सिंड्रेला की कहानी तो आप सबने सुनी होगी. वो प्यारी सी लड़की, जिसे उसकी सौतेली मां और बहनें तंग करती हैं. उसके पास पार्टी में जाने के लिए ढंग के कपड़े भी नहीं होते.
एक दयालु परी आपनी जादुई शक्ति से उसे अच्छी तरह सजाकर तैयार देती है और पार्टी में जाने को कहती है. लेकिन इस जादू में एक पेंच था. परी ने सिंड्रेला को रात 12 बजे तक घर वापस आने को कहा था क्योंकि आधी रात के बाद उसका जादू बेअसर हो जाता था.
अचानक सिंड्रेला की कहानी याद करने की वजह है सोशल मीडिया पर छाया एक हैशटैग. यह है #Ain’tNoCinderella, यानी मैं कोई सिंड्रेला नहीं हूं. यह हैशटैग हाल में चंडीगढ़ में हुए वर्णिका कुंडू मामले से जुड़ा है.
चंडीगढ़ में हरियाणा बीजेपी प्रमुख सुभाष बराला के बेटे विकास बराला और उसके एक साथी द्वारा एक आईएएस अधिकारी की बेटी वर्णिका का पीछा किए जाने की घटना सामने आई थी. इसके बाद वर्णिका ने एक फेसबुक पोस्ट में आपबीती सुनाई और सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया था.
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बात मीडिया में आने पर हरियाणा में बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष रामवीर भट्टी ने उल्टे वर्णिका को ही दोषी ठहराते हुए कहा कि लड़की को देर रात घर से बाहर नहीं रहना चाहिए था. उनके इस बयान ने आग में घी डालने का काम किया और महिलाएं विरोध में उतर आईं.
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अब वे सोशल मीडिया में नाइट आउट सेल्फ़ी डालकर कह रही हैं- #Ain’tNoCinderella यानी मैं कोई सिंड्रेला नहीं हूं जो आधी रात तक घर लौट आऊं. फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम से लेकर स्नैपचैट जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ऐसी सेल्फियों और हैशटैग से भर गए हैं.
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी #Ain’tNoCinderella पर सेल्फी पोस्ट करते हुए लिखा है,”मैं रात के 12 बजे घर से बाहर हूं और इसका मतलब यह नहीं मेरा पीछा किया जाए, मुझसे छेड़खानी की जाए या मेरा रेप किया जाए. मेरा सम्मान मेरा अधिकार है.”
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पूजा ने ट्वीट किया,”प्रिय रूढ़िवादी भारत, मुझे जो अच्छा लगेगा, मैं करूंगी. चाहे दिन हो या रात हो. ये सोचिएगा भी मत आपको मुझे रोकने का हक है.”
पलक शर्मा अपनी तस्वीर के साथ लिखती हैं,”देखिए, आधी रात हो गई है और मैं बाहर हूं!”
सुनयना सुरेश ने कहा,”रात पर मेरा अधिकार है और कोई नेता बाहर निकलने के लिए मुझ पर उंगली नहीं उठा सकता.”
सुरभि कहती हैं,”मैं क्या पहनती हूं, कब तक घर से बाहर रहती हूं, किसके साथ घूमती हूं….इन सबसे आपको कोई मतलब नहीं होना चाहिए क्योंकि मैं सिंड्रेला नहीं हूं.”
महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के मामले में आम तौर पर पीड़ित को ही दोषी ठहरा दिया जाता है जिसका विरोध आज इस रूप में देखने को मिल रहा है.
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