बालूरघाट. रायगंज नगरपालिका चुनाव को लेकर वाम मोरचा बिखर गया है. उम्मीदवारी को लेकर मोरचा के शरीक दलों ने माकपा का साथ छोड़ दिया है. कांग्रेस के साथ माकपा का गठबंधन शरीक दलों को बरदाश्त नहीं हो रहा है. माकपा, आरएसपी व सीपीआइ ने एक-दूसरे के खिलाफ अपना-अपना उम्मीदवार मैदान में उतारने का निर्णय लिया है. शरीक दलों का आरोप है कि कांग्रेस के साथ गंठबंधन करने के फैसले पर माकपा ने उनसे कोई सलाह-मशविरा नहीं किया.
उन्होंने इस आपसी टकराव के लिए माकपा को ही जिम्मेदार ठहराया है.उन्होंने कहा कि कुछ वार्डों में हमारी भी पकड़ है. वार्डों का आकलन कर मोरचा के शरीक दलों ने अपने उम्मीदवारों की सूची पहले ही सौंप दी थी. जबकि माकपा ने गुप्त रूप से कांग्रेस के साथ गंठबंध कर लिया है. जिस तरीके से माकपा चुनाव में उतर रही है, हम उसका समर्थन नहीं कर पा रहे हैं. दूसरी तरफ माकपा के जिला सचिव तथा जिला वाम मोरचा संयोजक अपूर्व पाल ने अकेले-अकेले चुनाव लड़ने की बात कर अपना पल्ला झाड़ लिया.
अंत में इन दो वार्डों में भी माकपा ने अपना उम्मीदवार उतार दिया. राज्य स्तर पर कांग्रेस के साथ वाम मोरचा का एक गंठबंधन है. इसके अतिरिक्त रायगंज नगरपालिका चुनाव के लिए एक अलग रणनीति के तहत माकपा ने कांग्रेस के साथ समझौता कर लिया. लेकिन इसके लिए मोरचा के अन्य शरीक दलों से विचार-विमर्श तक नहीं किया गया. राजनीतिज्ञों का मानना है कि माकपा में फोड़ होने का फायदा तृणमूल व भाजपा उम्मीदवारों को मिलेगा. विरोधी दलों का कहना है कि वाम मोरचा खुद को ही संभाल नहीं पा रहा है, तो नगर पालिका को क्या संभालेगा.