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ब्रिटेन: कब बोले और कब चुप रहे शाही परिवार?

ब्रिटेन में इन आरोपों के बाद विवाद खड़ा हो गया कि ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर ‘पुतिन के क्राईमिया को हड़पने’ की तुलना नाज़ी कार्रवाइयों से की. कनाडा के नोवा स्कॉटिया में मैरीएन फ़र्ग्यूसन, जो कि पोलैंड युद्ध की पूर्व शरणार्थी हैं, प्रिंस चार्ल्स को एक म्यूज़ियम के अंदर की चीज़ें दिखा […]

ब्रिटेन में इन आरोपों के बाद विवाद खड़ा हो गया कि ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर ‘पुतिन के क्राईमिया को हड़पने’ की तुलना नाज़ी कार्रवाइयों से की.

कनाडा के नोवा स्कॉटिया में मैरीएन फ़र्ग्यूसन, जो कि पोलैंड युद्ध की पूर्व शरणार्थी हैं, प्रिंस चार्ल्स को एक म्यूज़ियम के अंदर की चीज़ें दिखा रही थीं. फ़र्ग्यूसन ने बाद में पत्रकारों को बताया कि वे हिटलर के कुछ देशों पर कब्ज़े के बारे में बात कर रहे थे और तभी प्रिंस चार्ल्स ने कहा, "कुछ-कुछ ‘वैसा ही है…जैसा पुतिन कर रहे हैं’".

ब्रिटेन में प्रिंस चार्ल्स की टिप्पणी को लेकर सवाल उठे हैं. वहीं रूस में मॉस्कोस्किज कोमसोमोलेट्स अख़बार ने कहा है कि इस टिप्पणी से एक "अंतरराष्ट्रीय विवाद खड़ा होने" का ख़तरा है. ऐसे में सवाल उठता है कि शाही परिवार के लोग क्या कह सकते हैं और क्या नहीं?

संविधान विशेषज्ञ वर्नॉन बोग्डानर कहते हैं कि ब्रिटेन की महारानी के सभी भाषण और सभी कार्रवाई उनके मंत्रियों की सलाह के बाद होती हैं. लेकिन शाही परिवार के अन्य सदस्यों, जिनमें सिंहासन के वारिस भी शामिल हैं, पर कोई नियम लागू नहीं होते.

‘दलगत राजनीति नहीं’

बोग्डानर कहते हैं कि व्यवहार में तो प्रिंस चार्ल्स अपने सभी भाषणों को पहले मंत्रियों को दिखाते हैं. परंपरा ये भी है कि शाही परिवार के वरिष्ठ सदस्य सार्वजनिक या निजी बयानों से महारानी को शर्मिंदा नहीं करेंगे.

प्रमुख अलिखित नियम ये है कि वो दलगत राजनीति से बचेंगे. बोग्डानर का तर्क है कि प्रिंस चार्ल्स की पुतिन को लेकर टिप्पणी से ये लक्ष्मणरेखा नहीं लांघी गई. वो कहते हैं, "इससे सभी प्रमुख दलों की आम सहमति झलकती है."

प्रिंस चार्ल्स पूरक औषधि से लेकर वास्तुकला जैसे विषयों पर मंत्रियों को मेमो भेजने के लिए जाने जाते हैं. गार्डियन अख़बार की स्तंभकार पॉली टॉयनबी को पुतिन के बारे में उनके विचारों से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन वो कहती हैं कि इन विचारों को रखना भविष्य के राजा की भूमिका से मेल नहीं खाता.

‘अनुचित’

उनका कहना है, "अगर कोई राजतंत्र जैसी संस्था के वजूद पर ज़ोर देगा तो आपको एक मूक राजा की तरह बर्ताव करना होगा और चुप रहना होगा."

वो कहती हैं कि ये कूटनीतिक रूप से भी "अनुचित" था क्योंकि प्रिंस चार्ल्स अगले महीने राष्ट्रपति पुतिन से मिलने वाले हैं.

शाही मामलों की पूर्व संवाददाता जेनी बॉन्ड कहती हैं कि प्रिंस चार्ल्स ने जो कहा उसमें कुछ ग़लत नहीं है. वो मानती हैं, "हमें ‘वो भी राय रखते हैं!’ किस्म के इस झटके से उबरना होगा. अगर प्रिंस चार्ल्स सामाजिक न्याय के मसलों पर बोलते हैं तो इसमें कुछ भी ग़लत नहीं है."

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