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असहयोग का आरोप लगा लौटा केंद्रीय कमीशन का दल

जलपाईगुड़ी: जलपाईगुड़ी शिशु तस्करी कांड की जांच के लिए आये नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) के दो सदस्यों ने जिला प्रशासन पर सहयोग नहीं करने और जरूरी कागज-पत्र नहीं देने का आरोप लगाया है. कमीशन के दोनों सदस्य यह आरोप लगाते हुए बुधवार को दिल्ली लौट गये. बुधवार को जलपाईगुड़ी सर्किट हाउस […]

जलपाईगुड़ी: जलपाईगुड़ी शिशु तस्करी कांड की जांच के लिए आये नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) के दो सदस्यों ने जिला प्रशासन पर सहयोग नहीं करने और जरूरी कागज-पत्र नहीं देने का आरोप लगाया है. कमीशन के दोनों सदस्य यह आरोप लगाते हुए बुधवार को दिल्ली लौट गये.

बुधवार को जलपाईगुड़ी सर्किट हाउस में एक संवाददाता सम्मेलन में एनसीपीसीआर के प्रतिनिधियों यशवंत जैन और प्रियांग कानूनगो ने आरोप लगाया कि शिशु तस्करी मामले में जिन 13 विषयों को लेकर जिला प्रशासन से फाइलें मांगी गयी थीं, वे फाइलें नहीं दी गयीं. उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक ये फाइलें कैसे पायी जायें, इसे वे देखेंगे. जरूरत पड़ी तो अदालत के माध्यम से जरूरी फाइलें हासिल करेंगे.

प्रियांग कानूनगो ने बताया कि प्रशासन से 13 बिंदुओं पर जानकारी मांगी गयी थी. जैसे कि शिशु तस्करी कांड में सीआइडी ने किसका-किसका बयान दर्ज किया है. 2014 से लेकर अब तक जलपाईगुड़ी चाइल्ड वेलफेयर कमिटी ने कितने शिशुओं को फ्री फॉर लीगल एडॉप्शन का सर्टिफिकेट दिया है. कितने शिशुओं को गोद देने की व्यवस्था की गयी है. मौजूदा सीडब्ल्यूसी का गठन साल 2015 में हुआ है, उससे पहले प्रशासन ने किसको-किसको एडहॉक सीडब्ल्यूसी कमिटी में रखा था. किसके निर्देश पर एडहॉक कमिटी बनायी गयी थी. जिन लोगों ने जुवेनाइल जस्टिस कानून का दुरुपयोग किया है, वो कौन लोग हैं और उनका नाम क्या है. जलपाईगुड़ी की डिप्टी चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर सष्मिता घोष ने होम को लेकर क्या जांच की थी. इतने लंबे समय तक प्रशासन चंदना चक्रवर्ती के होम में गड़बड़ी को क्यों नहीं पकड़ सका.
एनसीपीसीआर के दूसरे सदस्य यशवंत जैन ने कहा, हमें क्या यह कहने को मजबूर होना पड़ेगा कि प्रशासनिक लापरवाही को ढकने को लिए हमारे साथ सहयोग नहीं किया जा रहा है. क्या मुद्दे का राजनीतीकरण करने के लिए असहयोग किया गया. प्रशासन आखिर किसे बचाना चाह रहा है जो हमें कागज-पत्र नहीं दिये गये.
प्रियांग कानूनगो ने कहा, मंगलवार को हमलोग जिला डीसीपीयू (डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट) के कार्यालय रात करीब साढ़े सात बजे पहुंचे. लेकिन वहां कोई नहीं था. साल 2015 से पहले की एडहॉक सीडब्ल्यूसी के समय में जो काम हुआ था, उसे बारे में कोई जानकारी हमें नहीं दी गयी. उन्होंने सवाल किया कि यदि जलपाईगुड़ी जिले में स्थायी सीडब्ल्यूसी नहीं थी, तो पड़ोसी जिले की सीडब्ल्यूसी को यह जिम्मेदारी क्यों नहीं दी गयी.
उन्होंने कहा, शिशु तस्करी एक घृणित अपराध है. यह कमीशन एक स्वायत्त संस्था है. कैसे भी हो, शिशु तस्करी कांड से जुड़े कागज-पत्र हासिल करने ही होंगे. हम सीसीपीआर की धारा 14‍‍/1 और धारा 1बी के तहत कागज-पत्र हासिल करके रहेंगे. जरूरत पड़ी तो सीआइडी, जिला अधिकारी, पुलिस अधिकारियों आदि को दिल्ली तलब करके उनसे जरूरी सूचनाएं हासिल करेंगे.
एनसीपीसीआर के सदस्य श्री जैन ने कहा कि केंद्र सरकार की संस्था सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) की शिकायत पर ही सीआइडी ने जांच शुरू की है. लेकिन यह सब जानने के बावजूद जिला प्रशासन ने हमारे साथ सहयोग नहीं किया.
प्रियांग कानूनगो ने कहा कि गत 3 मार्च को जलपाईगुड़ी की जिला अधिकारी रचना भगत को ई-मेल और फैक्स के माध्यम से हमने अपने आगमन की सूचना दी थी. साथ उन 13 बिंदुओं की सूची भी भेजी थी, जिस बारे में हमें सूचना चाहिए. इसके बावजूद जिला प्रशासन ने जरूरी कागज-पत्र देकर हमारे साथ सहयोग नहीं किया.
इस बारे में पूछे जाने पर जिला अधिकारी रचना भगत ने कहा, केंद्रीय दल के होम और सीडब्ल्यूसी के मुआयने के लिए एक अधिकारी को उनकी मदद के लिए लगाया गया था. उनके रुकने की भी पूरी व्यवस्था की गयी थी. लेकिन कागज-पत्र देने के लिए उन्हें कोई चिट्ठी नहीं मिली.

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