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गुजरात में मोदी के गढ़ में बीजेपी को चुनौती देने वाली

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब से ही इस सवाल का जवाब हर कोई पाना चाहता है कि कांग्रेस की तरफ से उनकी मणिनगर विधानसभा सीट पर कौन चुनाव लड़ेगा? अब नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, लेकिन कांग्रेस के लिए यह सीट जीतना और भाजपा के लिए यह सीट बचाये रखना, […]

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब से ही इस सवाल का जवाब हर कोई पाना चाहता है कि कांग्रेस की तरफ से उनकी मणिनगर विधानसभा सीट पर कौन चुनाव लड़ेगा?

अब नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, लेकिन कांग्रेस के लिए यह सीट जीतना और भाजपा के लिए यह सीट बचाये रखना, प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है.

साल 2017 के इस चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार सुरेश पटेल के सामने कांग्रेस ने एक नये और युवा चेहरे को मौका दिया है, जिसका नाम है श्वेता ब्रह्मभट्ट.

34 साल की श्वेता ब्रह्मभट्ट ने अहमदाबाद से बीबीए की डिग्री ली और इसके बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए वो लंदन चली गईं. उन्होंने वहां इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स की बारीकियों को समझा.

श्वेता ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट यानी आईआईएम बैंगलुरू से पॉलिटिकल लीडरशिप का कोर्स किया.

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अपने दम पर बनानी है पहचान

श्वेता का परिवार राजनीति में काफ़ी सक्रिय है. लेकिन श्वेता राजनीति में अपनी पहचान और अपना करियर अपने दम पर बनाना चाहती है.

लंदन में पढ़ाई के बाद श्वेता को वहाँ की नेशनल हेल्थ सर्विस यानी एनएचएस में नौकरी का प्रस्ताव भी मिला, लेकिन उन्होंने वहां नौकरी करने की बजाय भारत लौट आना पसंद किया.

श्वेता ने बैंकिंग के क्षेत्र में 10 साल तक नौकरी की, लेकिन अब वह राजनीति द्वारा समाज के लिए कुछ करना चाहती है.

उन्होंने कहा, "मेरा मुख्य लक्ष्य समाज सेवा करना है. राजनीति इसका एक माध्यम है. अगर मैंने ट्रस्ट या एनजीओ शुरू किया होता तो फंड के लिए मुझे सरकार के पास ही जाना पड़ता. इससे मैं कुछ सीमित लोगों तक ही पहुंच सकती थी. लेकिन राजनीति एक ऐसा मंच है जिसके जरिये आप बड़े पैमाने पर लोगों तक अपनी बात पहुंचा सकते हो."

मणिनगर से अपनी उम्मीदवारी पर श्वेता कहती हैं, "मेरी उम्मीदवारी से लोगों को समझने को मिलेगा कि यह लड़की कुछ करना चाहती है."

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श्वेता का कहना है कि आईआईएम बैंगलुरू में पढ़ाई के दौरान उन्होंने भारत की राजनीति के बारे में बहुत कुछ जाना.

श्वेता बताती हैं, "हम गांव-गाव घूमते थे. सिंगापुर गए और वहां प्रशासन के काम करने का तरीका जानने का प्रयास किया."

‘लोन चाहा पर मिला नहीं’

बिज़नेस वुमन के तौर पर अपने अनुभव के बारे में श्वेता बताती है, "मैं साणंद में महिला औद्योगिक पार्क पर एक प्रोजेक्ट करना चाहती थी. इसके लिए मैंने लोन लेना चाहा और इसके लिए आवेदन भी किया. मुझे वहां पर एक प्लॉट मिला और मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने मेरा सम्मान भी किया. इसके बाद भारत सरकार की मुद्रा योजना के तहत मैंने लोन लेने के लिए आवेदन किया. लेकिन मुझे लोन नहीं मिला."

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श्वेता बताती हैं, "इसी वजह से एक बार आईआईएम अहमदाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान एक सांसद से मैंने पूछा कि उच्च शिक्षा करने के बाद भी लोगों को लोन लेने में परेशानी होती है, तो और लोगो को कितनी परेशानी झेलनी होती होगी. लोगों तक यह योजना कैसे पहुंचेगी? उन्होंने मुझे वित्त मंत्रालय में शिकायत करने की राय दी."

‘विकास में से ग़रीब गायब’

श्वेता कहती हैं, "अपनी पढ़ाई की मदद से मैं यह लड़ाई लड़ पाई. अगर मुझे इतनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा तो जिन महिलाओं के पास शिक्षा नहीं है, कम्युनिकेशन स्किल नहीं है पर एक अच्छा आइडिया है और उनको व्यापार करना है, तो उनकी क्या स्थिति रहती होगी? इन्हीं सब सवालों ने मुझे राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया."

गुजरात में विकास के बारे में श्वेता ने कहा, "व्यक्ति तब ही विकासशील बन सकता है जब वह हर तरह से स्वतंत्र हो. विकास की व्याख्या में से हम ने गरीबों को ही हटा दिया है. यह स्थिति अब बदलने की जरूरत है."

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