p><p>इस मुद्दे पर विवाद तेज़ होते देख कर टीएमसी को सफ़ाई तक देनी पड़ी है.</p><h1>पश्चिम बंगाल में नया विवाद</h1><p>सरकारी परियोजनाओं के लिए आवंटित रकम में से लिए जाने वाले कमीशन पर मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी की टिप्पणी ने जहां विवादों का पिटारा खोल दिया है.</p><p>वहीं इसने विपक्ष को भी एक मज़बूत मुद्दा थमा दिया है. </p><p>ममता ने तृणमूल कांग्रेस के पार्षदों के साथ हाल में एक बैठक में कहा था कि वे चोरों को पार्टी में नहीं रखना चाहतीं. </p><p>उनका कहना था, &quot;कुछ नेता ग़रीबों को मकान के लिए मिलने वाली अनुदान की रकम में से 25 फीसदी कमीशन मांग रहे हैं. यह तुरंत बंद होना चाहिए.&quot; </p><p>ममता ने कहा था कि अगर किसी ने ऐसा कमीशन लिया है तो वह इसे फौरन वापस लौटा दे. अब कटमनी लेने वालों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. ममता की इस टिप्पणी के बाद ही विवाद पैदा हो गया. </p><p>उसके बाद राज्य के विभिन्न इलाकों में तृणमूल नेताओं, पार्षदों और पंचायत प्रतिनिधयों को आम लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है. कई जगह तो उनके साथ मार-पीट की घटनाएं भी हुई हैं. </p><p>पार्टी के कई नेताओं और पार्षदों को भी ममता की यह टिप्पणी नागवार गुजरी है. दूसरी ओर, विपक्ष ने इस मुद्दे को लपक लिया है.</p><hr /> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48678840?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">डॉक्टरों की हड़ताल तुड़वाना ममता का ‘मास्टर स्ट्रोक’? </a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48687403?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अधीर रंजन चौधरीः पैदल सिपाही से कांग्रेस संसदीय दल के नेता तक</a></li> </ul><hr /><h1>विपक्ष ने बोला हमला</h1><p>प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, &quot;अब तृणमूल कांग्रेस नेताओं के भ्रष्टाचार से पर्दा हट गया है. यह खुला रहस्य है कि तृणमूल के नेता कटमनी और कमीशन लेते हैं. अब आम लोग इसके विरोध में सामने आ रहे हैं.&quot; </p><p>बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का आरोप है कि निचले स्तर के कार्यकर्ताओं की ओर से ली गई कटमनी सीधे अभिषेक बनर्जी तक पहुंचती है. </p><p>उनका सवाल है कि क्या वे उक्त रकम वापस करेंगे? </p><p>कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सोमेन मित्र ने तृणमूल कांग्रेस के तमाम नेताओं, सांसदों, विधायकों और पार्षदों की संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने की मांग की है. </p><hr /> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48490711?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ममता बनर्जी का बीजेपी पर हमला, नारों से नहीं नफ़रत वाली सोच से ऐतराज़</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-48563290?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ममता बनर्जी धर्म की राजनीति भड़का रही हैं?</a></li> </ul><hr /><h1>विधानसभा में हुआ हंगामा</h1><p>माकपा, कांग्रेस और बीजेपी तीनों पार्टियों ने सोमवार को सदन में कटमनी को लेकर विधानसभा अध्यक्ष स्पीकर के सामने सरकार विरोधी नारे लगाए और इस मुद्दे पर सदन में बहस कराने की मांग की.</p><p>लेकिन विधानसभा अध्यक्ष की ओर से इसकी अनुमित नहीं मिलने के विरोध में कई सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया. </p><p>विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान कहते हैं, &quot;ममता ने अब सरकारी परियोजनाओं और कमीशनखोरी पर निगाह रखने के लिए मानीटरिंग सेल का गठन तो कर दिया है. लेकिन पहले ली गई कटमनी के मामलों की भी जांच की जानी चाहिए.&quot; </p><p>विपक्षी दलों का आरोप है कि निचले स्तर के नेताओं ने 25 फीसदी कमीशन लिया है जबकि बड़े नेताओं ने 75 फीसदी. ऐसे में सिर्फ 25 फीसदी रकम वापस देने से ही काम नहीं चलेगा. पूरी रकम वापस करनी होगी. </p><p>सदन में विपक्षी सदस्यों ने अपने गले में जो तख्तियां लटका रखी थीं उन पर लिखा था—कटमनी का संक्षिप्त रूप सीएम है. </p><p>उनमें से एक तख्ती पर ममता को निशाना बनाते हुए लिखा गया था कि पेंटिंग की बिक्री से मिली 1.86 करोड़ रुपए का कटमनी कौन लौटाएगा? विपक्ष ने सरकार से इस मुद्दे पर श्वेतपत्र जारी करने की भी मांग की है.</p><p>ममता की टिप्पणी पर विवाद बढ़ते देख कर टीएमसी को इस मुद्दे पर सफाई तक देनी पड़ी है. </p><h1>टीएमसी नेता भी परेशान</h1><p>पार्टी महासचिव पार्थ चटर्जी ने मीडिया के एक वर्ग पर उक्त बैठक की गलत रिपोर्टिंग का आरोप लगाया है. </p><p>यहां जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने पार्षदों को आम लोगों के हितों में काम करने की नसीहत दी थी ताकि विभिन्न परियोजनाओं के लिए भेजी जाने वाली रकम का सही इस्तेमाल हो सके. चटर्जी दावा करते हैं, &quot;पार्टी के 99.99 फीसद नेता मेहनती और ईमानदार हैं और आम लोगों के हितों के लिए काम करने के प्रति कृतसंकल्प हैं.&quot;</p><p>तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य शांतनु सेन पर भी हाल में एक प्रमोटर से कटमनी लेने का आरोप लगा था. </p><p>लेकिन सेन ने इस आरोप को निराधार और राजनीतिक मकसद से प्रेरित करार दिया है. वैसे, ममता की टिप्पणी से पार्टी के कुछ नेताओं में भी भारी नाराजगी है. </p><p>नदिया जिले के एक टीएमसी नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि दीदी ने हमें तो गिरफ्तारी की चेतावनी दी है. लेकिन बड़े नेताओं का क्या होगा. क्या वे पैसा वापस करेंगे? </p><p>तृणमूल सांसद शताब्दी राय का कहना है कि कमीशन का यह सिलसिला काफी दूर तक जाता है. </p><p>वह कहती हैं, &quot;सरकारी परियोजनाओं में से कटमनी या कमीशन लेने वाला व्यक्ति तो महज एक मोहरा होता है. उसके पीछे कई लोग होते हैं. ममता को काफी पहले ही इस आदत पर रोक लगाने की पहल करनी चाहिए थी.&quot;</p><p>राजनीतिक पर्यवेक्षक विश्वनाथ पंडित कहते हैं, &quot;कटमनी पर टिप्पणी कर ममता ने भले ही अपना घर साफ करने की कवायद शुरू की हो, इससे टीएमसी के खिलाफ विपक्ष को एक मजबूत हथियार मिल गया है.&quot;</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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