चीन में सोशल मीडिया के माध्यम से घर-घर पहुंची दंगल की कहानी ने थिएटर्स में रिकार्डतोड़ प्रदर्शन किया है.
चीनी दर्शक गीता-बबीता और उनके परिवार के संघर्ष को अपने अतीत से जोड़कर देख रहे हैं. चीनी क्रांति से पहले यहां भी महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए घर और समाज से लड़ना पड़ता था.
उन्होंने इस तरह की कहानियां अपने पूर्वजों से सुनी हैं. यही वजह चीनी लोगों को इस फिल्म से गहराई से जोड़ने में कामयाब हुई है. लोग अपने परिजनों और दोस्तों को दंगल देखने की सलाह दे रहे हैं.
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हालांकि चीनी युवाओं में आमिर खान की लोकप्रियता भी इस फिल्म की सफलता की एक वजह है.
पांच मई को चीनी सिनेमाघरों में पहुंची दंगल के शो महीने भर बाद भी हाउसफुल जा रहे हैं. फिल्म अब तक 1200 करोड़ रुपए का कारोबार कर चुकी है, जो इस साल की चौथी सबसे अधिक कमाई करने वाली फ़िल्म है.
पहले भी आमिर ख़ान की फिल्में देख चुके लोग दंगल को उनकी अब तक की बेहतरीन फिल्म मानते हैं. फिल्म की कहानी और रुढ़िवादी समाज से लड़ने का जज़्बा लोगों को प्रभावित कर रहा है. हॉलीवुड फिल्में भले ही चीन में कमाई के मामले में आगे रहती हैं, लेकिन दंगल ने लोगों के दिलों पर एक अलग छाप छोड़ी है.
लोग फिल्म देखने पर खुद के आंसू भी नहीं रोक पा रहे हैं. लेखक ने ऐसे कई दर्शकों से बात की, जो फिल्म देखकर भावुक हो गए और भारतीय संस्कृति और समाज को जानने की इच्छा जताते हैं. दरअसल, एशियाई समाज में परिवार और बच्चों की सफलता एक-दूसरे से जुड़ी होती है.
चीन और भारत के मामले में भी ऐसा ही है. दोनों की संस्कृति भी मिलती जुलती है. मां-बाप अपने बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए बहुत कुछ करते हैं.
दंगल से संघर्ष करने और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली
दंगल में तकनीक का कम इस्तेमाल, आम जीवन और गांव-देहात के परिवेश को दिखाना भी चीनी लोगों को पसंद आ रहा है. क्योंकि लोग इससे अपने जीवन में संघर्ष करने और आगे बढ़ने की प्रेरणा पाते हैं.
वहीं चीन में महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर बनने वाली फिल्में बहुत पसंद की जाती हैं. अमेरिकी कार्टून फिल्म जूटोपिया ने भी चीन में जबरस्त सफलता पाई थी. जिसमें एक छोटे कस्बे की लड़की की बड़े शहर में कामयाबी को दिखाया गया था.
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पिछले कुछ सालों में चीन में तमाम नए स्क्रीन्स बनाए गए हैं. वर्तमान में विश्व में सबसे अधिक 40,917 स्क्रीन्स होने के बावजूद चीन की घरेलू फिल्मों का मार्केट नहीं बढ़ रहा है. यहां बता दें कि चीन में गुणवत्ता वाली फिल्मों का अभाव है.
चीनी फिल्म निर्माता अक्सर हल्के विषयों पर फिल्म बनाते हैं. जिनमें कॉमेडी और एक्शन फिल्में ज्यादा होती हैं. चीनी फिल्मों में आम तौर पर एक्टरों के लुक्स पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है.
दंगल की कहानी ने किया प्रभावित
जबकि भारतीय फिल्मों में अभिनय पर अधिक फोकस होता है. लगता है कि लाखों चीनी फिल्म प्रेमियों को दंगल जैसी फिल्म का लंबे समय से इंतजार था.
चीन में भारतीय फिल्मों को लेकर धारणा है कि वे लंबी होती हैं और डांस व म्यूज़िक अधिक होता है. जो चीनी लोगों को ज्यादा पसंद नहीं आता है. लेकिन दंगल की कहानी इतनी दमदार है कि लोग लगभग तीन घंटे तक स्क्रीन से आंखें नहीं हटा सके.
जानकार कहते हैं कि चीन ने पिछले दशकों में जिस तेजी से विकास किया है, उस लिहाज से सिनेमा तालमेल नहीं बिठा पाया है. लोग अब घिसे-पिटे विषयों पर फिल्म देखना पसंद नहीं करते हैं.
छिंहुआ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर यन होंग ने बीजिंग सांध्य न्यूज को बताया कि दंगल की सफलता चीनी फिल्मों के लिए शर्मनाक है.
