Vijaya Ekadashi 2023: सभी व्रतों में विजया एकादशी का व्रत सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. कहते हैं कि भगवान राम ने भी इस व्रत को कर के विजय प्राप्त की थी. हिंदू धर्म के पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि यानी विजया एकादशी 16 फरवरी को सुबह सूर्योदय से 5:32 बजे से प्रारंभ हो चुकी है.
इस व्रत को रखने का उत्तम दिन 16 फरवरी है. हिंदू धर्म के पंचांग के अनुसार विजय एकादशी का समापन अगले दिन 17 फरवरी को रात 2:49 बजे होगा. उदया तिथि के अनुसार 16 फरवरी को विजया एकादशी का व्रत करना सर्वश्रेष्ठ और फलदायक रहेगा.
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 58 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 27 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 12 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06 बजकर 09 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 35 मिनट तक
विजया एकादशी पर शेषनाग की शैया पर विराजमान व लक्ष्मीजी जिनके चरण दबा रही हों उन भगवान श्री नारायण की पूजा का विधान है. पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थल के ईशान कोण में एक वेदी बनाएं और उस पर सप्तधान रखें और यहां जल से भरा एक कलश स्थापित करें. कलश में आम या अशोक के ताजे पत्तों को रखें और इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो स्थापित करें. पंचामृत से स्नान करवाकर भगवान को पीले चंदन का तिलक लगाकर पीले फूल, मौसमी फल, तुलसी दल और नवैद्य आदि अर्पित कर धूप-दीप जलाएं और विजया एकादशी के व्रत कथा सुनें. आखिर में दीप व कपूर से भगवान विष्णु की आरती करें. यथाशक्ति पूरे दिन व्रत रखें और विष्णुजी के मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें. इस दिन विष्णुजी के मंदिर में दीपदान करना बहुत शुभ माना गया है.
विजया एकादशी पर व्रत रखने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. साथ ही शास्त्रों के अनुसार राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए विजया एकादशी का व्रत रखा था और इसी कारण रावण से युद्ध करने में राम को विजय प्राप्त हुई थी. वहीं इस दिन भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी जी की पूजा करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है.
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