चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि चीन चाहे जितना शक्तिशाली क्यों न हो जाए, पर वह कभी अपनी इच्छा दूसरों पर थोपने की कोशिश नहीं करेगा.
जिनपिंग ने बीजिंग में भारत और म्यांमार (बर्मा) के नेताओं की मेज़बानी करते हुए यह कहा.
भारत और म्यांमार के नेता ‘पंचशील’ की 60वीं वर्षगांठ के मौक़े पर बीजिंग पहुंचे हैं. 60 साल पहले चीन ने भारत और बर्मा के साथ आक्रमण और हस्तक्षेप न करने का समझौता किया था.
चीन के कई पड़ोसी देश उसके साथ सीमा विवाद में उलझे हैं.
वो चीन के बढ़ते सैन्य खर्च को चिंतित हैं और कुछ इसे उसकी हठधर्मिता मानते हैं.
जिनपिंग ने कहा, "चीन इस धारणा से सहमत नहीं कि जब किसी देश की शक्ति बढ़ती है, तो उसे आधिपत्य जमाना चाहिए."
शांतिपूर्ण विकास
उन्होंने कहा, "आधिपत्य या सैन्यीकरण चीन के जींस में नहीं है. चीन शांतिपूर्ण विकास के लिए दृढ़ रहेगा क्योंकि यह चीन के लिए, एशिया के लिए और दुनिया के लिए अच्छा है."
उन्होंने एशिया प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा के लिए नई बुनियाद का आह्वान किया.
चीनी राष्ट्रपति के भाषण का मक़सद साफ़ था. वह पड़ोसी देशों को भरोसा दिलाना चाहते थे, पर यह संदेश क्या काम करेगा, यह अलग बात है.
भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी मौजूद थे. भारत चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर उलझा है. चीन के साथ वियतनाम, फिलीपींस और जापान के भी समुद्री सीमा विवाद हैं.
माना जा रहा है कि चीन के राष्ट्रपति का संदेश अमरीका के लिए था.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)