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नहीं रहे किसान और श्रमिकों के नक्सली नेता खोकन दा

सिलीगुड़ी: किसान-श्रमिकों के नक्सली नेता खोकन दा ‘मजूमदार’ (86) नहीं रहे. 86 वसंत देख चुके खोकन दा को बुधवार को सिलीगुड़ी कंचनजंघा स्टेडियम के सामने सीपीआइ (एमएल) के बैनर तले बने मंच पर नक्सलियों ने ‘लाल सलाम’ के जरिये श्रद्धांजलि दी. श्रद्धांजलि देनेवालों में सीपीआइ (एमएल) के केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभिजीत मजूमदार, महासचिव बिशम, […]

सिलीगुड़ी: किसान-श्रमिकों के नक्सली नेता खोकन दा ‘मजूमदार’ (86) नहीं रहे. 86 वसंत देख चुके खोकन दा को बुधवार को सिलीगुड़ी कंचनजंघा स्टेडियम के सामने सीपीआइ (एमएल) के बैनर तले बने मंच पर नक्सलियों ने ‘लाल सलाम’ के जरिये श्रद्धांजलि दी. श्रद्धांजलि देनेवालों में सीपीआइ (एमएल) के केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभिजीत मजूमदार, महासचिव बिशम, माकपा के वरिष्ठ नेता सह सिलीगुड़ी महकमा परिषद के पूर्व सभाधिपति अनिल साहा, सीपीआइ के अनिमेष चक्रवर्ती, आरएसपी के तापस गोस्वामी के अलावा नक्सली नेता कार्तिक कुमार, वासुदेव बोस, आलोक मुखर्जी व अन्य का तांता लगा रहा.
इस दौरान सभी ने उन्हें श्रद्धांजलि देकर आत्मा के शांति की कामना की. शोक सभा को संबोधित करते हुए सबों ने खोकन दा को किसान-श्रमिकों के बड़ा नक्सली नेता बताया. अभिजीत मजूमदार ने खोकन दा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी किसान और श्रमिकों के हक की लड़ाई में ही गुजार दी. नक्सलबाड़ी आंदोलन में उनकी अहम भूमिका थी. इस आंदोलन की शुरूआत के काफी पहले ही वे किसान और श्रमिकों के लिए जमींदारों, सांमतों और सरकार की जन विरोधी नीतियों के विरूद्ध आवाज बुलंद कर चुके थे. किसान और श्रमिकों के भलाई के लिए उन्होंने गृहस्थ जीवन ही त्याग दिया. नक्सलबाड़ी स्थित पार्टी कार्यालय में ही अपनी जिंदगी गुजार दी.

आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए देश की अखंडता, एकता और शांति के लिए काम किया. श्री मजूमदार ने खोकन दा की जीवन गाथा और उनकी उपलब्धियों से सबों को रूबरू कराते हुए कहा कि सीपीआइ (एमएल) ने एक कर्मठ और स्वाभिमानी नेता को हमेशा के लिए खो दिया है.

खोकन दा की अंतिम यात्रा शोभायात्रा के रूप में स्टेडियम के सामने से एयरव्यू मोड़ तक गयी. यहां से उनके शव को उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल ले जाया गया और खोकन दा के अंतिम इच्छा के तहत उनका पूरा पार्थिव देह दान कर दिया गया. विदित हो कि खोकन दा बीते कुछ रोज से बीमार चल रहे थे. सप्ताह भर पहले अचानक उनको अटैक आया उसके बाद उन्हें नक्सलबाड़ी स्वास्थ्य केंद्र में भरती किया गया. यहां उनकी बिगड़ती हालत को देख उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में आइसीयू में भरती किया गया. इसके बाद वेंटिलेशन में रखा गया. इलाज के दौरान ही उन्होंने सोमवार शाम को 7.50 बजे दम तोड़ दिया.

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