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ताकि सेहत रहे चंगी
डॉ भास्वती भट्टाचार्य ने अपने गहन शोध और आयुर्वेदिक अनुसंधान से यह पाया है कि असाध्य रोगों तक से लड़ने में जब इंसान हर उपाय से हार जाये, तो उसे आयुर्वेद का सहारा लेना चाहिए. ह मारे बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि सेहत हजार नियामत है. उनसे हमने यह भी सुना है कि स्वस्थ शरीर में […]
डॉ भास्वती भट्टाचार्य ने अपने गहन शोध और आयुर्वेदिक अनुसंधान से यह पाया है कि असाध्य रोगों तक से लड़ने में जब इंसान हर उपाय से हार जाये, तो उसे आयुर्वेद का सहारा लेना चाहिए. ह मारे बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि सेहत हजार नियामत है. उनसे हमने यह भी सुना है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है.
लेकिन, आज सेहत एक ऐसी कीमती चीज बन गयी है कि जिसके पास अच्छी सेहत है, वही धनी है. मगर ऐसा हो पाना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि आज हमारी दिनचर्या इतनी अनियमित है कि इससे अच्छी सेहत की उम्मीद नहीं की जा सकती.
अंग्रेजी, होमियोपैथी, यूनानी, आयुर्वेदिक, हकीमी और जड़ी-बूटी वाली औषधियों और दवाइयों का एक भरा-पूरा संसार हमारे सामने है और हम हर बात के लिए दवाइयों पर निर्भर भी रहने लगे हैं, फिर भी सेहत है कि कहीं रूठी बैठी है. इसी रूठी सेहत को मनाने के लिए डॉ भास्वती भट्टाचार्य ने अपनी नयी किताब ‘प्रतिदिन आयुर्वेद’ में बताया है कि रोजमर्रा की जिंदगी में आयुर्वेद को किस तरह शामिल करें, ताकि हमेशा निरोग रहें और स्वस्थ रहें.
दो प्रकाशनों- मंजुल और पेंग्विन के साझा प्रकाशन से आयी ‘प्रतिदिन आयुर्वेद’ नामक इस किताब के बारे में कांग्रेस सांसद शशि थरूर कहते हैं कि आयुर्वेद को लोकप्रिय बनाने में यह किताब बहुत ही सहायक है. वहीं, इस किताब की भूमिका अभिनेता अभय देओल ने लिखी है. दरअसल, अंग्रेजी पुस्तक ‘एवरीडे आयुर्वेदा’ का यह हिंदी संस्करण है, जिसका अनुवाद महेंद्र नारायण यादव ने किया है.
इस किताब का केंद्रीय भाव हमारी रोज की आदतें हैं, अनियमितताएं हैं, जो हमारी सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं. अच्छी आदतों को खुद में विकसित कर निरोग रखने के सारे तरीके प्रतिदिन आयुर्वेद में बताये गये हैं. यानी ऐसी आदतें, जो हम सबका जीवन बदल सकती हैं. सुबह नींद खुलने से लेकर रात को सोने जाने तक की हमारी तमाम गतिविधियों को आयुर्वेद के सिद्धांतों से जोड़ा गया है, ताकि शहरी संस्कृति की विडंबनाओं से भरा हमारा प्रत्येक दिन स्वस्थ बन सके.
डॉ भास्वती भट्टाचार्य ने अपने गहन शोध और आयुर्वेदिक अनुसंधान से यह पाया है कि असाध्य रोगों तक से लड़ने में जब इंसान हर उपाय से हार जाये, तो उसे आयुर्वेद का सहारा लेना चाहिए, ताकि वह असाध्य रोग से हमेशा के लिए मुक्ति पा सके. अच्छी सेहत के नजरिये से यह किताब सभी को पढ़नी चाहिए.- शफक महजबीन
विश्व सिनेमा
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शफक महजबीन
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