एटीएम समस्या को लेकर श्री सेनगुप्ता ने बताया कि बंगाल सर्किल में एसबीआई के कुल 3700 एटीएम है. इसमें से मालदा जिले में एटीएम की संख्या 92 है. ग्रामीण इलाकों में एटीएम खराब होने पर ठीक करने में चार से पांच दिन लग जाते हैं. इंजीनियर समय पर नहीं पहुंच पाते. यातायात व्यवस्था एवं दक्ष कर्मियों की कमी भी बड़ी समस्या है. उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद अभी भी 70 प्रतिशत से अधिक लोग नगद लेन-देन पर निर्भर हैं. मुश्किल से 30 प्रतिशत लोग ही कैशलेस सिस्टम अपना रहे हैं. आम लोगों में कैशलेस सिस्टम के प्रति रूचि बढ़े, इसके लिए बैंक तथा वित्त मंत्रालय द्वारा तमाम प्रयास किये जा रहे हैं.
नगद लेन-देन में कई प्रकार के जोखिम की संभावना है. डिजिटल सिस्टम और अधिक उन्नत होने के बाद किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी. उन्होंने आगे कहा कि जनवरी महीने में नगदी संकट दूर करने के लिए स्टेट बैंक ने 18 हजार करोड़ रुपये जारी किये. ग्राहकों को परेशानी न हो, इसके लिए एक अप्रैल से एसबीआई अपने ब्रांचों में स्थित एटीएम में पैसे डालने का काम स्वयं करेगी. चीफ जेनरल मैनेजर ने इसके साथ ही यह भी कहा कि एक अप्रैल से न्यूनतम बैलेंस रखने की बाध्यता के मामले में कई प्रकार के एकाउंटों को छूट दी गई है. जन धन योजना, कन्याश्री, युवश्री, सैलरी एकाउंट में न्यूनतम बैलेंस की बाध्यता नहीं रहेगी. सेविंग एकाउंट में न्यूनतम बैलेंस की बाध्यता अनिवार्य है. ग्रामीण क्षेत्र के लिए दो हजार एवं एक हजार रुपये, शहरी क्षेत्र के लिए तीन हजार रुपये तथा बड़े शहरों के लिए पांच हजार रुपये न्यूनतम सेविंग एकाउंट में रखने होंगे. ऐसा नहीं होने पर नियमानुसार चार्ज लगेगा.