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कैसा होना चाहिए मोदी सरकार का बजट

अजीत रानाडे आर्थिक मामलों के जानकार बढ़ती महंगाई और कई राज्यों में सूखे की आशंका. ऐसे समय में बजट ऐसा होना चाहिए जो आम आदमी की मुश्किलें नहीं बढ़ाए. इसके लिए सरकार को कई तरह के कदम उठाने की जरूरत है. एक नज़र उन कदमों पर जिसकी उम्मीद आम आदमी कर रहा है. 1. नए […]

बढ़ती महंगाई और कई राज्यों में सूखे की आशंका. ऐसे समय में बजट ऐसा होना चाहिए जो आम आदमी की मुश्किलें नहीं बढ़ाए. इसके लिए सरकार को कई तरह के कदम उठाने की जरूरत है. एक नज़र उन कदमों पर जिसकी उम्मीद आम आदमी कर रहा है.

1. नए करों की घोषणा न हो, मौजूदा कर की दरों में बढ़ोत्तरी नहीं हो और सरचार्ज को समाप्त किया जाए.

2. आम लोगों की आयकर छूट की सीमा को दो लाख रुपए से बढ़ाकर तीन लाख रुपए किए जाने की ज़रूरत है. महिलाओं के लिए ये सीमा साढ़े तीन लाख रुपए होनी चाहिए. इससे आम लोगों की क्रय शक्ति कायम रहेगी.

3. कृषि से होनी वाली आय पर कर लगाने का ये उपयुक्त समय है. अगर इसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत हो तो वह होना चाहिए. लोकसभा में एक अकेली पार्टी को बहुमत हासिल है, तो वह ये सख़्त कदम उठाने में सक्षम है. कृषि से होने वाली आय में छूट के चलते बहुत सारे काले धन को खेती से होनी वाली आय के तौर पर दर्शाया जाता है. अगर कृषि से होनी वाली आय भी कर के दायरे में होगी तो इस चलन पर अंकुश लगेगा.

घाटा कम करने की चुनौती

4. महंगाई के अलावा सरकार के सामने राजकोषीय घाटे को कम करने की चुनौती भी है. राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार को कर छोड़कर दूसरे विकल्पों पर ध्यान देना चाहिए. इसके लिए सरकार कोल इंडिया जैसे उपक्रमों में विनिवेश बढ़ा सकती है और स्पेक्ट्रम बेच सकती है.

5. कॉरपोरेट घरानों को दी जाने वाली रियायत को कम करके भी राजस्व को बढ़ाना संभव है. मौजूदा समय में कॉरपोरेट घरानों को 5.6 लाख करोड़ रुपए की छूट मिली हुई है.

6. जहां तक खर्च कम करने की बात है, तो कई विकल्प मौजूद हैं. हमें इतने मंत्रालयों की जरूरत नहीं है. इसे कम किया जाना चाहिए.

7. केंद्र सरकार को योजनाओं में किसी तरह के दोहराव और अतिरेक से बचना चाहिए. इससे खर्च कम होगा. राज्य सरकार को विकास मद में ख़ुद से खर्च करना चाहिए, योजना आयोग के आवंटन पर निर्भर नहीं होना चाहिए.

8. बजट में सबसे ज़्यादा खर्च ब्याज़ चुकाने पर होता है. चार लाख करोड़ रुपए सालाना इस मद में जाते हैं. अगर कर्जे में पांच फीसदी की भी कमी हो जाए तो सरकार बीस हज़ार करोड़ रुपए बचा सकती है. यह तभी होगा जब ब्याज़ दरें कम होंगी. इसके लिए रिजर्व बैंक को ब्याज़ दरों में कटौती करनी होगी. यह महंगाई के कम होने पर ही संभव है.

बंद हों हज़ार के नोट

9. इसके अलावा बाज़ार से हज़ार रुपए के नोटों को हटाने की भी जरूरत है. क्या सरकार ये सख़्त कदम उठा सकती है? आम लोगों को इन नोटों को वापस करने के लिए समय देना चाहिए. इससे काले धन के प्रवाह पर अंकुश लगाना संभव होगा.

10. अगर सोने की खरीदारी में पैन कार्ड को अनिवार्य कर दिया जाए तो उससे भी काले धन पर अंकुश लगेगा. पैन कार्ड के अलावा किसी दूसरे सबूत को भी अनिवार्य बनाया जा सकता है.

11. सरकार डिमैट गोल्ड का कांसेप्ट भी ला सकती है. जिसमें सोना, किसान विकास पत्र या राष्ट्रीय बचत पत्र की तर्ज पर प्रमाण पत्र के तौर पर देने का प्रावधान हो. यह बाज़ार में उपलब्ध हो और सोने की कीमत के बराबर इसकी कीमत हो. इससे सोना खरीदना संभव होगा लेकिन इसके लिए देश को सोना आयात नहीं करना होगा. डिमैट गोल्ड की योजना में परिपक्वता के बाद रकम वापसी का प्रावधान रखना चाहिए. अगर यह योजना कामयाब होती है तो इसे 10 या 20 साल के विकल्पों में भी आजमाना चाहिए.

रोज़गार की आस

12. अगर होम लोन के ब्याज़ में कटौती होती है, तो लोगों को राहत मिलेगी.

13. इसी तरह एजुकेशन लोन में भी राहत की उम्मीद होगी.

14. कृषि के क्षेत्र में सुधार की जरूरत है ताकि किसान सीधे उपभोक्ता से जुड़ सकें. इससे बिचौलिए को समाप्त करने में मदद मिलेगी. इससे उपभोक्ताओं को सस्ता सामान मिलेगा जबकि किसानों की आमदनी बढ़ेगी.

15. अर्थव्यवस्था के सामने लोगों को रोजगार देने की चुनौती भी है. हर महीने दस लाख लोग मानव संसाधन के तौर पर बढ़ रहे हैं. यह सिलसिला अगले दस-पंद्रह सालों तक बना रहेगा. इन लोगों को रोजगार देने के लिए हमें प्रत्येक महीने 50 हज़ार नए उपक्रमों की जरूरत है.

16. हमें लालफ़ीताशाही कम करनी होगी, लाइसेंस राज को कम करना होगा. छोटे उपक्रमों को बैंक लोन हासिल करने में काफी मुश्किलें होती हैं.

क्या बजट इस समस्या का हल दे पाएगा? सरल शब्दों में कहें, तो आम आदमी बजट से महंगाई और कर में राहत और नौकरी और उद्यम के ज़्यादा अवसर की उम्मीद कर रहा है.

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