हाकिंस का मानना है कि हमारी पृथ्वी निरंतर बढ़ रही जनसंख्या के हिसाब से काफी छोटी हो गयी है. इसके प्राकृतिक और भौतिक संसाधन खत्म होने के कगार पर पहुंच चुके हैं. साथ ही जलवायु परिवर्तन, क्षुद्रग्रहों का नजदीक आना तथा अन्य खगोलीय घटनाएं पृथ्वी पर रहने वाले लोगों के लिए चेतावनी की तरह है.
हॉकिंस पृथ्वी जैसे ग्रह को ढूंढ़ने के लिए जो अंतरिक्ष यान बन रहे हैं, उसका नाम स्टर चिप है. यह सिर्फ कुछ सेंटीमीटर लंबा-चौड़ा है. इसका वजह भी कुछ ग्राम ही है. यह लेजर आधारित एक शृंखला से संचालित होगा. यह छोटा यान प्रकाश की किरणों के साथ 100 मिलियन मील का सफर एक घंटे में करेगा. इस गति से यान एक घंटे में मंगल पर व एक दिन में प्लूटो पर पहुंचने में सक्षम होगा. इस रफ्तार से यह अल्फा सेंचुरी 20 वर्ष में पहुंच जायेगा. एक बार वहां पहुंचने पर यह नैनो क्राफ्ट वहां के किसी भी ग्रह की तसवीर, चुंबकीय क्षेत्र और जैविक अनुकनिकाओं की जांच कर उसके आंकड़े लेकर दूसरे लेजर बीम से भेजने में सक्षम होगा. यह छोटा सा सिग्नल उसी क्रम में फिर से पृथ्वी तक पहुंच जायेगा, जिस क्रम में इसे लॉन्च किया गया था. इसे वापस आने में करीबन चार प्रकाश वर्ष लग जायेंगे. यह नैनोक्राफ्ट पृथ्वी के आकार के प्रोक्सिमा बी ग्रह पर पहुंचने में सक्षम होगा. इस ग्रह को अल्फा सेंचुरी का जीवन के अनुकूल ग्रह माना जाता है.
हॉकिंस मानते है कि यह नैनोक्रॉफ्ट आदमी को बाहरी अंतरिक्ष में धावा बोलने का मौका देगा. इसके सहारे हम अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाओं की जांच करने में सक्षम हो सकेंगे.