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रायगंज नगरपालिका चुनाव से पहले बिखरा वामो, शरीक दलों ने एक दूसरे के खिलाफ दिये उम्मीदवार

बालूरघाट. रायगंज नगरपालिका चुनाव को लेकर वाम मोरचा बिखर गया है. उम्मीदवारी को लेकर मोरचा के शरीक दलों ने माकपा का साथ छोड़ दिया है. कांग्रेस के साथ माकपा का गठबंधन शरीक दलों को बरदाश्त नहीं हो रहा है. माकपा, आरएसपी व सीपीआइ ने एक-दूसरे के खिलाफ अपना-अपना उम्मीदवार मैदान में उतारने का निर्णय लिया […]

बालूरघाट. रायगंज नगरपालिका चुनाव को लेकर वाम मोरचा बिखर गया है. उम्मीदवारी को लेकर मोरचा के शरीक दलों ने माकपा का साथ छोड़ दिया है. कांग्रेस के साथ माकपा का गठबंधन शरीक दलों को बरदाश्त नहीं हो रहा है. माकपा, आरएसपी व सीपीआइ ने एक-दूसरे के खिलाफ अपना-अपना उम्मीदवार मैदान में उतारने का निर्णय लिया है. शरीक दलों का आरोप है कि कांग्रेस के साथ गंठबंधन करने के फैसले पर माकपा ने उनसे कोई सलाह-मशविरा नहीं किया.

रायगंज नगरपालिका चुनाव इस बार रोमांचक होने वाला है. कांग्रेस में टूट-फूट चल ही रही है. उसका सहयोग वाम मोरचा भी बिखरता लग रहा है. शनिवार को सीपीआइ और आरएसपी के कई उम्मीदवारों ने अपना नामांकन भी जमा कर दिया है. इधर माकपा ने भी कुछ वार्डों में अपना उम्मीदवार उतारा है. सीपीआइ के एक नेता श्रीकुमार मुखर्जी के अनुसार, रायगंज नगरपालिका चुनाव में अब वाम मोरचा नहीं है, बल्कि माकपा, सीपीआइ और आरएसपी अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं.

उन्होंने इस आपसी टकराव के लिए माकपा को ही जिम्मेदार ठहराया है.उन्होंने कहा कि कुछ वार्डों में हमारी भी पकड़ है. वार्डों का आकलन कर मोरचा के शरीक दलों ने अपने उम्मीदवारों की सूची पहले ही सौंप दी थी. जबकि माकपा ने गुप्त रूप से कांग्रेस के साथ गंठबंध कर लिया है. जिस तरीके से माकपा चुनाव में उतर रही है, हम उसका समर्थन नहीं कर पा रहे हैं. दूसरी तरफ माकपा के जिला सचिव तथा जिला वाम मोरचा संयोजक अपूर्व पाल ने अकेले-अकेले चुनाव लड़ने की बात कर अपना पल्ला झाड़ लिया.

गौरतलब है कि रायगंज नगर पालिका की नौ सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा वाम मोरचा ने कांग्रेस के सामने पेश किया था. नौ में से सात सीटों के लिए माकपा ने अपने उम्मीदवारों के नामों की लगभग घोषणा भी कर दी थी. आरएसपी और सीपीआइ के लिये एक-एक वार्ड छोड़ दिया गया था. इसी बात को लेकर वाम मोरचा में टकराव शुरू हो गया.

अंत में इन दो वार्डों में भी माकपा ने अपना उम्मीदवार उतार दिया. राज्य स्तर पर कांग्रेस के साथ वाम मोरचा का एक गंठबंधन है. इसके अतिरिक्त रायगंज नगरपालिका चुनाव के लिए एक अलग रणनीति के तहत माकपा ने कांग्रेस के साथ समझौता कर लिया. लेकिन इसके लिए मोरचा के अन्य शरीक दलों से विचार-विमर्श तक नहीं किया गया. राजनीतिज्ञों का मानना है कि माकपा में फोड़ होने का फायदा तृणमूल व भाजपा उम्मीदवारों को मिलेगा. विरोधी दलों का कहना है कि वाम मोरचा खुद को ही संभाल नहीं पा रहा है, तो नगर पालिका को क्या संभालेगा.

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