10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बच्चों के लिए रंगमंच टाइम पास नहीं

अस्मा लध्धा रंगमंच विशेषज्ञ और नाट्य समीक्षक ये बात अक्सर सुनने में आती है कि इंसान रंगमंच कलाकार के रूप में या तो पैदा होता है या नहीं होता. कहने का मतलब ये कि थियेटर रगों में दौड़ता है. सवाल ये उठता है कि क्या वाक़ई मंच पर अभिनय करने की कला सिर्फ़ क़ुदरती होती. […]

Undefined
बच्चों के लिए रंगमंच टाइम पास नहीं 2

ये बात अक्सर सुनने में आती है कि इंसान रंगमंच कलाकार के रूप में या तो पैदा होता है या नहीं होता. कहने का मतलब ये कि थियेटर रगों में दौड़ता है.

सवाल ये उठता है कि क्या वाक़ई मंच पर अभिनय करने की कला सिर्फ़ क़ुदरती होती. उसे पैदा नहीं किया जा सकता या सीखा-सिखाया नहीं जाता ?

गर्मियों का मौसम थिएटर के लिहाज़ से बच्चों के लिए बहुत कुछ लेकर आता है. उदाहरण के तौर पर मुंबई में, गर्मी की छुट्टियों के दौरान दो नामचीन बाल रंगमंच उत्सव होते हैं.

इनमें से एक का आयोजन एनसीपीए यानी नैशनल सेंटर फ़ॉर दि पर्फ़ार्मिंग आर्ट्स और दूसरे का पृथ्वी थिएटर करता है. इन रंगमंच उत्सवों में बच्चों के नाटकों के साथ ही तमाम कार्यशालाएं लगाई जाती हैं जिनमें फ़ोटोग्राफ़ी, डांस, कलात्मक लेखन, लोक-संगीत वग़ैरह सिखाया जाता है.

कार्यशालाओं में हिस्सेदारी होती है छह से सोलह साल तक के बच्चों की. लाज़मी है ये सवाल उठना कि इन जगहों पर जाने से बच्चों को हासिल क्या होता है. ये जानने के लिए हमने बात की कुछ ऐसे युवाओं से जिन्होंने इन कार्यशालाओं से ही मंच पर अपनी यात्रा शुरू की.

जीने की कला

थिएटर, फ़िल्म और टेलीविज़न की दुनिया का जाना-पहचाना नाम– सरिता जोशी अपनी अभिनय कला का पूरा श्रेय देती हैं गुजराती थिएटर से हुई अपनी शुरूआत को.

सरिता बताती हैं, ”सात बरस की उम्र में मैंने एक बाल कलाकार के तौर पर शुरूआत की. जब मैं बच्ची थी तो कलात्मकता के बारे में नहीं सोचती थी. बस देखना, सबके डायलॉग याद कर लेना बहुत मज़ा देता था. मैं जो कर रही थी उसमें बहुत मज़ा आता था.”

सरिता कहती हैं कि ”मैने कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली है ज़िंदगी के बारे में जो भी सीखा है वो दूसरे कलाकारों, लेखकों, निर्देशकों और अन्य लोगों से बातचीत के ज़रिए ही सीखा है. मंच ही मेरा गुरु है.”

हाल ही में रिलीज़ हुई फ़िल्म हंसी तो फंसी में दिखने वाली नीना कुलकर्णी, टीवी का भी जाना-माना नाम हैं. नीना ने 15 साल की उम्र में व्यावसायिक थिएटर की दुनिया में क़दम रखा.

नीना बच्चों को थिएटर भेजने के हक़ में हैं लेकिन माता-पिता को ज़रा सजग रहने की सलाह देती हैं.

नीना कहती हैं, ”माता-पिता को बच्चों को कार्यशालाओं में जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए दिलो-दिमाग़ की एक कसरत के तौर पर. टेलीविज़न के बेहिसाब असर ने बच्चों की स्वाभाविक अभिव्यक्ति छीन ली है. वो हमेशा किसी दूसरे की नकल करते हुए मिलते हैं. थिएटर का इस्तेमाल उनकी ऊर्जा के इस्तेमाल के लिए होना चाहिए. एक करियर के तौर पर चुनने के दबाव के साथ नहीं. उन्हें ये सिखाना चाहिए फिर उन पर छोड़ देना चाहिए.”

रंगमंच की इन हस्तियों ने फ़िल्मों और टीवी का रूख़ तो किया लेकिन थिएटर को अलविदा नहीं कहा. इनके करियर की शुरूआत उस वक्त हुई जब तकनीकी विकास अपने पहले चरण में था.

व्यक्तित्व और रंगमंच

हालांकि आज ऐसे युवा कलाकार भी मौजूद हैं जिन्होंने बाल कलाकार के तौर पर अभिनय की शुरूआत की लेकिन तेज़ भागती दुनिया में भी थिएटर ने उन्हें बांध कर रखा है.

अंशुमन झा ऐसा एक युवा चेहरा हैं जिन्होंने 14 साल की उम्र में स्टेज शुरू किया पृथ्वी थिएटर की कार्यशालाओं से.

इस माध्यम पर टिप्पणी करते हुए अंशुमन कहते हैं, ”स्टेज आपको अभिव्यक्ति और ख़ुद को पेश करने का तरीक़ा सिखाता है. इससे बच्चे कई व्यक्तिगत विशेषताएं विकसित कर पाते हैं. यही मंच पर होने का असल निचोड़ है.”

बच्चों के ही एक अन्य नाटक वुल्फ़ के लिए काम करने वाले युवा अभिनेता राहिल गिलानी कहते हैं, ”ये बच्चों की ख़ुशक़िस्मती है कि आज ख़ास उनके लिए नाटक लिखे जाते हैं. बच्चों को ध्यान में रखकर नामचीन निर्देशक इन्हें पेश करते हैं और लेखक लिखते हैं. फिर भी इन्हें बचकाना नहीं बनाया जाता. प्रोफ़ेशनल तरीक़े से बनाए और पेश किए जाते हैं.”

बच्चों के लिए इसका ख़ास फ़ायदा बताते हुए राहिल कहते हैं, ”दर्शक सामने बैठे होते हैं और उनकी तालियां बच्चों को प्रेरित करने का काम करती हैं.”

थिएटर की इन हस्तियों से बातचीत से साफ़ होता है कि मंच पर अभिनय बच्चों के लिए सिर्फ़ एक समय काटने का ज़रिए नहीं है.

ये एक दिलचस्प तरीक़ा है उनके अंदर आत्म-विश्वास, कलात्मक अभिव्यक्ति और टीम-भावना पैदा करने का.

ये बातें उम्र भर उनके साथ रहेंगी चाहे वो किसी भी क्षेत्र में काम करने जाएं.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें