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इन बेटियों को अमेरिका में खेलने में सहायता कीजिए

।। अनुज कुमार सिन्हा ।। ब्राजील में वर्ल्ड कप फुटबॉल चल रहा है. वहां भारत की टीम नहीं है, फिर भी यहां क्रेज इतना है कि रात-रात भर जग कर फुटबॉल प्रेमी मैच देख रहे हैं. काश ! वर्ल्ड कप में भारत क्वालीफाइ कर पाता. लेकिन इस पीड़ा को दूर करने के लिए तैयार हैं, […]

।। अनुज कुमार सिन्हा ।।

ब्राजील में वर्ल्ड कप फुटबॉल चल रहा है. वहां भारत की टीम नहीं है, फिर भी यहां क्रेज इतना है कि रात-रात भर जग कर फुटबॉल प्रेमी मैच देख रहे हैं. काश ! वर्ल्ड कप में भारत क्वालीफाइ कर पाता. लेकिन इस पीड़ा को दूर करने के लिए तैयार हैं, झारखंड की लड़कियां (अधिकतर आदिवासी). ओरमांझी में युवा फुटबॉल क्लब की ये आदिवासी लड़कियां 12 से 14 साल के बीच की हैं.

अमेरिका की प्रसिद्ध फुटबॉल प्रतियोगिता यूएसए कप में खेलने का इन्हें अवसर मिला है. उनका यह सपना पूरा हो सकता है, अगर आप (झारखंड/देश के नागरिक) इनकी सहायता के लिए आगे आयें. ये आपकी बेटियां हैं और इनके सपने को पूरा करने का दायित्व आपका भी है. इन लड़कियों को अमेरिकी फुटबॉलर फ्रांज गेसलर ने प्रशिक्षित किया है. यह जुनूनी युवक अमेरिका से रांची (ओरमांझी) आकर चार-पांच साल से यहां की लड़कियों को फुटबॉल का प्रशिक्षण दे रहा है. अब ये लड़कियां दुनिया की किसी भी टीम को चुनौती देने के लिए प्रशिक्षित हो चुकी हैं.

याद कीजिए, दो साल पहले की बात. पहली बार इन लड़कियों ने झारखंड से बाहर जा कर खेला था. वह भी स्पेन में (पहली बार विदेश गयी थी). गेसलर ले गये थे. इन लड़कियों ने स्पेन में खेले गये गेस्टिज कप में तीसरा स्थान पाकर कांस्य पदक जीता था. बड़ी उपलब्धि थी. पूरा देश गौरवान्वित हुआ था.

इस बार भी यूएसए कप में खेलनेवाली यह पहली भारतीय टीम हो सकती है. इस टीम की खिलाड़ियों में प्रतिभा है, जज्बा है, आत्मविश्वास है. पर, साधन का अभाव है.

18 लड़कियों को अमेरिका जाने, वहां रहने, खाने-पीने का कुल खर्च 50 लाख रुपये आयेगा. ये झारखंड की गरीब लड़कियां हैं. कहां से इतना पैसा ला सकती हैं.

उनके सपने को साकार करने के लिए लोगों को सामने आना होगा. यहां की औद्योगिक संस्थाओं को आगे आना होगा. अगर पूरा राज्य/देश खड़ा हो जाये, तो कुछ भी असंभव नहीं है. लोग सामने आ रहे हैं. उषा मार्टिन/ केजीबीके, स्टार स्पोर्ट्स, केटो, आउटबाउंड ट्रेवेल्स और कुछ अन्य संस्थाएं आगे आयी हैं. लेकिन बड़ी राशि चाहिए. इन लड़कियों के पास पासपोर्ट तैयार है, अमेरिकी वीजा है. अगर कमी है तो सिर्फ पैसे की.

फ्रांज गेसलर ने ही युवा का गठन किया है. यह लड़कियों को सशक्त करने की एक मौन क्रांति भी है. इन लड़कियों को अमेरिका भेजने की जिम्मेवारी सिर्फ गेसलर की नहीं है, हम सभी की है. समय काफी कम है. 11 जुलाई से प्रतियोगिता आरंभ होने जा रही है. इसके पहले इन लड़कियों को अमेरिका पहुंचना होगा. आप आगे आयें. इन लड़कियों की सहायता करें. इसके लिए ओरमांझी स्थित युवा संस्था से संपर्क कर सकते हैं या फिर युवा की वेबसाइट पर जा सकते हैं. (http://www.yuwa-india.org/donate).

याद रखिए, आपका थोड़ा सा सहयोग भी इन लड़कियों का हमेशा के लिए भविष्य बना सकता है. अमेरिका में झारखंड की ये आदिवासी लड़कियां जब फुटबॉल के मैदान में अपनी प्रतिभा दिखायेंगी, दुनिया की दूसरी मजबूत टीम को जब पानी पिलायेगी, मैदान में छकायेंगी तो आप गर्व करेंगे. आप महसूस करेंगे कि आपके परिवार की लड़की यह करिश्मा दिखा रही है. विलंब न करें. आगे आयें और इन लड़कियों को अमेरिका भेजो मिशन में अपना योगदान दें.

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