अनुज कुमार सिन्हा
डा भीम राव आंबेडकर (बीआर आंबेडकर) को भारतीय संविधान का निर्माता कहा जाता है लेकिन संविधान निर्माण के तुरंत बाद 1952 में लोकसभा का चुनाव हुआ तो वे चुनाव जीत नहीं सके. आजादी के पहले जवाहरलाल नेहरू की अगुवाई में जो अंतरिम सरकार बनी थी, उस कैबिनेट में भी आंबेडकर थे.
कांग्रेस से उनके संबंध बिगड़े और उन्होंने पहले लोक सभा चुनाव में कांग्रेस को चुनौती देने के लिए अपना प्रत्याशी खड़ा किया. उनकी पार्टी का नाम था शिडय़ूल कास्ट फेडरेशन (एससीएफ). इसका गठन उन्होंने 1942 में ही किया था लेकिन आजादी की लड़ाई और अन्य कामों में व्यस्त रहने के कारण इसे वे सक्रिय नहीं रख सके थे. 1952 के चुनाव में आंबेडकर ने इसे पुन: सक्रिय किया. कुल 35 प्रत्याशी उतारे, जिसमें से सिर्फ दो जीत सके.
इस चुनाव में आंबेडकर खुद मुंबई सिटी नार्थ से एससीएफ के प्रत्याशी थे. उन दिनों इस सीट से दो को चुनना था. दोनों सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीते. इनमें से एक थे विट्टल कृष्णा गांधी. आंबेडकर को 123576 वोट मिले थे और वे चुनाव हार गये थे. इस बात को भी नहीं भूलना चाहिए कि संविधान सभा के लिए जो 296 सदस्यों की सूची थी, उसमें आंबेडकर का नाम नहीं था.
उनके संगठन एससीएफ के खराब प्रदर्शन के कारण ऐसा हुआ था. ऐसी स्थिति में बंगाल के एक दलित नेता ने अपने पद से इस्तीफा देकर आंबेडकर को संविधान सभा का सदस्य बनाने का रास्ता खोला था.ऐसी बात नहीं है कि सिर्फ आंबेडकर ने ही कांग्रेस को चुनौती दी थी. नेहरू के कैबिनेट में (अंतरिम सरकार) जनसंघ के श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी थे. उन्होंने पूरे देश में 94 प्रत्याशी उतारे थे जिसमें से तीन जीत गये थे. श्यामा प्रसाद मुखर्जी खुद पश्चिम बंगाल के कलकत्ता साउथ-ईस्ट से चुनाव जीते थे. बंगाल से जनसंघ के कुल दो प्रत्याशी जीते थे.
दूसरी सीट थी मिदनापुर झाड़ग्राम. यानी जनसंघ की कुल तीन सीटों में से दो सीट बंगाल में मिली थी. तीसरी सीट मिली थी राजस्थान से, जहां की चित्तौड़ से जनसंघ के प्रत्याशी चुनाव जीते थे.