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डेढ़ साल से भी अधिक समय से वेतन बंद, राशन-पानी की भी नहीं है कोई व्यवस्था, अघोषित बंद से चाय श्रमिकों के सामने रोजी-रोटी का संकट

सिलीगुड़ी. करीब डेढ़ साल से भी अधिक समय से वेतन और मजदूरी नहीं मिलने से हजारों चाय श्रमिकों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. पर्वतीय क्षेत्र के तीन चाय बागान धोतरिया, कलेजवैली तथा पेशोक को अघोषित रूप से बंद कर दिया गया है. इन तीनों चाय बागान में काम कर रहे हजारों […]

सिलीगुड़ी. करीब डेढ़ साल से भी अधिक समय से वेतन और मजदूरी नहीं मिलने से हजारों चाय श्रमिकों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. पर्वतीय क्षेत्र के तीन चाय बागान धोतरिया, कलेजवैली तथा पेशोक को अघोषित रूप से बंद कर दिया गया है. इन तीनों चाय बागान में काम कर रहे हजारों श्रमिक तथा उनके परिवार भूखमरी के कगार खड़े हैं.

बागान प्रबंध ने तीनों चाय बागानों को औपचारिक रूप से बंद करने की घोषणा भी नहीं की है. जिसकी वजह से इन चाय बागानों के श्रमिक फौलायी जैसे राज्य सरकार की योजनाओं से भी वंचित हैं. इन तीन चाय बागानों में 2584 स्थायी तथा तीन हजार से भी अधिक अस्थायी कर्मचारी हैं. बागान शीघ्र चालू करने की मांग को लेकर यह लोग पिछले डेढ़ साल से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ है. अब तक बागान प्रबंधन राज्य के श्रम विभाग तथा चाय श्रमिक संगठनों के बीच कई दौर की त्रिपक्षीय बातचीत हो चुकी है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकला है. वेतन बंद होने के साथ ही श्रमिकों को राशन तथा जलावन के लिए लकड़ियां आदि भी नहीं दी जा रही है. एक अनुमान के मुताबिक वेतन तथा पीएफ मद में इन तीनों चाय बागान श्रमिकों के करीब 14 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है.

चाय श्रमिकों का आरोप है कि पीएफ तथा एलआइसी आदि के पैसे उनके मजदूरी तथा वेतन से तो काट लिये गये, लेकिन सरकारी खाते में जमा नहीं कराया गया है. आखिरकार परेशान होकर तीनों चाय बागान के श्रमिक एकजुट हो गये हैं और बड़े आंदोलन की तैयारी करने में जुट गये हैं. इन तीनों चाय बागानों के चार राजनीतिक दलों माकपा, तृणमूल, गोरामुमो तथा जाप के ट्रेड यूनियन संगठनों ने चाय बागान संग्राम समिति के नाम से एक नये मोरचा का गठन किया है. इस संगठन के कन्वेनर सुकमान मोक्तान ने सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में संवाददाताओं को बताया कि 2015 से ही पीएफ मद का बकाया है, जबकि 2016 से श्रमिकों को वेतन तथा मजदूरी नहीं दिये जा रहे हैं.

उन्होंने राज्य सरकार के श्रम विभाग पर भी सवालिया निशान लगाया. श्री मोक्तान ने कहा कि राज्य सरकार ने श्रम विभाग जैसा भारी-भरकम दफ्तर बना रखा है. एएलसी, जेएलसी आदि जैसे न जाने कितने अधिकारियों के पद बनाये गये हैं. चाय श्रमकों की जब हक की बात आती है, तो यह अधिकारी अपने हाथ खड़े कर देते हैं. उन्होंने बताया कि पिछले डेढ़ साल के दौरान वह लोग विभिन्न श्रम अधिकारियों के दर पर चक्कर काटते-काटते परेशान हो गये हैं. कहीं भी उनकी नहीं सुनी जा रही है. उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर श्रम विभाग का काम क्या है. उन्होंने आगे बताया कि अधिकारियों और बागान प्रबंधन का चक्कर काटते-काटते वह सभी लोग परेशान हो गये हैं. अब सीधे राज्य के श्रममंत्री से मदद की गुहार लगायेंगे. श्री मोक्तान ने कहा कि वह लोग कोलकाता जा रहे हैं और तीनों चाय बागानों को सुचारू रूप से चलाने तथा श्रमिकों के बकाये की भुगतान की मांग को लेकर श्रममंत्री को एक ज्ञापन देंगे. उन्होंने इस मामले में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी हस्तक्षेप की मांग की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को बंद पड़े चाय बागानों का अधिग्रहण करना चाहिए.

बगैर टिकट जायेंगे कोलकाता
मजदूरी तथा वेतन नहीं मिलने से परेशान चाय श्रमिकों का प्रतिनिधित्व कर रहे संगठन के अध्यक्ष जगत पौड्याल ने श्रममंत्री से मिलने के लिए बगैर टिकट ही कोलकाता जाने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह ट्रेन का टिकट कटाकर कोलकाता जा सकें. वह बगैर टिकट ही कोलकाता के लिए रवाना होंगे. अगर यात्रा के दौरान पुलिस पकड़ती है, तो भी उन्हें कोई गम नहीं होगा. बाहर रहकर भूखों मरने से अच्छा है कि जेल में रहें. संवाददाता सम्मेलन को संगठन के एक अन्य नेता कपिल तामांग ने भी संबोधित किया.

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