सिलीगुड़ी. कांग्रेस के समर्थन से सिलीगुड़ी नगर निगम के घाटे का बजट पास हो गया. माकपा के 22 व कांग्रेस के 4 पार्षदों ने हाथ खड़ा कर इस बजट का समर्थन किया. वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिये मेयर अशोक भट्टाचार्य द्वारा पेश बजट का निगम के विरोधी दल तृणमूल कांग्रेस ने विरोध किया. जबकि मेयर ने अपने जवाबी भाषण में तृणमूल पर निशाना साधा.
उल्लेखनीय है कि शनिवार को सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर अशोक भट्टाचार्य ने वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिये 235.69 करोड़ का बजट पेश किया था. इस बजट में 2.22 करोड़ रूपये घाटा होने का अनुमान है. जबकि वित्तीय वर्ष 2016-17 के वास्तविक बजट में मेयर द्वारा दिये गये आंकड़े के अनुसार सिलीगुड़ी नगर निगम को 80.48 लाख का घाटा हुआ है. शनिवार को पेश बजट पर सोमवार को बहस होना था. निर्धारित समय के अनुसार सुबह से साढ़े दस बजे मेयर, मेयर परिषद सदस्य सहित सभी वार्ड पार्षद सभागार में उपस्थित हुए. निगम के चेयरमैन दिलीप सिंह ने बजट पर चरचा शुरू करने की पेशकश की. सिलीगुड़ी नगर निगम में पहली बार बजट पर चरचा करने के लिये निर्धारित समय का 35 प्रतिशत ट्रेजरी बेंच को और 65 प्रतिशत समय विरोधियों को दिया गया.
क्या कहा तृणमूल नेता ने: अपना वक्तब्य रखते हुए निगम के विरोधी दल नेता तृणमूल के रंजन सरकार उर्फ राणा ने इस बजट को मुंगेरी लाल के हसीन सपने बताया. उन्होंने कहा कि 32 पेज के इस बजट में सिलीगुड़ी वासियों के लिये कुछ भी नहीं है. इस बजट के अनुसार अगले वर्ष सिलीगुड़ी नगर निगम इलाके में विकासमूलक कार्य पूरी तरह से स्थगित रहेगा. पेयजल सहित विभिन्न प्रकार का टैक्स बढ़ाकर मेयर नागरिकों पर सिर्फ बोझ डाल रहे हैं,लेकिन उस टैक्स के बदले नागरिक सेवा देने को तैयार नहीं है. आज से तीन साल पहले मेयर ने स्वयं अपने छह नंबर वार्ड में अल्पसंख्यकों के लिये एक कम्युनिटी हॉल बनाने का वादा किया था. इसके लिए अब तक जमीन मुहैया नहीं करायी गयी है. किरणचंद्र श्मशान घाट में दो विद्दुत चुल्हा है लेकिन जलता एक ही है. राज्य सरकार ने रामघाट में दूसरा विद्दुत चुल्हा बनाने की कवायद की तो इन लोगों ने विरोध कर काम बंद करवाया. इस बजट से यह साफ है कि मेयर अशोक भट्टाचार्य अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिये सिलीगुड़ी का विकास अवरूद्ध कर रहे हैं. तृणमूल इस बजट का विरोध करती है.
सुजय घटक ने रखी शर्तें ः कांग्रेस के दलीय नेता सुजय घटक ने कहा कि मेयर द्वारा प्रस्तावित बजट कुछ अटपटा सा है. बजट के अधिकांश पन्नो में राजनीतिक वक्तब्य है. निगम में इंजीनियरों सहित कर्मचारियों के अभाव की बात कही गयी है .जबकि वास्तविकता यह है कि जो इंजीनियर हैं उनका उपयोग सही तरीके से नहीं हो रहा है. किस सांसद के फंड से कितना रूपया मिला और वह किस मद में खर्च हुआ, उसका जिक्र नहीं है. इसके अतिरिक्त सेस पुल और पानी परचार्ज बढ़ाने की बात कही गयी है. हम इसका विरोध करते हैं. व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर पेयजल व अन्य टैक्स बढ़ाये जाने के विषय पर चरचा हो सकती है. निजी विद्यालयों के बसो पर जो कचरा टैक्स लगाने की बात बजट में है उसका बोझ भी अप्रत्यक्ष रूप से नागरिकों पर ही पड़ेगा. इसके अतिरिक्त उन्होंने युद्ध स्तर पर काम कर किरण चंद्र श्मशान घाट की ढ़ांचागत व्यवस्था को विकसित करने की मांग की. श्री घटक ने कहा कि कांग्रेस बजट में कुल सात बिन्दुओं पर संशोधन चाहती है. यदि मेयर और माकपा बोर्ड राजी है तो कांग्रेस बजट का समर्थन करेगी. अपनी मांगो से संबंधित एक पत्र भी उन्होंने मेयर को सौंपा.
प्रधानमंत्री का नाम नहीं लेने से खुशबू नाराज: भाजपा की ओर से खुशबू मित्तल ने भी लॉरियों से टोल टैक्स व निजी स्कूलों की बसों पर अतिरिक्त कचरा टैक्स लगाने का विरोध किया. श्रीमती मित्तल ने अपने वक्तब्य में कहा कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में निगम की आय में 92 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है. इसे मेयर ने भी स्वीकार किया है. यह बढ़त केंद्र की भाजपा सरकार के नोटबंदी से हुआ. इसके लिए मेयर ने प्रधानमंत्री का धन्यवाद तक नहीं किया.
ट्रेजरी बेंच ने की बजट की तारीफ ः दूसरी तरफ ट्रेजरी बेंच की ओर से मेयर परिषद सदस्य शंकर घोष ने बजट का समर्थन करते हुए कहा कि यह बजट बोर्ड की मानसिकता को दर्शाता है. निगम के इतिहास में ऐसा बजट नहीं हुआ था. मेयर द्वारा प्रस्तावित बजट विकास मूलक है और राजनीति को परे रखकर सभी को इस बजट का समर्थन करना चाहिए. दूसरी तरफ मुंशी नुरूल इस्लाम ने भी बजट के समर्थन में कहा कि यह बजट सिलीगुड़ी के विकास का रोड मैप है. डिप्टी मेयर रामभजन महतों ने भी बजट के समर्थन में अपना बक्तब्य रखा.
कुल तीन घंटे तक हुई बहस
बजट पर तीन घंटे की बहस के बाद मेयर ने कांग्रेस के प्रस्ताव को स्वीकार किया. इसके बाद चेयरमैन के प्रस्ताव पर माकपा के 22 और कांग्रेस के चार वार्ड पार्षदों ने हाथ खड़ा कर बजट का समर्थन किया. बजट पास होने के बाद भी तृणमूल कांग्रेस की ओर से बजट पर फिर से वोटिंग कराने की मांग रखी गयी. उसके बाद अशोक भट्टाचार्य हटाओ सिलीगुड़ी बचाओ का नारा लगाते हुए सभी तृणमूल पार्षद सभागार से बाहर निकले.