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अपनी मरम्मत खुद करेगी खास किस्म की प्लास्टिक

निकट भविष्य में आपको पानी के पाइप में लीकेज या मोबाइल फोन की स्क्रीन में दरार आ जाने की वजह से चिंतित नहीं होना पड़ेगा, क्योंकि हाल में वैज्ञानिकों ने एक ऐसी प्लास्टिक का निर्माण करने में सफलता हासिल कर ली है, जो खुद में हुई टूट-फूट की मरम्मत अपने आप ही कर लेगी. क्या […]

निकट भविष्य में आपको पानी के पाइप में लीकेज या मोबाइल फोन की स्क्रीन में दरार आ जाने की वजह से चिंतित नहीं होना पड़ेगा, क्योंकि हाल में वैज्ञानिकों ने एक ऐसी प्लास्टिक का निर्माण करने में सफलता हासिल कर ली है, जो खुद में हुई टूट-फूट की मरम्मत अपने आप ही कर लेगी.

क्या आपका नया स्मार्टफोन जमीन में गिरने के कारण टूट गया है, या आपके लैपटॉप की स्क्रीन में दरार आ गयी है या फिर आपके बच्चे का पसंदीदा खिलौना टूट गया है? यदि ऐसा है तो अब आपको प्लास्टिक से बनी चीजों में आयी छोटी-मोटी दरारों या टूट-फूट के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं, क्योंकि वैज्ञानिकों ने एक ऐसे प्लास्टिक का निर्माण करने में सफलता हासिल की है, जो टूट-फूट की मरम्मत खुद ही कर लेगा.

खून जमने की प्रक्रिया से प्रेरित

इस पॉलिमर में सूक्ष्म नलिकाओं यानी कोशिकाओं का एक जाल है, जो दरारवाली जगह को भरने के लिए जरूरी रसायन पहुंचाता है. इसे तैयार किया है यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय के इंजीनियरों ने. इस पॉलिमर में टूट-फूटवाली जगह पर सूक्ष्म नलिकाओं का एक नेटवर्क मरम्मत करनेवाले रसायन को ले जाता है. इसमें रसायन दो अलग-अलग धाराओं से आते हैं. यह रसायन दो चरणों में दरारों को भरता है. इसके तहत दरार में गाढ़ा तरल पदार्थ भरा जाता है. यही पदार्थ बाद में सख्त होकर सूख जाता है और मजबूत संरचना बनाता है. इस प्लास्टिक से तैयार पानी के पाइप और कार की बोनट खद में आयी दरारों को अपने आप ही भर लेंगे. लैपटॉप और मोबाइल फोन की टूटी हुई इलेक्ट्रॉनिक चिप अपनी समस्याएं अपने आप सुलझा लेगी.

कई दशकों का है परिणाम

वैज्ञानिक पिछले कई दशकों से ऐसे प्लास्टिक का निर्माण करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस दिशा में पहली सफलता यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय को 2001 में मिली थी, जब यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्कॉट व्हाइट और उनके साथियों ने एक पॉलीमर में सूक्ष्म कैप्सूलों को मिलाया था. इन कैप्सूलों में मरम्मत में काम आनेवाला द्रव भरा हुआ था. इंसानी त्वचा की तरह अपने घाव खुद भर सकने में सक्षम इस प्लास्टिक में जब भी दरार आती थी, तो रसायन का स्नव होता था और दरारें भर जाती थीं. इस खोज को ‘साइंस’ नाम की विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित किया गया है.

20 मिनट में भर जायेगी दरार

प्रोफेसर व्हाइट बताते हैं कि यह पॉलिमर छोटे-मोटे नुकसान को अपने आप ठीक करने में सक्षम है लेकिन बड़े नुकसान के मामले में अलग दृष्टिकोण की जरूरत है. बड़ी टूट-फूट को ठीक करने के लिए प्रोफेसर व्हाइट और उनकी टीम ने इंसानी शिराओं और धमनियों से प्रेरित एक नये तरह का नलिका तंत्र डिजाइन किया है. यह पॉलिमर 35 मिलीमीटर से अधिक मोटी दरार को 20 मिनट में भर सकता है और तीन घंटे के अंदर प्रभावित मशीन को फिर से काम में लाया जा सकता है. परीक्षणों से पता चला है कि इस प्लास्टिक से बनी टूटी हुई वस्तु को 62 फीसदी तक दुरुस्त किया जा सकता है.

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