उल्लेखनीय है कि सिलीगुड़ी शहर काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है. शहर के विकास के साथ शहर की जनसंख्या भी बढ़ रही है. साथ ही शहर में गाड़ी और जाम की समस्या भी गहरा रही है. इसके अतिरिक्त सड़क हादसों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. औसतन हर रोज शहर में सड़क हादसा हो रहा है. इसमें कइयों की मौत भी हो रही है. युवाओं में मंहगी मोटर साइकिल और स्पीड का नशा इस कदर हावी है कि जान की बाजी तक लगा जाते हैं. गर्मजोशी में बरती गयी थोड़ी सी लापरवाही मौत का कारण बन रही है.
सिलीगुड़ी शहर उत्तर पूर्वी भारत का प्रवेश द्वारा माना जाता है. बांग्लादेश, नेपाल, भूटान आदि अंतराष्ट्रीय सीमाएं शहर के इर्द-गिर्द है. राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य मार्ग सिलीगुड़ी शहर से होकर गुजरती है. एशियन हाइवे भी शहर के पास ही है. फलस्वरुप शहर से होकर ही बड़ी गाड़ियों की आवाजाही होती है. राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य मार्ग पर स्पीड निर्धारित होने के बाद भी चालक ट्राफिक नियम की अवहेलना करते है. जिसकी वजह से सड़क हादसे होते हैं. अधिकतर रात के समय बड़ी गाड़ियों की स्पीड इतनी अधिक होती है कि हादसे के बाद गाड़ियों को पकड़ना भी पुलिस के लिये मुश्किल हो जाता है. गाड़ी इतनी अधिक स्पीड से गुजरती है कि स्थानीय लोग गाड़ी का नंबर तक नहीं देख पाते है. पलक झपकते ही गाड़ी आंखो से ओझल हो जाती है. गाड़ियों की स्पीड को नियंत्रित करने के लिये ट्राफिक पुलिस ने लेजर यंत्र लगाने की प्रक्रिया शुरु की है.
सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस कमिश्नरेट के डिप्टी पुलिस कमिश्नर(ट्राफिक) सुनील यादव ने बताया कि शहर के प्रत्येक मुख्य ट्राफिक प्वाइंट पर एक विशेष प्रकार का लेजर यंत्र लगाया जायेगा. इस यंत्र से निकलने वाली किरणे एक हजार मीटर पहले ही स्पीड को आंक लेगी. सड़कों पर स्पीड लिमिट संबंधी जानकारी माइल स्टोन के जरिए दी जायेगी. निर्धारित स्पीड से अधिक रफ्तार वाली गाड़ियों के चालक के खिलाफ सख्त कार्यवायी की जायेगी. इस दिशा में ट्राफिक पुलिस ने काम शुरु कर दिया है. श्री यादव ने आगे बताया कि अल्कोहल डिटेक्टर मशीन के साथ लगातार चलाये जा रहे अभियान की वजह से शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की संख्या में भारी कमी हुयी है. पहले प्रत्येक घंटे औसतन दस ड्रंकन ड्राइवर मिल जाते थे. लगातार अभियान के बाद वर्तमान समय में ड्रंकन ड्राइव की संख्या में काफी कमी आयी है.