पहले अंदाज़ा नहीं था फ़िल्म इतना चलेगी
हाल के वर्षों में चीन में विदेशी फिल्मों का क्रेज बढ़ा है. हालांकि चीन में साल भर में निर्धारित संख्या में ही विदेशी फिल्में दिखाई जाती हैं. इसे बढ़ाने की मांग अमेरिका आदि देशों द्वारा की जा रही है.
वहीं एक दर्शक छांग थ्येन ने बताया कि यह फिल्म एक पिता के प्रेम, देशभक्ति और अपनी बेटियों को सफल होने की राह दिखाती है. खेल प्रेमी और लड़की होने की वजह से मुझे ऐसा लगा कि यह हमारी अपनी फिल्म है.
दंगल चीनी बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त प्रदर्शन कर रही है, लेकिन थिएटर प्रबंधकों को फिल्म से ऐसी उम्मीद नहीं थी. जैकी चैन इंटरनेशनल थिएटर के एक मैनेजेर ने बताया, ‘मई में जब दंगल चीन में रिलीज हुई तो हमने सोचा कि यह एक सामान्य फिल्म होगी.’
‘आमिर का वज़न बढ़ाना, कम करना मिसाल’
उन्होंने कहा, ‘उस वक्त इसको कुछ ही दिन थिएटर में चलाने की योजना थी. फिल्म को रोजाना 40-50 प्रतिशत स्क्रीनिंग्स मिल रही थी. लेकिन जैसे-जैसे लोगों को इस फिल्म और आमिर ख़ान के बारे में पता चला, फिल्म की डिमांड भी बढ़ती गयी. इस पर फिल्म को 70-80 फीसदी स्क्रीनिंग्स दी गयी. और फिल्म थिएटरों में चलती रही. जो अब भी जारी है."
फिल्म निर्देशक ई होंगपो कहते हैं, "यह फिल्म हमें प्रेरणा देती है, जो कि एक सामान्य परिवार की कहानी है. आमिर ख़ान का वजन बढ़ाना और फिर कम करना भी अपने आप में एक मिसाल है.
जो फिल्म बनाने में की गयी मेहनत को दर्शाता है. आजकल चीनी एक्टरों में इस भावना और जज्बे की कमी है. उम्मीद है कि यह फिल्म हमें अच्छी फिल्मों के निर्माण के लिए प्रोत्साहित करेगी." होंग पो इस फिल्म से इतने प्रभावित हैं कि उन्होंने इसे दस में से दस अंक दे दिए.
आमिर की फ़िल्में चीन में हमेशा चलती हैं?
फिल्म समीक्षक रॉब केन कहते हैं, "आमिर की फिल्में आम चीनी लोगों से सीधा संवाद करती हैं, जो न कोई चीनी फिल्म कर पाई है न और न कोई हॉलीवुड फिल्म. कहने में कोई दोराय नहीं कि चीन में हर फिल्म प्रेमी आमिर ख़ान के नाम और चेहरे से अच्छी तरह वाकिफ़ है."
वैसे यह पहला मौका नहीं है, जब आमिर ख़ान की फिल्म चीन में हिट हुई हो. हालांकि 2009 से पहले तक चीन में उन्हें बहुत कम लोग जानते थे. लेकिन कॉमेडी ड्रामा थ्री ईडयिट्स ने आमिर को चीन में स्टार बना दिया. वह फिल्म युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हुई थी.
लेकिन थिएटरों से ज्यादा फिल्म ऑनलाइन देखी गयी. जो अब तक चीन की 12वीं ऑलटाइम फेवरेट फिल्म है. उसके बाद 2014 में आई धूम थ्री, जो 2000 स्क्रीन्स में लगी और 3.8 मिलियन डॉलर का बिजनेस किया.
दंगल ने कमाए 1200 करोड़
इसके बाद आई पीके को 4600 स्क्रीन्स मिले और लगभग 20 मिलियन डॉलर कमाए. जबकि दंगल ने 9 हज़ार से अधिक स्क्रीन्स में लगभग 1200 करोड़ रुपए (182 मिलियन डॉलर) कमा लिए हैं.
दर्शकों की नज़र में आमिर ख़ान सिर्फ एक अभिनेता नहीं हैं, बल्कि देश और समाज में बदलाव लाने में सक्षम नायक हैं. उनकी फिल्में और शो भारतीय समाज की बुराइयों और परेशानियों को बेबाकी से पेश करते हैं.
चीनी लोग इनके जरिए अपने समाज की झलक भी पाते हैं. चीनी और भारतीय लोगों का रंग और भाषा अलग-अलग होने के बावजूद भावनाओं को व्यक्त करने का तरीका एक जैसा है. दंगल की सफलता ने इस बात को साबित कर दिया है.
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