सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत का लोहा पूरी दुनिया मानती है. पिछले कुछ दशकों में कंप्यूटर, मोबाइल व इंटरनेट की बदौलत लोगों की दुनिया बदल गयी है. डिजिटल क्रांति ने लोगों के घर से लेकर घर से बाहर की जिंदगी को प्रभावित किया है. यह स्थिति अमूमन पूरी दुनिया में है, और ऐसे में आइटी क्षेत्र में अग्रणी रहने का लाभ भारत को मिल रहा है. इसी बात को रेखांकित करते हुए आइटी मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि आज डिजिटल क्रांति के जरिये भारत वस्तुओं और सेवाओं का एक बड़ा निर्यातक बन गया है.
जी-20 के एक कार्यसमूह की बैठक में डिजिटल अर्थव्यवस्था को किसी भी देश के विकास की रीढ़ बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने इस क्षेत्र में काफी अच्छा काम किया है. दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में भारत में जन कल्याण के कार्यों में डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल होने की काफी चर्चा हो रही है. इस वर्ष मार्च में प्रख्यात सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स ने भी अपनी भारत यात्रा के दौरान यहां की डिजिटल पेमेंट प्रणाली की तारीफ की थी. उन्होंने एक अहम बात कही थी कि कोविड महामारी के दौरान सारी दुनिया ने डिजिटल पेमेंट की व्यवस्था की ताकत को समझा.
भारत में 2022 में लगभग नौ करोड़ डिजिटल लेन-देन हुए. दुनिया में हुए कुल डिजिटल पेमेंट का 46 फीसदी लेन-देन अकेले भारत में हुआ. दुनियाभर में इंटरनेट अर्थव्यवस्था तेजी से फल-फूल रही है. संयुक्त राष्ट्र की व्यापार, निवेश और विकास से सबंधित संस्था अंकटाड की एक रिपोर्ट के अनुसार, ई-कॉमर्स का विश्व बाजार 2019 में ही 26 खरब डॉलर से ज्यादा हो गया था जो निश्चित रूप से अभी और बढ़ चुका होगा.
भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था पर पिछले सप्ताह गूगल समेत तीन कंपनियों ने एक रिपोर्ट पेश की थी. इसमें अनुमान लगाया गया कि भारत की इंटरनेट अर्थव्यवस्था 2022 में 175 अरब डॉलर थी, जो 2030 तक बढ़कर एक खरब डॉलर तक पहुंच जायेगी. रिपोर्ट में एक अहम बात कही गयी कि भारत में सबसे बड़ा बदलाव छोटे शहरों और गांवों में देखने को मिलेगा. इसमें कहा गया कि भारत की केवल तेरह फीसदी आबादी बड़े शहरों में रहती है. डिजिटल क्रांति को नयी औद्योगिक क्रंाति भी बताया जाता है, लेकिन इसकी असल उपलब्धि तभी मानी जायेगी जब देश का हर हिस्सा व तबका इससे जुड़ पायेगा और इसका लाभ उठा सकेगा.